क्या तीसरे चरण के मतदान और देश की आधी से ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव का कार्य पूरा होने के बाद 18 वीं लोकसभा के बहुमत का फ़ैसला तय हो जाने संबंधी आंकलन सटीक साबित होने वाले है?
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने, हरियाणा विधानसभा के तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा भाजपा की सैनी सरकार से समर्थन वापस लेने से राज्य सरकार के अल्पमत में आने की खबरों और देश के कई भागों में चल रही भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के मध्य लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की 93 लोकसभा सीटों पर मंगलवार को अब तक मिली जानकारी के अनुसार 62.3 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ हैं । इस चरण में 120 महिला प्रत्याशी सहित 1351 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला ईवीएम मशीनों में कैद हो गया है। इन उम्मीदवारों में केंद्रीय मंत्री अमित शाह,ज्योतिरादित्य सिंधिया, पुरुषोत्तम रुपाला, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव समेत कई दिग्गज नेता शामिल हैं। मंगलवार को मतदान करने वाले प्रमुख राजनेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी नेता अजित पवार, एनसीपी-एसपी नेता शरद पवार और सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश और डिंपल यादव आदि भी शामिल थे।
तीसरे चरण की वोटिंग के बाद देश के 14 प्रदेशों की 285 लोकसभा सीटों पर पूरी तरह से मतदान का कार्य पूरा हो गया हैं । यानी कि देश की आधी से ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव का कार्य सम्पन्न हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चार जून को आने वाले चुनाव परिणामों में लोकसभा चुनाव के पहले तीन चरणों में जिस दल और गठबंधन का पलड़ा भारी रहेगा,उसके नाम 2024 की सत्ता की बागडोर भी चली जाएगी। एक तरह से देखा जाए तों 18 वीं लोकसभा में बहुमत का फ़ैसला होने का दारोमदार भी इन 14 प्रदेशों के मतदाताओं पर ही टिका हुआ माना जा रहा हैं । उसी कारण लोकसभा के सभी सात चरणों का मतदान होने से पहले ही टीवी चैनलों पर राजनीतिक आंकलन किए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भजानीत एनडीए और कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के मध्य हो रहे सियासी मुकाबले में इस बार भी ज्यादातर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के मध्य ही देखा जा रहा है। वैसे पिछले लोकसभा चुनावों में इन सीटों पर बीजेपी का सियासी ग्राफ बढ़ा है तो कांग्रेस का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे ही गिरता गया है।
इस बार के चुनाव में तीसरे चरण में जहां भाजपा के 82 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे तो कांग्रेस के 68 कैंडिडेट चुनाव मैदान में उतरे । इसके अलावा बसपा के 79 और सपा के 9 उम्मीदवार चुनाव दंगल में थे। इनके अलावा 650 निर्दलीय और 440 अन्य दलों के प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में लोकसभा की 190 सीटों पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है। तीसरे चरण में जिन 93 सीटों पर मंगलवार को चुनाव हुए उसमें असम की 4, बिहार की 5, छत्तीसगढ़ की 7, मध्य प्रदेश की 9, महाराष्ट्र की 11, दादर-नगर हवेली और दमन-दीव में एक-एक, गोवा की 2, कर्नाटक की 14,जम्मू-कश्मीर की 1, पश्चिम बंगाल की 4, गुजरात की 25 और उत्तर प्रदेश की 10 सीटें शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में पहले 94 सीटों पर चुनाव होने थे, लेकिन दूसरे चरण में बैतुल सीट पर बसपा उम्मीदवार के निधन से चुनाव रद्द हो गया था और उस सीट पर तीसरे चरण में चुनाव हुआ है। इसी तरह तीसरे चरण में गुजरात की सूरत लोकसभा सीट पर भी चुनाव होना था लेकिन चुनाव मैदान में एक मात्र उम्मीदवार शेष रहने से भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल को पहले ही निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया। तीसरे चरण में गुजरात की 25 सीटों पर चुनाव हुए है। भाजपा 2014 और 2019 में गुजरात की सभी 26 