भरतपुर के पूर्व राजपरिवार की लड़ाई एक बार फिर सामने आई

The fight between the former royal family of Bharatpur came to the fore once again

  • पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह पर गंभीर आरोप लगाए
  • कहा कि पत्नी और बेटा उनके साथ मारपीट करते हैं, उन्हें भरपेट खाना नहीं मिलता जिसके चलते वे महल छोड़ने को हुए है मजबूर
  • मां बेटे ने विश्वेंद्र सिंह के आरोपों को झूठा बताया

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली : पूर्वी राजस्थान के उत्तर प्रदेश से सटे भरतपुर के पूर्व राजपरिवार की लड़ाई एक बार फिर सामने आ गई है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री और भरतपुर के पूर्व राजा विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी पूर्व सांसद और पूर्व महारानी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह पर गंभीर आरोप लगाए है।

विश्वेंद्र सिंह ने चौकाने वाला बयान देते हुए कहा है कि उनकी पत्नी और बेटा उनके साथ मारपीट करते हैं, उन्हें भरपेट खाना नहीं मिलता जिसके चलते वे अपने राजमहल मोती महल को छोड़ने को मजबूर हो गए है। हालांकि मां और बेटे ने अपने पति और पिता के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें झूठा बताया है तथा कहा है कि सच यह है कि विश्वेंद्र सिंह राजघराने की संपति को बेचने और खुर्दबुर्द करने में लगे हुए है जबकि हम अपनी खानदानी धरोहरों को बचाने का प्रयास कर रहे है।

उल्लेखनीय है कि आजादी से पहले राजपुताना के नाम से पहचाने जाने वाले राजस्थान में छोटी बड़ी 22 रियासते थी और उनमें भरतपुर और धौलपुर के दो जाट राजाओं तथा टोंक के नवाब को छोड़ कर सभी राजा राजपूत थे। राजस्थान का इतिहास बहुत वैभवशाली तथा साहस, त्याग, बलिदान और देश भक्ति से सराबोर रहा है। विशेष कर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का मुगलों के सामने घुटना नही टेकना और मेवाड़ की स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए जीते जी कोई समझौता नहीं करने तथा घास की रोटी खाने के बावजूद अकबर की सेना को इतिहास प्रसिद्ध हल्दी घाटी के युद्ध में नाकों चने चबवाना आदि ऐतिहासिक घटनाएं राजस्थान के कई शूरवीरों के त्याग और अदम्य साहस की कथाएं बताती है। राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर के दो जाट राजाओं का भी अपना अलग ही इतिहास रहा है।भरतपुर के महाराजा सूरजमल एक वीर योद्धा होने के साथ साथ एक महा प्रतापी राजा थे जिनका साम्राज्य उत्तर भारत में दिल्ली और पंजाब हरियाणा भारत तक फैला हुआ देश का सबसे बड़ा राज्य था। विदेशी आक्रांता मुगल और अंग्रेज भी उनकी बहादुरी का लोहा मानते थे। महाराजा सूरजमल अपने सैन्य कौशल और प्रशासनिक कौशल के लिए जाने जाते थे। उन्होंने इस क्षेत्र में एक समृद्ध जाट साम्राज्य की स्थापना की, जिसमें वर्तमान राजस्थान,उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ हिस्से शामिल थे। आज भी उनकी प्रतिमाएं दिल्ली सहित अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर लगी हुई है। भरतपुर की तरह आगरा और ग्वालियर से सटा धौलपुर राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रही वसुन्धरा राजे के कारण कई बार सुर्खियों में रहा है। वसुन्धरा राजे धौलपुर की पूर्व महारानी है । उनका विवाह धौलपुर राजा हेमंत सिंह से हुआ था। उनके इकलौते पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ से चार बार के सांसद और वर्तमान में मध्य प्रदेश के सटी झालावाड़ लोकसभा सीट से ही पांचवी बार के भाजपा प्रत्याक्षी है।

आजादी के बाद धौलपुर राजघराने का विवादों से गहरा नाता रहा है। यहां के राजा मान सिंह ने भी प्रदेश के अन्य राजाओं की तरह आजादी के बाद राजनीति में कदम रखे। मगर कांग्रेस का साथ उन्हें मंजूर नहीं था, इसलिए निर्दलीय ही चुनाव लड़ते रहें। वे डीग विधानसभा सीट से 1952 से 1984 तक लगातार सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए। उनका कांग्रेस से इस बात पर समझौता था कि उनके खिलाफ उम्मीदवार भले ही उतारें, लेकिन कोई बड़ा नेता भरतपुर में प्रचार के लिए नहीं आएगा। 1977 में जेपी लहर और 1980 की इंदिरा लहर में भी वह चुनाव जीते।

