रविवार दिल्ली नेटवर्क
जयपुर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार बाघों के संरक्षण को लेकर गंभीर है और सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकार द्वारा ‘प्रोजेक्ट टाईगर’ एवं ‘ईको-टूरिज्म’ नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के कारण रणथम्भौर में दुनियाभर से पर्यटकों का आगमन हो रहा है। उन्होंने इसी तर्ज पर सरिस्का बाघ परियोजना के लिए भी मास्टर प्लान तैयार करने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए।
श्री गहलोत सोमवार को मुख्यमंत्री निवास पर रणथम्भौर, सरिस्का एवं मुकुन्दरा बाघ परियोजना के प्रबंधन एवं बाघों के संरक्षण के संबंध में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में बताया गया कि सरिस्का में 2014 के मुकाबले बाघों की संख्या में ढाई गुना वृद्धि हुई है, जिसके चलते यहां वन्यजीव प्रेमियों एवं पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने मुकुंदरा में हो रहे बाघ संरक्षण के कार्यों का फीडबैक लेते हुए वहां चल रहे ग्राम विस्थापन, प्रे बेस सुधार, हेबिटेट सुधार को गति देने व विकास कार्यों में आ रही विभिन्न बाधाओं का शीघ्र निवारण करने के निर्देश दिए। रणथम्भौर में क्षमता से अधिक बाघ होने के कारण उनका पलायन धौलपुर व करौली की तरफ हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इन बाघों एवं उनके शावकों की सुरक्षा हेतु आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए।
श्री गहलोत ने कहा कि आज देश बाघ संरक्षण में अग्रणी है। यह वन्यजीव संरक्षण
अधिनियम-1972 और प्रोजेक्ट टाईगर के क्रियान्वयन में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के अथक प्रयासों से ही सम्भव हो सका है। उन्होंने प्रोजेक्ट टाईगर के प्रथम निदेशक श्री कैलाश सांखला के योगदान की सराहना की। साथ ही बाघों की पहचान के क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए राज्य वन्यजीव मण्डल के सदस्य श्री वीरेन्द्र गोधा के कार्यों की भी सराहना की।
स्वैच्छिक विस्थापन को दें प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना के मध्य आ रहे गांवों के स्वैच्छिक विस्थापन को गति प्रदान करने के लिए विकल्प के रूप में कृषि भूमि के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी रिहायशी भूमि आवंटित करने की व्यवस्था की गई है। ग्राम वासियों से अधिक से अधिक सम्पर्क कर उन्हें इस योजना के बारे में अवगत कराया जाए। मुख्यमंत्री ने रणथम्भौर, सरिस्का एवं मुकुन्दरा बाघ परियोजना में सुरक्षा व्यवस्था के सुदृढीकरण, संवेदनशील क्षेत्रों में कच्चे रास्ते, पेट्रोलिंग ट्रैक की संख्या बढ़ाने एवं चौकियों पर अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी लगाने के भी निर्देश दिए।
बाघ हमले के पीड़ितों के मुआवजे में हो वृद्धि
श्री गहलोत ने अधिकारियों को बाघ हमले में मौत तथा घायल होने पर दिये जाने वाले मुआवजे में वृद्धि करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हमले में मरने वाले के परिवार को आर्थिक सम्बल देना राज्य सरकार का दायित्व है। साथ ही ऐसे हमलों में होने वाली मवेशियों की मौतों पर मिलने वाले मुआवजे में भी बढ़ोतरी की जाए क्योंकि बाघ परियोजनाओं की सीमाओं से लगे हुए गांवों में अधिकतर लघु किसान रहते हैं और पशुपालन ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है।
परियोजना की सीमाएं हों ‘साइलेन्ट जोन’
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाघ परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है कि वन्य जीवों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। इसके लिए परियोजना की सीमाएं साइलेन्ट जोन घोषित करने तथा संबंधित कलक्टरों को इस बाबत एडवाइजरी जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों से लगी सीमाओं पर चल रहे होटलों में लाउड म्यूजिक, लेजर शो तथा आतिशबाज़ी जैसी गतिविधियों की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
अग्निशमन कार्यवाही को सराहा
श्री गहलोत ने हाल ही में सरिस्का के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा तत्परता से उठाए गए कदमों के कारण कई वन्य जीवों की जान बची एवं आगजनी से होने वाले नुकसान से पर्यावरण को बचाया जा सका है।
वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि विभाग बाघ परियोजनाओं में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में निरंतर नए आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने बाघों की सुरक्षा के लिए दुर्गम व संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त चौकियों का निर्माण करवाने के निर्देश दिए।
सोलर पम्प से 44 लाख की वार्षिक बचत प्रमुख शासन सचिव श्री शिखर अग्रवाल ने बताया कि रणथम्भौर परियोजना में पानी के लिए की गई सोलर व्यवस्था से लगभग 44 लाख रूपये की वार्षिक बचत हो रही है। इससे पहले विभाग प्रतिवर्ष डीजल पम्प एवं टेंकरों के संचालन के लिए लगभग 65 लाख रूपये का खर्च वहन करता था।
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्री अरिन्दम तोमर ने बताया कि तीनों परियोजनाओं में विशेष बाघ संरक्षण बल क्रियाशील हैं एवं रिक्त वनरक्षक पदों के विरूद्ध 200 से अधिक बॉर्डर होम गार्ड नियोजित किए गए हैं। साथ ही परियोजनाओं में जल प्रबंधन में सुधार लाने के लिए विभाग द्वारा निरन्तर नवाचार किए जा रहे हैं।
बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा, प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री अखिल अरोड़ा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) श्री दीप नारायण पाण्डेय, शासन सचिव, वन विभाग श्री बी.प्रवीण, मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) श्री पी.काथिरवेल, मुख्य वन संरक्षक मुकुन्दरा श्री सेडूराम यादव, सरिस्का, रणथम्भौर एवं मुकुन्दरा टाईगर रिजर्व के वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, उप वन संरक्षक, अलवर, कोटा व सवाई माधोपुर के कलक्टर सहित वन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी वीसी के माध्यम से उपस्थित थे।