माहवारी स्वच्छता केवल स्वास्थ्य का नहीं बल्कि मानवाधिकार का भी मुद्दा

मासिक धर्म स्वच्छ्ता दिवस 28 मई पर होंगे विविध आयोजन

लखनऊ : माहवारी स्वच्छता केवल स्वास्थ्य का ही नहीं बल्कि मानवाधिकार का भी मुद्दा है। हर किसी को शारीरिक स्वायत्तता का अधिकार है। इसी क्रम में माहवारी के दौरान शरीर की देखभाल इस मौलिक स्वतंत्रता का एक अनिवार्य हिस्सा है, फिर भी बड़ी संख्या में माहवारी उत्पादों तथा माहवारी स्वच्छता संबंधी उपायों तक समुदाय की पहुँच नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए मासिक धर्म स्वच्छता व स्वास्थ्य को बेहतर करने और इस मुद्दे पर खुलकर बात करने के उद्देश्य से ही हर वर्ष 28 मई को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस-5) 2020-21 के अनुसार उत्तर प्रदेश में 15 से 24 साल की 72.6 फीसद युवतियाँ ही माहवारी के दौरान सुरक्षित साधनों का उपयोग करती हैं।

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस की इस वर्ष की थीम है “टुगेदर फॉर ए #पीरियडफ्रेंडलीवर्ल्ड।” अर्थात माहवारी अनुकूल विश्व के लिए एकजुट हों। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक डा. पिंकी जोवल ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र जारी कर इस दिवस पर जागरूकता सम्बन्धी विभिन्न गतिविधियों को आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत सोशल मीडिया, रैली, पोस्टर, बैनर के माध्यम से माहवारी स्वच्छता को लेकर संदेश प्रसारित किए जाएँ और किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक पर विशेष सत्र का आयोजन किया जाए। पीयर एजुकेटर द्वारा साथिया समूह तथा किशोरी समूह के बीच विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों का आयोजन कर उन्हें जागरूक किया जाये। एएनएम द्वारा ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर माहवारी स्वच्छता दिवस को लेकर विशेष परामर्श सत्रों का आयोजन किया जाए।
मासिक धर्म स्वास्थ्य तथा स्वच्छता प्रबंधन की बात करें तो इसका मतलब है मासिक धर्म के दौरान शौचालय की उपलब्धता होना जहां नहाने और हाथ धोने के लिए साबुन-पानी की व्यवस्था होने के साथ ही मासिक धर्म के दौरान सूती कपड़े और सेनिटरी नैपकिंस और इनके उचित निस्तारण की व्यवस्था हो। इस बात का भी ध्यान रखें कि दिन में कम से कम तीन बार नैपकिंस को बदला जाए।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबंधक डा. मनोज शुकुल का कहना है कि किशोरावस्था में यौनिक व प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में कम जानकारी एवं जागरूकता में कमी के कारण अनचाहा गर्भ, प्रजनन तंत्र संक्रमण एवं यौन जनित संक्रमण, एच.आई.वी. का खतरा तथा किशोरियों में विशेषकर कुपोषण व रक्तअल्पता आदि प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं पाई जाती हैं। माहवारी के दौरान सफाई के अभाव में जननांगों और पेशाब की नली में संक्रमण हो सकता है। इसका उचित समय पर उपचार न करने से बच्चेदानी के मुंह का कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) भी हो सकता है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर जागरूकता एवं किशोरों में सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन लाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं, जिनमें साथिया केंद्र (किशोर मैत्री स्वास्थ्य क्लीनिक्स) का सुदृढ़ीकरण, पीयर एजुकेशन कार्यक्रम, किशोर स्वास्थ्य दिवस का आयोजन, साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड की आपूर्ति और माहवारी स्वच्छता के लिए किशोरी सुरक्षा योजना चल रहीं है।

किशोरी सुरक्षा योजना सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाली किशोरियों में माहवारी संबंधी भ्रांतियों को दूर कर उन्हें सही जानकारी उपलब्ध कराने, माहवारी के दौरान आत्मविश्वास बढ़ाने, सेनिटरी नैपकिन या साफ सुथरे कपड़े के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। इसका एक अन्य उद्देश्य है कि किशोरियों द्वारा निःशुल्क सेनिटरी नैपकिंस की उपलब्धता को एक पुरस्कार के रूप में समझा जाए तथा इसके फलस्वरूप स्कूलों में ड्रॉप आऊट की संख्या में कमी आ सके|