भरतपुर के राजा मानसिंह भी अपने स्वाभिमान के लिए बहुत चर्चित रहे और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने के दौरान अपने झंडे का कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा अपमान करने से क्रोधित होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर की रैली से पहले ही उन्होंने मंच को तुड़वा डाला। इसके बाद वह जीप (जोंगा) लेकर उस हेलीपैड की ओर बढ़े, जहां सीएम का हेलीकॉप्टर आना था। गुस्से से लाल राजा मान सिंह ने वहां खड़े हेलीकॉप्टर को कई बार टक्कर मार जबर्दस्त क्षतिग्रस्त कर दिया। मजबूरी में मुख्यमंत्री माथुर को सड़क से जयपुर रवाना होना पड़ा। ऐसा करके मानसिंह ने सीधे राज्य सरकार को ही ललकारा था। उपद्रव की आशंका के चलते भरतपुर में कर्फ्यू लगाना पड़ा और 21 फरवरी 1985 को पुलिस के साथ झड़प में राजा मानसिंह पुलिस गोली से मारे गए। राजस्थान में किसी मौजूदा विधायक के एनकाउंटर का भी संभवत: यह पहला ही मामला था। यह एक ऐसा मामला था, जिसने राजस्थान की राजनीति में एक तरह से भूचाल ला दिया था।

21 फरवरी को राजा मानसिंह जब अपने राजमहल से बाहर निकलने लगे, तो सभी ने मना किया कि शहर में कर्फ्यू है, आप मत जाइए। इस पर उन्होंने कहा कि अपनी रियासत में कैसा डर। हालांकि राजा मानसिंह के परिजनों का कहना है कि वह पुलिस को आत्मसमर्पण करने जा रहे थे लेकिन 21 फरवरी को पुलिस ने शहर की अनाज मंडी में राजा मानसिंह को हाथ से इशारा करके रुकने को कहा। जब राजा मानसिंह जोंगा बैक करने लगे तभी फायरिंग हुई। इसमें राजा मानसिंह उनके साथी सुमेर सिंह और हरिसिंह की गोली लगने से मौत हो गई। राजा के दामाद विजय सिंह की ओर से 18 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया गया था। मानसिंह की हत्या के विरोध में पूरे भरतपुर में जबरदस्त प्रदर्शन हुआ। इस घटना के बाद पूरा भरतपुर जल उठा। दो दिन बाद ही मुख्यमंत्री शिव चरण माथुर को इस्तीफा देना पड़ा। जांच सीबीआई को सौंपी गई। बाद में 1990 के लोकसभा चुनाव में मानसिंह की बेटी कृष्णेंद्र कौर दीपा भरतपुर से सांसद चुनी गईं।

यह लोमहर्षक घटना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान हुई । उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री थे शिवचरण माथुर थे। कहा जाता है कि उन्होंने डीग सीट को नाक का सवाल बना लिया। डीग से कांग्रेस उम्मीदवार थे सेवानिवृत्त आईएएस ब्रिजेंद्र सिंह। 20 फरवरी को वह कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने के लिए डीग पहुंच गए। यह कांग्रेस के किसी बड़े नेता को प्रचार के लिए न भेजने के समझौते के खिलाफ था। माथुर के इस कदम से स्थानीय कांग्रेसी नेता भी खुश हो गए और उन्होंने राजा मान सिंह के पोस्टर फाड़ दिए। जिस पर राजा मान सिंह भड़क उठे और गुस्सा में तिलमिलाते हुए मुख्यमंत्री का चुनावी मंच और हेलीकॉप्टर को रोंदने की इतना बड़ी घटना घटित कर दी और उसके बाद जो हुआ वह राजस्थान की राजनीति का एक काला धब्बा बन गया।

इस बहुचर्चित हत्याकांड की सुनवाई बहुत लंबे समय 35 वर्षों तक चली । उस दौरान तारीख पर तारीख कुल 1700 तारीखें पड़ीं और 25 जिला जज भी बदल गए। वर्ष 1990 में यह केस मथुरा जिला जज की अदालत में स्थानांतरित किया गया। सुनवाई के दौरान कुल 78 गवाह पेश हुए, जिनमें से 61 गवाह वादी पक्ष ने तो 17 गवाह बचाव पक्ष ने पेश किए। साथ ही सभी पक्ष ने लगभग 1000 से ज्यादा दस्तावेज पेश किए । आठ बार फाइनल बहस पूरी होने के बाद मथुरा जिला कोर्ट ने 35 साल पुराने इस बहुचर्चित राजा मानसिंह हत्याकांड में पूर्व डीएसपी कानसिंह भाटी समेत 11 पुलिसवालों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीन आरोपियों को बरी भी कर दिया। सुनवाई के दौरान हत्या के 3 आरोपियों नेकीराम, सीताराम और कुलदीप की मौत हो गई। एक आरोपी महेंद्र सिंह को पहले ही रिहा कर दिया जा चुका था।