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इसी तरह इस चरण में मध्य प्रदेश की जिन 9 सीटों पर चुनाव हुए है,उस पर भी भाजपा ने पिछले चुनाव से क्लीन स्वीप किया था। इसके अलावा भाजपा छत्तीसगढ़ की 7 में से 6 सीटें जीती थी और कर्नाटक की सभी 14 सीटों पर उसने कब्जा जमाया था। इसके अलावा उत्तरप्रदेश की 10 में से 8 सीटें भाजपा की झोलूमे आई थी। बिहार में भी बीजेपी ने 5 सीटें जीती थी। हालांकि इस बार महाराष्ट्र की सभी 11 सीटों पर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती बताई जा रही है। इसके अलावा असम की जिन चार सीटों पर इस फेज में चुनाव हुआ है,उसमें एक सीट पर आल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बदरुद्दीन अजमल का कब्जा है और बाकी तीन सीटें एनडीए के पास है।
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में दिवंगत सपा नेता मुलायम सिंह यादव परिवार के तीन सदस्यों की अग्नि परीक्षा है, जिसमें मैनपुरी सीट से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव,फिरोजाबाद सीट से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव तथा शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव बदायूं सीट से चुनावी मैदान में हैं ।इस तरह से अखिलेश से लेकर शिवपाल और रामगोपाल तक की राजजीतिक परीक्षा इस फेज में ही रही है। उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीट पर तीसरे फेज में चुनाव हुए है, उसमें 9 सीट पर सपा चुनाव लड़ रही है। सपा 2019 में संभल और मैनपुरी की सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जिसके चलते इस बार उसे इन सीटों पर अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने की कड़ी चुनौती है।
कांग्रेस के लिए भी तीसरे चरण का चुनाव अपने सियासी वजूद को बचाए रखने का चुनाव है। पिछली बार कांग्रेस का गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश, यूपी, महाराष्ट्र, बिहार तक में सफाया हो गया था। एक ओर कांग्रेस गुजरात में पिछले दो चुनाव से एक भी सीट नहीं जीत पा रही है तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश से लेकर बाकी सभी राज्यों में भी उसकी सीटें कम होती जा रही है। कांग्रेस 10 सालों में लोकसभा की इन प्रदेशों में 27 सीटों से घटकर 4 सीट पर पहुंच गई है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के चलते कांग्रेस दहाई के अंक में नहीं पहुंच पाई है,लेकिन उसको इस बार के चुनाव में काफी उम्मीदें हैं। कांग्रेस को कर्नाटक से लेकर महाराष्ट्र और गुजरात तक में अपनी सीटें बढ़ने की उम्मीदें है। कांग्रेस को इस बार महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के साथी उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ चुनाव लड़ने का लाभ मिलने की संभावना है। साथ ही कांग्रेस केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के एक बयान पर गुजरात में क्षत्रीय समाज की नाराजगी से अपना फायदा देख रही है। भाजपा के पुरुषोत्तम रुपाला के बयान से क्षत्रिय नाराज है। गांव-गांव में इसका असर दिख रहा है, जिसके चलते राजनीतिक क्षेत्रों में माना जा रहा है कि गुजरात में भाजपा की सीटें इस बार कम हो सकती हैं।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव जीतने की कवायद के तहत कांग्रेस ने सोमवार को अपने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत एवं भूपेश बघेल को अमेठी और रायबरेली में पर्यवेक्षक बना बड़ी जिम्मेदारी दी थी। वही मंगलवार को राजस्थान के तीन और नेताओं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी को दिल्ली की चांदनी चौक,पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को उत्तर पूर्वी दिल्ली तथा पूर्व सांसद हरीश चौधरी को पूरे हरियाणा में पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गईं है।
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में किसका पलड़ा भारी रहता है और क्या तीसरे चरण के मतदान और देश की आधी से ज्यादा लोकसभा सीटों पर चुनाव का कार्य पूरा होने के बाद 18 वीं लोकसभा के बहुमत का फ़ैसला तय हो जाने संबंधी आंकलन सटीक साबित होने वाले है?