रविवार दिल्ली नेटवर्क
श्री राममूर्ति स्मारक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ की दो दिनी कॉन्फ्रेंस में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के सीनियर रेडियोलॉजिस्ट प्रो. राजुल रस्तोगी बतौर सेशन चेयर एवम् ओरल रिसर्च पेपर प्रेजेंटेशन के निर्णायक मंडल में रही उल्लेखनीय मौजूदगी
श्री राममूर्ति स्मारक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़, बरेली- एसआरएमएस के रेडियोडाग्नोस्टिक विभाग की ओर से इंडियन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन- आईआरआईए के बरेली संभांग के तत्वावधान में आयोजित एसआरएमएस एडवांस इमेजिंग एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी कॉन्फ्रेंस-2024 में ओरल पेपर प्रेजेंटेशन में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के रेडियोलॉजी विभाग की पीजी रेजिडेंस-एमडी इन रेडियोडायग्नोसिस सेकेंड ईयर की डॉ. सान्या जैन और डॉ. ऐश्वर्या पांडेय ने क्रमशः प्रथम और तृतीय स्थान प्राप्त किया। पोस्टर प्रतियोगिता में भी टीएमयू की डॉ. सान्या जैन ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस दो दिनी कॉन्फ्रेंस में तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में रेडियोडायग्नोसिस विभाग के सीनियर प्रोफेसर प्रो. राजुल रस्तोगी बतौर सेशन चेयर एवम् ओरल रिसर्च पेपर प्रेजेंटेशन के निर्णायक मंडल में मौजूद रहे। कॉन्फ्रेंस में क्विज प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें सुभारती मेडिकल कॉलेज, मेरठ की टीम प्रथम रही। एसआरएमएस, बरेली की टीम ने दूसरा स्थान प्राप्त किया।
डॉ. सान्या जैन ने अल्ट्रासोनोग्राफिक एंड सीटी कोरिलेशन ऑफ ऑप्टिक नर्व शीथ डायमीटर इन हेड इंजरी पेशेंट्स पर अपना रिसर्च पेपर पढ़ा। डॉ. सान्या ने अपने पेपर में बताया, हेड इंजरी के ऐसे पेशेंट जिसका सीटी स्कैन करना संभव नहीं है, उनके माइंड के प्रेशर को अल्ट्रासाउंड के जरिए भी पता किया जा सकता है। डॉ. ऐश्वर्या पांडेय पेपर का विषय इवेल्यूएशन ऑफ प्लेंटर फेसिया इन पेशेंट्स ऑफ डायबिटीज मीलिटस यूजिंग हाई रेज्यूलेशन अल्ट्रासाउंडोग्राफी एंड सेनोइलास्टोग्राफी रहा। इसमें डॉ. पांडेय ने स्पष्ट किया, डायबिटीज के ऐसे पेशेंट्स जिनके पैर के तलवे की झिल्ली सूज जाती है और इसमें दर्द होता है, जिसका पता बिना एमआरआई के अल्ट्रासाउंड और इलास्टेग्राफी से लगाया जा सकता है। डॉ. सान्या के पोस्टर का विषय छोटी आंत में खून की नसों का गुच्छा बनना था, जो एक रेयर केस होता है। इससे व्यक्ति के मल में खून आने की शिकायत होती है। साथ ही हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है। इस समस्या को सीटी स्कैन एंजियोग्राफी की मदद से डायग्नोस किया जा सकता है। सभी विजेता प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट्स प्रदान किए गए। कॉन्फ्रेंस में 25 ओरल पेपर और 35 से अधिक पोस्टर प्रस्तुत किए गए। कॉन्फ्रेंस में राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज, सरस्वती मेडिकल कॉलेज, सुभारती मेडिकल कॉलेज समेत दीगर कॉलेजों से 18 सीनियर फैकल्टीज़ समेत 140 डेलीगेट्स ने प्रतिभाग किया।