आखिर प्रधानमंत्री की ध्यान साधना से क्यों परेशान है प्रतिपक्ष?

After all, why is the opposition upset with the Prime Minister's meditation?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें चरण के चुनाव प्रचार का शोर गुरुवार को बंद हो गया था और अब शनिवार को मतदान के साथ ही देश में 18 वीं लोकसभा के गठन के लिए चुनाव संपन्न हो जायेगे । करीब 76 दिन तक चले इस चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 172 रैलियां और रोड शो किए वहीं कांग्रेस केकी ओर से राहुल गांधी ने 107 रैलियां की। अब शनिवार 1 जून 2024 को 8 राज्यों की 57 लोकसभा सीटों के लिए मतदान होगा और करोड़ों मतदाता मैदान में उतरे 904 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर अपने जनप्रतिनिधियों को चुनेंगे।

चुनाव प्रचार की व्यस्तताओं से मुक्त होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के अंतिम छोर पर तीन समुद्रों के संगम पर स्थिति कन्याकुमारी में ध्यान करने के लिए पहुंच गए हैं। प्रधान मंत्री मोदी एक जून की शाम तक कन्याकुमारी में रह कर बिना अन्न खाए 46 घंटे की साधना करेंगे। इस दौरान नौ सेना से लेकर पुलिस तक का कड़ा पहरा लगाया गया है। राहुल गांधी ने भी अपनी भारत यात्रा की शुरुआत कन्याकुमारी से की। आखिर नरेंद्र मोदी से लेकर राहुल गांधी तक के लिए कन्याकुमारी क्यों खास है ? यह राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान आज पूरे देश और दुनिया के चर्चा के केंद्र में है। उन्होंने शुक्रवार को सुबह मां अम्मन मंदिर में भी पूजा अर्चना की और इसके बाद विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान केंद्र में ध्यान साधना में तल्लीन हो गए। ऐसा ही दृश्य कुछ वर्षों पहले उत्तराखंड के 13 हजार फीट ऊंचे केदार नाथ धाम की एक गुफा में भी देखा गया था। वहां भी प्रधानमंत्री ने भगवा झौला पहन कर घंटों साधन की थी। कन्या कुमारी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ध्यान साधना से प्रतिपक्ष परेशान है और न्यायालय की शरण में जाने के साथ उनके दारा प्रधान मंत्री पर तीखे बयानों से प्रहार भी किया जा रहा है।

भाजपा के स्टार प्रचारक और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौन साधना पर विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा है कि आज का दिन इसलिए शुभ हैं क्योंकि प्रधानमंत्री मौन हैं। उन्होंने कहा दो दिन पहले तक विपक्ष के नेताओं को गीदड़ भभकी देने वाले मोदी आज चुप हैं। विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी को मौन तपस्या में 11-11 कैमरे लगाने की जरूरत क्यों पड़ गई है। यह दिखावा नहीं तो और क्या है ?,

विपक्ष ने यह भी कहा है कि इस बार की लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया 82 दिनों लम्बी रही है। भीषण गर्मी में आखिरी दो चरणों के चुनाव त्रासदी पूर्ण रहे है। यह केवल और केवल एक पार्टी विशेष को लाभ पहुंचाने, देश को घृणा में बांटने, भय के माहौल को कायम रखने और जनता के मुद्दों को खत्म करने के लिए किए गए कुत्सित प्रयास का हिस्सा है। प्रतिपक्ष ने भारत निर्वाचन आयोग पर भी कड़े आरौप लगाए है कि आयोग ने अपनी आंखें, नाक और मुंह सब बंद कर लिया है और आयोग अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन सही से नहीं कर रहा है।अभी भी आयोग के पास पास मौका है कि वह संविधान से मिली ताकत का इस्तेमाल कर अपनी विश्वसनीयता दोबारा कायम कर सकता है।

राँची में झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा से देश और राज्य की जनता व्यथित है। इस बार जनता चुनाव लड़ रही है और जनता ही भाजपा और पीएम मोदी का हिसाब लेगी। सुप्रियो ने कहा कि भाजपा ने सिर्फ समाज को नहीं बांटा, बल्कि परिवारो को भी बांट दिया। इसका जनता हिसाब लेने के लिए तैयार बैठी है। अडानी की लूट और भाजपा की घृणा की राजनीति के खिलाफ इस बार बाबा भोलेनाथ सभी मनोकामना पूरी करेंगे। हम सभी को 4 जून का बेसब्री से इंतजार है। झामुमो नेता ने दावा किया है कि अब 2024 के लोकसभा चुनाव में 2004 दोहराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देशभर की जनता के आशीर्वाद से दिल्ली में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी।

इधर भाजपा ने कहा है कि ध्यान भारत की बहुत प्राचीन परंपरा है और योग इसका अगला पड़ाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले योग को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दारा देश-विदेश में प्रचारित कर चुके हैं और अब ध्यान की ताकत को भी दुनिया से परिचित कराना चाहते हैं।

देखना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह ध्यान साधना शनिवार को लोकसभा आम चुनाव के अंतिम दौर की मतदान प्रक्रिया पूरी होने तथा एग्जिट पोल आने तक पूरी होने के साथ साथ क्या परिणाम दिखाएगी?