राजा मान सिंह के बाद भी भरतपुर राजघराने के सदस्य कई बार राजस्थान विधान सभा में विधायक मंत्री और संसद में सांसद रह चुके है लेकिन इस जाट राज परिवार के सदस्यों में आपसी मन मुटाव झगड़े और अदालती कार्यवाही रुकने का नाम नहीं ले रही। राजा मान सिंह की बेटी कृष्णेंद्र कौर उर्फ दीपा सिंह राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। जबकि उनके भतीजे विश्वेंद्र सिंह पहले भाजपा में थे और बाद में वे कांग्रेस विधायक बन मंत्री भी बन गए । मान सिंह के बड़े भाई बृजेंद्र सिंह के पुत्र विश्वेंद्र भरतपुर रियासत के उत्तराधिकारी माने जाते हैं।राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पायलट के नेतृत्व में बगावत करने वाले 18 विधायकों में विश्वेंद्र सिंह भी शामिल थे।

अब ताजे मामले में विश्वेंद्र सिंह अपनी पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए हैं। विश्वेंद्र सिंह का आरोप है कि बीते कई साल से उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर परेशान किया जा रहा है, ठीक से खाना नहीं दिया जाता और अब उन्हें घर से निकाल दिया गया है। भरतपुर के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट कोर्ट में दायर की गई एक याचिका में विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी दिव्या सिंह और बेटा अनिरुद्ध सिंह उन्हें ठीक से जीवनयापन नहीं करने देते। ऐसे में उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि पत्नी और बेटे से हर महीने 5 लाख रुपये का मुआवजा और भरण-पोषण का खर्च दिलवाया जाए। यह आवेदन उन्होंने ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007’ के तहत किया है। इतना ही नहीं, विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी और भरतपुर की पूर्व सांसद दिव्या सिंह के साथ अपने बेटे पर पैतृक संपत्ति बेचने और उनकी छवि खराब करने का आरोप भी लगाया है। अपनी याचिका में 62 वर्षीय विश्वेंद्र सिंह ने लिखा है कि वह दिल की गंभीर की बीमारी ग्रसित हैं और अवसाद का सामना नहीं कर पाएंगे।

विश्वेंद्र सिंह ने यह आरोप भी लगाया है कि वर्ष 2021 और 2022 में दो बार कोरोना से संक्रमित होने के बाद भी पत्नी और बेटे ने उनका ख्याल नहीं रखा और बीते कुछ साल से उनके खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं। विश्वेंद्र सिंह ने दिव्या और अनिरुद्ध सिंह पर मारपीट करने का भी आरोप लगाया है। कोर्ट में दायर किए गए आवेदन में लिखा है कि उनको मारा-पीटा जाता है और उनके जरूरी दस्तावेजों के साथ कपड़े भी जला दिए गए हैं। मौखिक रूप से परेशान करने और किसी से मिलने न दिए जाने का भी आरोप लगाया गया है। विश्वेंद्र सिंह का दावा है कि वह अपने महल से निकाले जाने के बाद से कहीं और रह रहे हैं। शुरुआत में वह जयपुर के सरकारी आवास में रहे और बाद में होटलों में कमरा लेकर रहे. विश्वेंद्र सिंह का आरोप है कि महल में रखीं प्राचीन वस्तुएं, ट्रॉफी, पेंटिंग और फर्नीचर सहित करोड़ों रुपये की पैतृक संपत्ति अब पत्नी और बेटे के कब्जे में है.

ऐसे में विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी और बेटे से भरण-पोषण के रूप में हर महीने 5 लाख रुपये की मांग की है और यह भी लिखा है कि महल और सभी संपत्तियों का स्वामित्व उन्हें ट्रांसफर कर दिया जाए।

बीते रविवार 19 कई को विश्वेंद्र सिंह द्वारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह ने भरतपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें खुद पर लगे सभी आरोपों का खंडन किया। उन्होंने विश्वेंद्र सिंह पर उन्हें परेशान करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया। दिव्या सिंह का दावा है कि वह पैतृक संपत्ति बचाने की कोशिश कर रही हैं जबकि विश्वेंद्र सिंह सब बेचने में लगे हैं।

