प्रो. नीलम महाजन सिंह
मैंने पिछले दिनों अपनीं रिसर्च टीम के साथ काफ़ी शोधकार्य किया कि लोक सभा – 2024, में कौन से राजनीतिक दल की विजय होगी। अनेक वरिष्ठ पत्रकारों- स्तंभकारों से भी डाटा एकत्रित किया। डॉ. कबीर सिद्दीकी, प्रधान संपादक; आलमी टीवी व मीडिया समूह, के साथ मिलकर, भारतीय संसद – 2024 के लिए एग्ज़िट पोल का विश्लेषण किया गया है। चुनावों के लिए क्या भविष्यवाणी है? मैं यह स्पष्ट रूप से कहना चाहती हूँ कि भाजपा को 18वीं लोकसभा में दो तिहाई बहुमत मिलेगा और नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री होंगें। यह भारत के राजनीतिक इतिहास में एक विशेष क्षण होगा। मैंने दूरदर्शन पर चुनाव विश्लेषण कार्यक्रम शुरू किये थे। ‘दूरदर्शन समाचार की पथप्रदर्शक’ के रूप में, मेरे अनुसार कुछ ऐसे कारक हैं जो भाजपा-एनडीए को बढ़त दिलाते हैं। मुख्य कारक यह है कि कोई भी ठोस विपक्षी दल नहीं है। लोग समझ सकते हैं कि इस विपक्षी गठबंधन के पास कोई मुद्दा या एजेंडा भी नहीं है। यह ताश के पत्तों की तरह ढह जाएगा। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनावों के पूर्वानुमानों पर राजनीतिक विश्लेषण अलग-अलग हैं, लेकिन देश के 18वें आम चुनाव में 543 में से 343 सीटें से अधिक भाजपा को मिलेंगीं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नेतृत्व मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। जनता आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन (I.N.D.I.A.) विपक्षी दलों की तुलना में, बीजेपी-एनडीए पर अधिक भरोसा करेंगें, क्योंकि वे आम आदमी के लिए एक व्यवहार्य वैकल्पिक नेता, नीतियाँ व एजेंडा प्रदान करने में विफल रहे हैं। 01 जून को शाम 6 बजे से अंतिम चरण के मतदान के बाद एग्ज़िट पोल जारी किए गए। अंतिम परिणाम 04 जून को घोषित किए जाएँगें। हम तथ्यात्मक रूप से यह भविष्यवाणी कर सकते हैं कि भाजपा- एनडीए को बढ़ोतरी मिलेगी। मैंने स्पष्ट रूप से देखा है कि भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार बनाएगा। यह मेरी रिसर्च का विषय था, व मैं अपनी टीमों द्वारा किए गए ज़मीनी सर्वेक्षण व साक्षात्कारों के आधार पर यह बात दृढ़ता से कह सकती हूं । मैं ऐसा इसलिए भी कह रही हूँ, क्योंकि केंद्र में मौजूदा भाजपा सरकार को 2024 के लोकसभा चुनावों में न तो कोई खास असंतोष का सामना करना पड़ रहा है और न ही विकल्प की कोई मज़बूत मांग है। प्रसिद्ध चुनाव विश्लेषक प्रशांत किशोर ने भी इसी तरह का आंकलन किया है। दरअसल राजनीतिक दलों द्वारा किए गए हमले ‘व्यक्ति केंद्रित’ रहे। आम आदमी से जुड़े वास्तविक मुद्दे विपक्ष के वादों से गायब थे। मुझे पूरा विश्वास है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सत्ता में वापस आ रही है। उन्हें 2019 के चुनावों के लगभग बराबर या उससे थोड़े अधिक नंबर मिलेंगें। नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित करेंगें। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यह आरोप लगाया है कि श्री नरेंद्र मोदी ने नफ़रत भरे शब्दों से प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। डॉ. मनमोहन सिंह का, केवल नरेंद्र मोदी के लिए, ऐसा कहना एक व्यक्तिपरक (subjective) ब्यान है। दरअसल, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, ममता बनर्जी, केजरीवाल, तपस्वी और लालू यादव द्वारा, कांग्रेस के लिए किया गया अभियान भी उतना ही नफ़रत भरा था। नरेंद्र मोदी पर विपक्षी पार्टियों के समूह ने जमकर हमला किया था। सच तो यह है कि सार्वजनिक चर्चा काफ़ी हद तक ख़राब हो गई है, इसलिए यह किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं कहा जा