प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके क्षत्रपों ने ताकत झौकी,कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत एवं भूपेश बघेल को अमेठी और रायबरेली की सीटों पर नाक की लड़ाई जीतने के लिए लगाया
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
18 वीं लोकसभा के लिए देश में सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के लिए पांचवें चरण की वोटिंग 20 मई को होनी है। इस चरण में 49 संसदीय सीटों पर मतदान होगा, लेकिन इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास इस चरण में महज एक ही रायबरेली की सीट है।इस सीट से कांग्रेस की साख दांव पर लगी है. इस बार यहां से राहुल गांधी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यक्ष प्रश्न है कि लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में भाजपा की एकछत्र दबदबे वाली सीटों पर कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दल विजय पताका फहरा पायेंगे ?
इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके क्षत्रपों ने ताकत झौक दी है और वे एक दिन में कई कई रेलिया और रोड शो कर रहे है ,वही ने कांग्रेस ने अपने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत एवं भूपेश बघेल को अमेठी और रायबरेली की सीटों पर नाक की लड़ाई जीतने के लिए लगाया है।
2024 के लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश की 14 सीट, महाराष्ट्र की 13, पश्चिम बंगाल की 7, ओडिशा की 5, बिहार की 5, झारखंड की 3, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की 1-1 सीट शामिल हैं. पांचवें चरण में 8 राज्यों की 49 सीटों पर वोटिंग के बाद 428 लोकसभा सीटों पर चुनाव खत्म हो जाएगा. पांचवें चरण के जिन 8 राज्यों की सीट पर चुनाव है, उसमें 7 राज्यों में कांग्रेस को 2019 में से एक भी सीट नहीं मिली थी, यूपी की रायबरेली की सीट ही जीत सकी थी जबकि अमेठी सीट कांग्रेस गंवा दी थी. रायबरेली और अमेठी सीट गांधी परिवार के गढ़ मानी जाती रही है, लेकिन इस बार सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी रायबरेली के उतरे है।
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में जिन 49 लोकसभा सीटों पर 20 मई को वोटिंग है, 2019 में बीजेपी ने उन पर एकछत्र दबदबा जमाने में कामयाब रही थी। पिछले चुनाव में इन 49 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ एक सीट ही जीत सकी थी, जबकि बीजेपी ने 32 सीटें जीती थीं. इसके अलावा जेडीयू के एक, एलजेपी एक, शिवसेना 7, बीजेडी एक, नेशनल कॉफ्रेंस एक और टीएमसी 4 सीटें जीतने में सफल रही थी. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए 41 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जबकि यूपीए सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी थी, अन्य को पांच सीटें मिली थी.
पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश की 14 लोकसभा सीट पर चुनाव है. लखनऊ, मोहनलालगंज, अमेठी, रायबरेली, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, कौशांबी, फतेहपुर, गोंडा, कैसरगंज, बाराबंकी और फैजाबाद सीट पर वोटिंग है. इन 14 में से 1 सीट कांग्रेस जीत सकी थी जबकि बाकी 13 सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी. 2024 में बीजेपी ने अपने सभी 14 सीटों पर उम्मीदवार उतार रखे हैं तो 10 सीट पर सपा उम्मीदवार और चार सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी है. बसपा सभी 14 सीट पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस के पास रायबरेली सीट को बचाए रखने के साथ-साथ अपने कोटे की चार में से ज्यादातर सीटें जीतने की चुनौती होगी. यू पी में इस बार भाजपा की सांख दांव पर लगी हुई है।
उसी प्रकार बिहार-झारखंड में भी कांटे की टक्कर देखी जा रही है। पांचवें चरण में बिहार की पांच और झारखंड की तीन सीट पर मतदान है. बिहार में सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर सीट पर चुनाव है. 2019 में इन सभी सीटों पर एनडीए कब्जा जमाने में कामयाब रही थी, जिसमें जेडीयू-एलजेपी एक-एक सीट और बीजेपी तीन सीटें जीतने में सफल रही. पांचवें चरण में झारखंड की जिन तीन सीट पर चुनाव हो रहे हैं, उन सभी पर बीजेपी का कब्जा है. चतरा, कोडरमा और हजारीबाग सीट पर चुनाव है, जहां इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच कांटे की मुकाबला है, बिहार के मुजफ्फरपुर और सारण की सीट पर सबकी नजर है. मुजफ्फरपुर में इस बार बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है. टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पिछली बार के सांसद अजय निषाद कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. सीतामढ़ी में जेडीयू ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है. सारण में लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य चुनाव मैदान में हैं. यहां पर रोहिणी आचार्य का मुकाबला राजीव प्रताप रूडी से है. हाजीपुर से इस बार चिराग पासवान खुद चुनाव लड़ रहे हैं. इन दोनों सीटों पर भी लोगों की नजर रहेगी.