दिव्या सिंह ने कहा कि विश्वेंद्र सिंह ने मोती महल तक बेचने की कोशिश की, जिसकी वजह से पारिवारिक विवाद बढ़ गया. दिव्या सिंह ने कहा, “मेरा बेटा अनिरुद्ध सिंह मेरी देखभाल कर रहा है.” वहीं, अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि उनके पिता उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं. उनका वकील हर सुनवाई में उनका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जबकि विश्वेंद्र सिंह हर बार तारीख मांग रहे हैं। अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाया कि वह मामले को पेशेवर तरीके से संभाल रहे हैं, जबकि विश्वेंद्र सिंह केवल अपने पक्ष में फैसला लेने के लिए एसडीएम पर दबाव बनाए जा रहे हैं। उन्होंने अपने पिता के आरोपों को झूठा बताया और कहा कि जब उन पर कथित तौर पर हमला किया गया तो उन्हें पुलिस के पास जाना चाहिए था।उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह से गलत SDM पर दबाव बनाने के लिए सब करवाया जा रहा है,लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि ट्रिब्यूनल कोर्ट में जो भी होगा सही होगा. मारपीट और खाना नहीं देने जैसे मामले बिल्कुल बे-बुनियाद है।हमने उन्हें किसी से भी मिलने से नहीं रोका है। उनका सोशल मीडिया पेज देखो, वह रोज लोगों से मुलाकात कर रहे हैं और महल में वे आए ही नहीं है।

भरतपुर की जनता शुरु से ही अपने राजघराने के लोगों का बहुत सम्मान करती है और राजमहल से आने वाले एक फरमान पर उन्हें ही अपना जन प्रतिनिधि चुनती रही है जिसे राजघराने का समर्थन हासिल है लेकिन पिछले कुछ अर्से से राजपरिवार के सदस्यों के मध्य ही बढ़ते बाद विवाद और झगड़ों से जनता भी किकर्तव्य विमूठ सी नजर आ रही है तथा पिछले विधान सभा चुनाव में राजघारना उसका खामियाजा भी भुगत चुकी है और लगता है कि लोकसभा चुनाव में भी उनके समर्थक प्रत्याक्षी के फिर से वही हश्र4 ही सकता है।

मथुरा जिला कोर्ट ने 35 साल पुराने बहुचर्चित राजा मानसिंह हत्याकांड में पूर्व डीएसपी कानसिंह भाटी समेत 11 पुलिसवालों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। कोर्ट ने तीन आरोपी को बरी कर दिया। हत्या के 3 आरोपियों नेकीराम, सीताराम और कुलदीप की मौत हो चुकी है। एक आरोपी महेंद्र सिंह को पहले ही रिहा किया जा चुका है।

राजा मान सिंह के बाद धौलपुर राजघराने के सदस्य कई बार राजस्थान विधान सभा में विधायक मंत्री और संसद में सांसद रह चुके है लेकिन इस जाट राज परिवार के सदस्यों में आपसी मन मुटाव, झगड़े और अदालती कार्यवाही रुकने का नाम नहीं ले रही है। राजा मान सिंह की बेटी कृष्णेंद्र कौर उर्फ दीपा सिंह राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। जबकि उनके भतीजे विश्वेंद्र सिंह जो पहले भाजपा में थे । बाद में वे कांग्रेस विधायक बन कर मंत्री भी बन गए । मान सिंह के बड़े भाई बृजेंद्र सिंह के पुत्र विश्वेंद्र भरतपुर रियासत के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पायलट के नेतृत्व में बगावत करने वाले 18 विधायकों में विश्वेंद्र सिंह भी शामिल थे।

अब ताजे मामले में विश्वेंद्र सिंह अपनी पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए हैं। विश्वेंद्र सिंह का आरोप है कि बीते कई साल से उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर परेशान किया जा रहा है, ठीक से खाना नहीं दिया जाता और अब उन्हें घर से निकाल दिया गया है।

भरतपुर के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट कोर्ट में दायर की गई एक याचिका में विश्वेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी दिव्या सिंह और बेटा अनिरुद्ध सिंह उन्हें ठीक से जीवनयापन नहीं करने देते। ऐसे में उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि पत्नी और बेटे से हर महीने 5 लाख रुपये का मुआवजा और भरण-पोषण का खर्च दिलवाया जाए। यह आवेदन उन्होंने ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007’ के तहत किया है। इतना ही नहीं, विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी और भरतपुर की पूर्व सांसद दिव्या सिंह के साथ अपने बेटे पर पैतृक संपत्ति बेचने और उनकी छवि खराब करने का आरोप भी लगाया है। अपनी याचिका में 62 वर्षीय विश्वेंद्र सिंह ने लिखा है कि वह दिल की गंभीर की बीमारी ग्रसित हैं और अवसाद का सामना नहीं कर पाएंगे।

