अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए जिला प्रशासन सतर्क

District administration alert to stop child marriage on Akshaya Tritiya

  • बाल विवाह रोकने के लिए जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत स्तर पर बनाई गई टीम

रविवार दिल्ली नेटवर्क

राजनांदगांव : कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन अक्षय तृतीया के अवसर पर अधिक बाल विवाह होने की संभावना को रोकने के लिए सतर्क है। कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल ने जिले में बाल विवाह के रोकने के लिए जिला स्तरीय टास्क फोर्स समिति गठित का गठन किया है। बाल विवाह रोकने के लिए जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत स्तर पर टीम बनाई गई है। टीम के सदस्य द्वारा संभावित बाल विवाह को रोकने अपने आसपास निगरानी की जा रही है। साथ ही बाल विवाह की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने जिले के नागरिकों से बाल विवाह रोकने के लिए बाल विवाह की सूचना मिलने पर दूरभाष क्रमांक 07744-220405 एवं चाईल्ड हेल्प लाईन टोल फ्री नंबर 1098 संपर्क करने का आग्रह किया है। कलेक्टर ने जिले के जनप्रनिधियों एवं स्वयंसेवी संगठनों और आम नागरिकों से बाल विवाह को रोकने में सहयोग की अपील की है।

कलेक्टर श्री अग्रवाल ने जिले स्तर से बाल संरक्षण समितियों, बाल विकास परियोजना अधिकारी सह बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारिओं को सतर्क रहकर बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्रवाई करने के निर्देश दिए हंै। अक्षय तृतीया के पर्व के दिन ग्राम एवं शहरों में अधिक संख्या में बाल विवाह होने की भी संभावना बनी रहती है, जो एक कानून अपराध है। जिसे रोकने के लिए विकासखण्ड स्तरीय बाल विवाह रोकथाम गठित समिति के सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बाल विवाह रोकथाम समिति में ग्राम के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानीन, शिक्षक, पंच अन्य शामिल है। जिन्हें बाल विवाह होने की स्थिति में तत्काल सूचित किया जा सकता है। बाल विवाह कराये जाने पर बाल विवाह में शामिल परिजनों सहित विवाह करने वाले संस्थान, पुरोहित, टेन्ट हाऊस, प्रिटिंग प्रेस, नाई, बैंड बाजा बजाने वाले व्यक्ति से लेकर खाना बनाने वाले एवं सगे संबंधी के विरूद्ध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधान अनुसार कड़ी कार्रवाई की जायेगी। बाल विवाह हेतु वर के लिए निर्धारित आयु 21 वर्ष तथा वधु के लिए 18 वर्ष से कम उम्र में शादी करने एवं करवाने की स्थिति में सभी शामिल लोग अपराध की श्रेणी में आयेंगे। इस अपराध के लिए 2 वर्ष तक कठोर करावास अथवा जुर्माना जो एक लाख रूपए तक हो सकता है या दोनों से दण्डित किया जाने का प्रावधान है।