सकता। हालांकि भाजपा के भीतर कुछ असंतोष है, लेकिन इसके ख़िलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा के प्रमुख नेता, नरेंद्र मोदी को किसी भी तरफ से कोई चुनौती नहीं मिली। क्या भाजपा का ‘अबकी बार 400 पार का नारा’ सच होगा? भाजपा एक चतुर पार्टी है! उन्होंने मतदाताओं में उत्साह पैदा करने के लिए 400+ का नारा दिया। उन्हें पता है कि उन्हें इससे कम सीटें मिलेंगीं, लेकिन वे सरकार बनाएंगें, इसलिए यह कोई खास बात नहीं है। राजनीति में ‘धारणा और प्रक्षेपण’ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे विपक्षी गठबंधन को 200 से 210 सीटें मिलेंगीं, जो संसद में भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करेंगी। इसलिए, हमें देखना होगा कि भाजपा को 272+ बहुमत का आंकड़ा मिलता है या नहीं। राजनीति और चर्चा जारी रहेगी। भाजपा के पास वर्तमान में पूर्व और दक्षिण में 240 में से 50 से भी कम सीटें हैं, जिसमें बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य शामिल हैं। पार्टी की ताकत उत्तर और पश्चिम से आती है, जहां इसने 300 में से 260-270 सीटें हासिल की हैं। इसके अलावा दक्षिण और पूर्व में भाजपा का वोट शेयर और सीटें बढ़ रही हैं। टिप्पणी करने वाले लोग ऐसा करते रहेंगें। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि बीजेपी-एनडीए सत्ता में वापस आ रही है।
नई सरकार को किन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ? ‘नरेंद्र मोदी सरकार 03’ में किसानों से बातचीत करनी होगी। हरियाणा और दिल्ली ने बार-बार किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका। लगातार होने वाले कृषि आंदोलन, रोज़गार, एफडीआई, अस्पताल, मज़बूत विदेश नीति, आर्थिक पुनरुत्थान व वैश्वीकरण, राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और महिलाओं की सुरक्षा, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। फ़िर कौन से प्रमुख मुद्दे हैं जो नरेंद्र मोदी की शानदार वापसी सुनिश्चित करेंगें? क्या हिंदुत्व एक महत्वपूर्ण कारक है? यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन, जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को खत्म करना और भाजपा-एनडीए सरकार द्वारा ‘समान नागरिक संहिता’ को लागू करना मतदाताओं की मानसिकता पर बहुत प्रभाव डालता है। इसके अलावा, ये भाजपा के एजेंडे में शुरू से ही प्रमुख मुद्दे थे। वास्तव में नरेंद्र मोदी ने ही इसे साकार किया। इसके अलावा उनके पास एक शक्तिशाली वक्तृत्व कौशल और भविष्य के लिए दृष्टि भी है। लोग उनसे जुड़ते हैं। बेशक हिंदुत्व बहुत ज़्यादा वोट खींचने वाला है। अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि नरेंद्र मोदी अपनी राजनीतिक उपलब्धियों को मज़बूत करने की योजना बना रहे होंगें और भारत के वैश्विक एकीकरण के भविष्य पर ध्यान केंद्रित करेंगें। आलमी मीडिया ग्रुप के साथ अपना जो शोध कार्य किया उसका आंकलन बहुत महत्वपूर्ण है। पाठकों के साथ मुझे अपना विश्लेषण सांझा करने के इस अवसर पर आनंद आ रहा है। भारतीय प्रजातंत्र में चुनाव, जनता के लिए उत्सव है। जवाहर लाल नेहरू, 17 वर्षों तक भारत के प्रधान मंत्री रहे। 1947 में स्वतंत्रता उपरांत नेहरू ही प्रधान मंत्री बने। अब मोदी युग में, भाजपा की विजय लगातार हो रही है और आज़ादी का अमृत काल लागू है। नरेंद्र मोदी सरकर को सर्व-धर्म प्रभुता की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।इतिहासकारों का विभिन्न प्रकार का विश्लेषण भी राजनीतिक पथ प्रदर्शक है।
(राजनीतिक समीक्षक, दूरदर्शन समाचार व्यक्तित्व, अंतर्राष्ट्रीय सामरिक विशेषज्ञ, मानवाधिकार संरक्षण सॉलिसिटर व परोपकारक)