विश्वेंद्र सिंह ने यह आरोप भी लगाया है कि वर्ष 2021 और 2022 में दो बार कोरोना से संक्रमित होने के बाद भी पत्नी और बेटे ने उनका ख्याल नहीं रखा और बीते कुछ साल से उनके खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं। विश्वेंद्र सिंह ने दिव्या और अनिरुद्ध सिंह पर मारपीट करने का भी आरोप लगाया है। कोर्ट में दायर किए गए आवेदन में लिखा है कि उनको मारा-पीटा जाता है और उनके जरूरी दस्तावेजों के साथ कपड़े भी जला दिए गए हैं। मौखिक रूप से परेशान करने और किसी से मिलने न दिए जाने का भी आरोप लगाया गया है। विश्वेंद्र सिंह का दावा है कि वह अपने महल से निकाले जाने के बाद से कहीं और रह रहे हैं। शुरुआत में वह जयपुर के सरकारी आवास में रहे और बाद में होटलों में कमरा लेकर रहे. विश्वेंद्र सिंह का आरोप है कि महल में रखीं प्राचीन वस्तुएं, ट्रॉफी, पेंटिंग और फर्नीचर सहित करोड़ों रुपये की पैतृक संपत्ति अब पत्नी और बेटे के कब्जे में है.

ऐसे में विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी और बेटे से भरण-पोषण के रूप में हर महीने 5 लाख रुपये की मांग की है और यह भी लिखा है कि महल और सभी संपत्तियों का स्वामित्व उन्हें ट्रांसफर कर दिया जाए।

बीते रविवार 19 कई को विश्वेंद्र सिंह द्वारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद पत्नी दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह ने भरतपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें खुद पर लगे सभी आरोपों का खंडन किया। उन्होंने विश्वेंद्र सिंह पर उन्हें परेशान करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया। दिव्या सिंह का दावा है कि वह पैतृक संपत्ति बचाने की कोशिश कर रही हैं जबकि विश्वेंद्र सिंह सब बेचने में लगे हैं।

दिव्या सिंह ने कहा कि विश्वेंद्र सिंह ने मोती महल तक बेचने की कोशिश की, जिसकी वजह से पारिवारिक विवाद बढ़ गया. दिव्या सिंह ने कहा, “मेरा बेटा अनिरुद्ध सिंह मेरी देखभाल कर रहा है.” वहीं, अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि उनके पिता उन्हें बदनाम करने के लिए ऐसे आरोप लगा रहे हैं. उनका वकील हर सुनवाई में उनका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जबकि विश्वेंद्र सिंह हर बार तारीख मांग रहे हैं। अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाया कि वह मामले को पेशेवर तरीके से संभाल रहे हैं, जबकि विश्वेंद्र सिंह केवल अपने पक्ष में फैसला लेने के लिए एसडीएम पर दबाव बनाए जा रहे हैं। उन्होंने अपने पिता के आरोपों को झूठा बताया और कहा कि जब उन पर कथित तौर पर हमला किया गया तो उन्हें पुलिस के पास जाना चाहिए था।उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह से गलत SDM पर दबाव बनाने के लिए सब करवाया जा रहा है,लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि ट्रिब्यूनल कोर्ट में जो भी होगा सही होगा. मारपीट और खाना नहीं देने जैसे मामले बिल्कुल बे-बुनियाद है।हमने उन्हें किसी से भी मिलने से नहीं रोका है। उनका सोशल मीडिया पेज देखो, वह रोज लोगों से मुलाकात कर रहे हैं और महल में वे आए ही नहीं है।

भरतपुर की जनता शुरु से ही अपने राजघराने के लोगों का बहुत सम्मान करती है और राजमहल से आने वाले एक फरमान पर उन्हें ही अपना जन प्रतिनिधि चुनती रही है जिसे राजघराने का समर्थन हासिल है लेकिन पिछले कुछ अर्से से राजपरिवार के सदस्यों के मध्य ही बढ़ते बाद विवाद और झगड़ों से जनता भी किकर्तव्य विमूठ सी नजर आ रही है तथा पिछले विधान सभा चुनाव में राजघारना उसका खामियाजा भी भुगत चुकी है और लगता है कि लोकसभा चुनाव में भी उनके समर्थक प्रत्याक्षी के फिर से वही हश्र4 ही सकता है।