पिंकी सिंघल
*वैर भाव को दिल से मिटाएं*
*देर न अब पल भर की लगाएं*
*भूल जाति और धर्म का भेद*
*आओ मिलकर हम ईद मनाएं*
रमजान पूरे होते ही हमारे मुसलमान भाइयों और बहनों का इंतजार भी खत्म हो जाता है क्योंकि ईद का पावन पर्व चारों तरफ उमंग और उत्साह भरने के लिए दस्तक देने लगता है। इस वर्ष 2022 में ईद का पवित्र त्योहार इसी महीने की 3 तारीख दिन मंगलवार को आ रहा है। चांद दिखाई देने पर निर्भर इस बार का अपना एक अलग ही चार्म होता है। पूरे महीने उपवास और कड़े नियमों का पालन कर कर हमारे मुसलमान बंधु बांधव बड़ी ही शिद्दत से ईद के आने का इंतजार करते हैं।
सऊदी अरब में चूंकि चांद रविवार को नहीं दिखाई दिया, इसलिए भारत में ईद का पर्व 2 मई को ना मनाया जाकर 3 मई को मनाया जाएगा।ईद का यह पावन पर्व पूरी मानव जाति के लिए शांति और सौहार्द का पैगाम लेकर आता है। त्यौहार तो होते ही अपनों को करीब लाने के लिए हैं। अन्य पर्वों के जैसे ही ईद पर भी लोग नए वस्त्र धारण करते हैं ,नमाज अदा करते हैं ,एक दूसरे के गले मिलते हैं और ऊपर वाले से सभी के लिए चैन, शांति और खुशियों की दुआ करते हैं।
कहा जाता है कि प्रत्येक पर्व किसी ना किसी घटना से जुड़ा होता है किसी न किसी कथा का हमारे त्योहारों से संबंध अवश्य होता है ऐसा ही ईद के साथ भी है ईद को मनाए जाने के पीछे भी एक विशेष वजह है।।कहा जाता है कि इस दिन पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में अप्रतिम जीत हासिल की थी और इसी खुशी में लोग प्रत्येक वर्ष ईद मनाते हैं।
3 मई 2022 को मनाए जाने वाली ईद को ईद उल फितर भी कहा जाता है ।ईद उल फितर के उपलक्ष में सभी सरकारी संस्थानों, कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय अवकाश होता है। ईद के इस पावन अवसर पर सभी लोग आपसी भेदभाव भुलाकर एक-दूसरे को ईदकी मुबारकबाद देते हैं ,मिठाई का आदान प्रदान करते हैं और एक दूसरे की खुशियों में शरीक होकर उन् खुशियों को कई गुना बढ़ा देते हैं ।इस अवसर पर अक्सर लोग यह भूल जाते हैं कि उनके धर्म, संप्रदाय और जातियां अलग-अलग हैं और यही हमारे त्यौहारों और पर्वों की विशेषता होती है जो हमें सीख देते हैं कि कोई भी त्यौहार किसी एक विशेष वर्ग ,संप्रदाय ,धर्म या जाति से जुड़ा हुआ नहीं होता और हमें प्रत्येक त्योहार को परस्पर सद्भाव एवं श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए ।त्योहारों को मनाते समय यह कतई नहीं सोचना चाहिए कि यह त्योहार हमारे धर्म से संबंधित नहीं है अथवा इस अमुक पर्व को मनाने से हमारी धार्मिक एकता और अखंडता पर आंच आएगी क्योंकि त्योहार एक दूसरे को करीब लाने का काम करते हैं ना कि एक दूसरे के दिलों में कड़वाहट लाने का ,और जब दिल आपस में मिलने लगते हैं तो एकता का बंधन और भी अधिक मजबूत हो जाता है।
अक्सर देखा गया है कि सभी धर्मों के अधिकतर सभी त्योहार वर्षकी किसी विशेष तिथि पर ही पड़ते हैं ,परंतु ईद उल फितर के साथ ऐसा नहीं है ईद उल फितर का मनाया जाना पूर्ण रूप से चांद दिखने पर निर्भर करता है ।ईद उल फितर रमजान के पूरा होने का संकेत भी माना जाता है।ईद अल-फितर में एक विशेष सलात (इस्लामी प्रार्थना) होती है जिसमें दो रकात (इकाइयाँ) होती हैं जो आम तौर पर एक खुले मैदान या बड़े हॉल में की जाती हैं।(स्त्रोत: गुगल)अन्य धर्म के त्योहारों के जैसी ही ईद पर भी लोग दिल खोलकर दान करते हैं एक दूसरे को उपहार देते हैं और दावतों का आयोजन भी करते हैं।
ईद उल फितर त्योहार हम सभी को मिलजुल कर शांति पूर्वक रहने के साथ एक दूसरे के धर्म का आदर सत्कार करना भी सिखाता है। ईद के दिन ईद के दिन मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए विशेष प्रकार की तैयारियां की जाती है ताकि सभी मुस्लिम भाई आपसी प्रेम और सद्भाव के साथ मिलजुल कर नमाज अदा कर सके और पूरे विश्व के लिए चैन और अमन की दुआ मांग सकें। हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हमें प्रत्येक तोहार चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हो को पूरी श्रद्धा और सद्भाव के साथ मनाना चाहिए और मानव जाति के कल्याण की ईश्वर से कामना करनी चाहिए।
*दिल से मांगें हम बस यही दुआ*
*दूर हो अब हर गिला शिकवा*