दूसरी ओर महाराष्ट्र में इस बार फाइट बहुत टाइट बताई जा रही है। महाराष्ट्र में पांचवे चरण में 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव है, जिसमें धुले, डिंडोरी, नासिक, कल्याण, पालघर, भिवंडी, ठाणे, मुंबई उत्तर, मुंबई उत्तर पूर्व, मुंबई दक्षिण मध्य, मुंबई दक्षिण, मुंबई उत्तर पश्चिम और मुंबई उत्तर मध्य सीट शामिल हैं. 2019 में इन 13 में से सात सीटें शिवसेना जीतने में कामयाब रही थी और बीजेपी 6 सीटें जीतने में सफल रही. एनडीए ने पूरी तरह से विपक्ष का सफाया कर दिया था. इस बार बदले हुए राजनीतिक समीकरण में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की फाइट मानी जा रही है, सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा बीजेपी की लगी है. शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई है, उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना और एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना की अग्निपरीक्षा है. एनसीपी शरद पवार और अजीत पवार के बीच बंट गई है. उद्धव ठाकरे और शरद पवार कांग्रेस से साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं, जबकि बीजेपी एकनाथ शिंदे, अजीत पवार को लेकर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.
दूसरी ओर बंगाल और ओडिशा में मुकाबला देखने लायक बन गया है।पश्चिम बंगाल की सात लोकसभा सीटों पर पांचवें चरण में चुनाव है. बंगाल में बनगांव, हावड़ा, उलूबेरिया, श्रीरामपुर, हुगली, आरामबाग और बैरकपुर सीट पर 20 मई को मतदान है. 2019 में इन 7 में से चार सीटें टीएमसी जीतने में कामयाब रही थी जबकि बीजेपी केवल 3 सीटें ही जीत सकी थी. पिछली बार की तरह इस बार भी कांटे की फाइट मानी जा रही है. वहीं, ओडिशा के पांच लोकसभा सीटों पर पांचवे चरण में चुनाव है. इस चरण में बारगढ़, सुंदरगढ़, बोलंगीर, कंधमाल और अस्का सीट शामिल है। वर्ष 2019 में इन पांच से चार सीटें बीजेपी जीतने में सफल रही थी जबकि बीजेडी एक ही सीट जीत सकी थी। बीजेपी के लिए ओडिशा और बंगाल की सीटों को बचाए रखने की चुनौती है तो विपक्षी गठबंधन सेंधमारी करना चाहती है।
उत्तरप्रदेश की हॉट सीट अमेठी की जिम्मेदारी राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दी गई है।गहलोत ने राजस्थान के कई वरिष्ठ एवं चुनाव प्रबंधन के माहिर नेताओं को अमेठी बुला रखा है। गहलोत की मॉनिटरिंग में अमेठी का चुनाव लड़ा जा रहा है, जहां पर गांधी परिवार के भरोसेमंद किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है.क्या गहलोत व उनकी टीम अमेठी में कांग्रेस को विजयी दिला पाएंगे, यह देखने वाली बात होंगी क्योंकि सामने भाजपा की फायर ब्रिगेड नेता केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी है जिन्होंने पिछली बार राहुल गांधी को यह से हराया था।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस ने चुनाव प्रभारी बना कर अमेठी लोकसभा सीट पर भेजा है।रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटें कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल बन गई हैं, क्योंकि दोनों ही गांधी परिवार की सीट मानी जाती थी.पिछली बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी से हार गए थे.इस बार अमेठी से राहुल गांधी तो नहीं लड़ रहे, लेकिन गांधी परिवार ने अपने भरोसेमंद किशोरीलाल शर्मा को यहां से उम्मीदवार बनाया है.किशोरी पहला चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस ने अमेठी में अशोक गहलोत के हाथ में चुनाव लड़वाने की कमान दी है.अमेठी की रणनीति की बात करे, इससे पहले थोड़ा सा फ्लैश बैक में जाते है.2017 में जब गुजरात में राज्यसभा चुनाव हो रहे थे और सियासी ड्रामे के बीच कांग्रेस के थिंक टैंक अहमद पटेल चुनाव हारने की कगार पर पहुंच गए थे, तब गांधी फैमिली ने रणनीतिकार अशोक गहलोत को गुजरात भेजा.गहलोत ने ऐसी कमान संभाल कि अहमद पटेल को जीत दिलवा दी.अहमद पटेल की जीत का सेहरा गहलोत के सिर पर बंधा.अब अमेठी में पार्टी की साख दांव पर है.पार्टी के निर्देश पर गहलोत ने अमेठी में डेरा डाल दिया है और अपने राजनीतिक जीवन के पूरे अनुभव को यहां झोंक दिया है.अमेठी में वैसे तो पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं, लेकिन गहलोत ने पूरे लोकसभा क्षेत्र को 17 ब्लॉक में बांट दिया है.इन ब्लॉक में राजस्थान से बुलाए गए कांग्रेसी नेताओं को लगाया है.इनमें विधायक भी शामिल है, तो लोकसभा प्रत्याशी भी.जानकारी मिली है कि चुनाव प्रबंधन से जुड़ नेताओं को ही यहां पर बुलाया गया है.अमेठी व उत्तरप्रदेश के कांग्रेसी नेताओं के साथ राजस्थान के कांग्रेसी नेता भी अब अमेठी फतेह करने में जुट गए है.50 से अधिक राजस्थान के कांग्रेसी नेता अमेठी में घर-घर दस्तक दे रहे है।
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में भाजपा की एकछत्र दबदबे वाली सीटों पर विजय पताका फहरा पायेगी कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दल?
देखना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके क्षत्रपों तथा कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत एवं भूपेश बघेल की टीम अमेठी और रायबरेली की सीटों पर नाक की लड़ाई जीतने के लिए कितने सफल होकर निकलेंगे?