जेठ का पहला मंगल लखनऊ में धूमधाम से मनाया जा रहा है। भीषण गर्मी के बावजूद प्रमुख हनुमान मंदिरों में भक्तों की कतार दिख रही है। गली-गली में भंडारों की तैयारियां देखी जा सकती हैं।
बजरंग बली को समर्पित पहला बड़ा मंगल आज है। राम भक्त हनुमान के मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहे हैं। खासकर लखनऊ में इसका विशेष महत्व है और यह भव्य पर्व के रूप में मनाया भी जाता है। सोमवार रात 12 बजे से ही दर्शन पूजन का सिलसिला शुरू हो गया। हनुमान सेतु मंदिर में रात 12 बजे बजरंग बली की आरती हुई और बड़ी संख्या में भक्तों ने अपने आराध्य देव के दर्शन किए।
वहीं अलीगंज का नया हनुमान मंदिर तो दोपहर तीन बजे से ही खुल गया। झूले लगने शुरू हो गए थे। मंदिर परिसर में भक्तों ने डेरा डालना शुरू कर दिया था। रात 12 बजे दंडवत करते भक्तों ने महावीर के दरबार में हाजिरी लगाई।
हनुमान सेतु मंदिर की साज-सजावट पूरी हो गई और सोमवार रात 12 बजे ही मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया गया। मंगलवार को रात 12 बजे तक बाबा के दर्शन होंगे। मंदिर प्रबंधन के पदाधिकारी चंद्रकांत द्विवेदी का कहना है कि प्रवेश परिक्रमा पथ से होगा। हनुमान सेतु मंदिर आने वालों के लिए बीरबल साहनी मार्ग स्थित उत्तरायणी मेला स्थल, कॉल्विन ताल्लुकेदार कॉलेज के गेट नंबर 2 पर चार पहिया वाहन के लिए और परिसर में स्वीमिंग पुल के पास दोपहिया वाहन खड़े करने की व्यवस्था है।
अलीगंज नया हनुमान मंदिर : लगेगा बाल भोग, दोपहर में भंडारा, शाम को शर्बत वितरण
अलीगंज श्री महावीर जी ट्रस्ट के सचिव सेवानिवृत्त आईपीएस राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि हर वर्ष की तरह सुबह से रात तक आयोजन होंगे। सोमवार दोपहर तीन बजे से ही मंदिर खुल गया, फिर बंद नहीं हुआ। मान्यता है कि 400 वर्ष पुराना है यह मंदिर। कार्यालय अधीक्षक राकेश दीक्षित ने बताया कि सुबह बजरंग बली को हलवा-पूड़ी का बाल भोग लगेगा। दोपहर में भंडारा होगा, जो चार बजे तक चलेगा। इसके बाद शर्बत वितरण होगा।
हनुमत धाम : शाम पांच बजे से शुरू होगा सुंदरकांड व भंडारा
राणा प्रताप मार्ग स्थित हनुमंत धाम मंदिर में शाम पांच बजे से रात आठ बजे तक भजन संध्या व सुंदरकांड पाठ होगा। याज्ञनिक जी महाराज पाठ करेंगे। इस दौरान वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना मुख्य अतिथि होंगे। शाम पांच बजे से ही प्रसाद वितरण शुरू होगा।
पंचमुखी हनुमान में भोर से ही कतार
बीरबल साहनी मार्ग स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के पवन कुमार मिश्रा ने बताया कि सुबह चार बजे से मंदिर खुल जाता है। रात 11 बजे तक खुला रहेगा। सुबह का पूजन 1008 गुलाब के फूलों से हनुमान जी का सहस्त्रार्चन और फिर दिन भर अभिषेक व शृंगार होगा। सुबह चना प्रसाद बंटेगा, फिर बूंदी और साथ में भंडारा होगा।
हाथी बाबा मंदिर : मनोकामना पूर्ति के लिए सुबह से लगती है कतार
सीतापुर रोड स्थित हाथी बाबा मंदिर की स्थापना वैष्णव संत मंडल के अध्यक्ष श्री 1008 महंत रामदासजी महाराज ने कराई थी। मंदिर के महंत शिवम पांडे व ज्योतिषाचार्य आनंद दुबे ने बताया कि दूर-दूर से दर्शन के लिए भक्त आते हैं। मनोकामना पूर्ति के लिए यहां सुबह से ही कतार लग जाती है। कहते हैं कि महंत रामदास जी दो हाथी पाले थे। जहां भी जाते थे इनके साथ जाते थे, धीरे-धीरे वे हाथी वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
लेटे हुए हनुमान मंदिर में गूंजेगी किन्नर समाज की बधाइयां
लेटे हुए हनुमान जी मंदिर के मुख्य सेवादार डॉ. विवेक तांगड़ी ने बताया कि पहले बड़े मंगल पर हनुमान जी के पूजन में किन्नर समाज की विशेष भूमिका रहेगी। हनुमान जी के शृंगार व आरती के पश्चात किन्नर समाज की ओर से हनुमान जी को बधाई गीत सुनाए जाएंगे और उत्सव मनाया जाएगा। ट्रस्ट के सचिव डॉ. पंकज सिंह भदौरिया ने बताया कि प्रात: पांच बजे मंगला आरती के साथ मंदिर खुल जाएगा तथा भंडारा 10:30 बजे से शुरू होगा। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष रिद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि दिनभर भंडारा और देसी गुलाब से बने ताजे शरबत के बांटे जाने के साथ साथ ही गर्मी से बचने के लिए कूलर, पंखों और अन्य व्यवस्था किए जाने के बारे में बताया।
नवाब वाजिद अली शाह के वक्त शुरू हुई थी यह परंपरा
इतिहासकार पद्मश्री स्व. योगेश प्रवीण की पुस्तक लखनऊनामा के मुताबिक, नवाब वाजिद अली शाह ने अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में भंडारा कराया था, इसके बाद से ही इसकी शुरुआत हुई। नवाब की बेगमों ने ही बड़े मंगल की शुरुआत की थी। नवाब की बेगमों की तरफ से इस मंदिर में बंदरों को चना खिलाया जाता था। उनकी बजरंगबली के प्रति इतनी श्रद्धा थी कि उस समय बंदरों की हत्या प्रतिबंधित थी। नवाब वाजिद अली शाह ने अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के शिखर पर जो चांद की आकृति लगवाई थी, वह आज भी वहां मौजूद है। कहते हैं कि नवाब वाजिद अली शाह बजरंगबली से बेहद प्रभावित हुए थे, इसलिए प्राचीन हनुमान मंदिर में दर्शन पूजन करने के साथ ही वह भंडारा भी करते थे और उन्होंने निशानी के तौर पर वहां चांद लगवाया था।