- वन नेशन वन इलेक्शन और पीओके के भारत में विलय का मार्ग भी होगा प्रशस्त?
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में 18 वीं लोकसभा के चुनाव संपन्न होने के बाद शनिवार को आए एग्जिट पोल के रुझानों से लग रहा है कि देश में एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपानीत एनडीए (राजग) सरकार बनने जा रही है। देश में 11 से अधिक एग्जिट पोल्स ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उनके एनडीए सहयोगी दलों को बहुमत मिलने का दावा किया हैं । वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों को 295 सीटे मिलने का दावा कर रहे है। उनके दावों में कितना दम है, यह चार जून को आने वाले चुनाव परिणाम स्पष्ट कर देंगे।
इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने गठबंधन के लिए ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा दिया था। फिलहाल एग्जिट पोल्स के तीन सर्वे में भाजपा गठबंधन को 400 या उससे ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। अगर एग्जिट पोल के रुझान सच साबित होते हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी को लगातार तीसरी बार चुनाव में जीत दिलाने के मामले में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे। वर्ष 2019 ने 17 वीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने 303 सीटे जीती थी,जबकि भाजपा और राजग के 22 सहयोगी दलों की कुल संख्या 353 थी। कांग्रेस को 53 सीटे और उसके यूपीए सहयोगियों को मात्र 38 सीटे ही मिली थीं।
भारतीय राजनीति में 2014 से मोदी युग का प्रादुर्भाव हुआ है, जिसने भाजपा और देश की राजनीति को 360 डिग्री तक बदल कर रख दिया है। इन चुनावों में मोदी अपने गृह प्रदेश गुजरात के वडोदरा के साथ उत्तर प्रदेश के पवित्र तीर्थ वाराणसी (काशी) से भी चुनाव लडे थे लेकिन उन्होंने बाद में वडोदरा की सीट छोड़ कर अब वाराणसी को ही अपना स्थाई संसदीय क्षेत्र बना लिया है। देश की राजधानी नई दिल्ली में पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रपति भवन के विशाल प्रांगण में “मैं नरेन्द्र दामोदर मोदी ईश्वर को साक्षी रख शपथ लेता हूं…..” की उद्घोषणा के साथ उन्होंने अपने मंत्री परिषद के पहले शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्ष को भी आमंत्रित किया था और बाद में भारत के करोड़ों लोगों ने उन्हें संसद की चौखट पर शीश रख लोकतन्त्र के मंदिर की आराधना करते हुए देखा था। साथ ही उन्हें संसद के संयुक्त अधिवेशन में भारतीय संविधान के आगे भी सिर झुकाते हुए देखा गया था। प्रधान मंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में कई अभिनव प्रयोग किए। योजना आयोग को नीति आयोग में बदल दिया। साथ ही भाजपा की दशा और दिशा भी बदल दी तथा भाजपा एवं आरएसएस के एजेंडे को अमलीजामा पहनाया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और पूर्व उप प्रधान मंत्री लालकृष्ण आडवाणी की टोली को किनारे रख कर और एक मार्गदर्शक मंडल बना कर लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित कई वरिष्ठ नेताओं को उसमें शामिल कर वे चर्चित हो गए। मोदी ने आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ को मुख्यमंत्री बना पूरे प्रदेश की फिजा ही बदल कर रख दी। मोदी ने देश ही दुनिया में भी अपनी विशिष्ठ शैली और ख्याति की अनूठी छाप छोड़ी और 11 दिसम्बर 2014 को अमेरिका में स्थित संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद सर्वप्रथम इसे 21 जून 2015 को पूरे विश्व में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ (इंटरनेशनल डे ऑफ योगा) के नाम से मनाने की शुरुआत करवा अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी अर्जित की। उन्होंने देश भर में स्वच्छता आंदोलन का सूत्रपात किया। देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने तथा सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए भी कई उपक्रम किए और भारत को आंख दिखाने वाले पाकिस्तान और चीन आदि देशों को बोलती बंद कर दी। अपने दूसरे कार्यकाल में भी मोदी ने न केवल भाजपा एवं आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाया वरन सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद राम मंदिर के सपने को भी साकार कर दिखाया। हर घर नल से पानी सहित कई जन कल्याणकारी कार्यक्रम और योजनाएं हाथ में ली। सड़क और रेल नेटवर्क का ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन किए और गरीबों के लिए रोटी,कपड़ा और मकान की चिंता की। चंद्र मंगल यान और सूर्य तक की हदें पार करने के सपनों को पूरा करने का प्रयास किया। सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को विश्व का सबसे बड़ा हब बनाने की महत्वाकांक्षी परियोजना हाथ में ली। मोटे अनाज मिलेटस को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। उन्होंने भारत को विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया।साथ ही एक बड़े और लोकप्रिय नेता के तौर पर अपनी अंतर राष्ट्रीय पहचान बनाई।
18 वीं लोकसभा के चुनाव पिछले लोकसभा चुनावों से काफी भिन्न रहे। राहुल गांधी ने भारत यात्रा कर और सभी विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन बना कर मोदी के सामने एक नई चुनौती रख दी। मोदी के पहले कार्यकाल के बाद देश का नक्शा भगवा रंग से रंग गया था । कालांतर में कांग्रेस ने कुछ प्रदेशों और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की वापसी के साथ ही देश में किसान आंदोलन की चुनौती के अलावा मंहगाई एवं बेरोजगारी के मुद्दे भी उछले। आम अवाम भी काफी मुखर हुआ लेकिन कई कयासों और अंतर्विरोधों के बावजूद इस बार भी एग्जिट पोल के रुझान देश में तीसरी बार मोदी सरकार के लिए मार्ग प्रशस्त करते हुए दिखाई दे रहे है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत में एक नए मोदी युग का सूर्योदय होगा और प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में काफी परिवर्तन भी देखने को मिल सकते है। वैसे मोदी की थाह लेना आसान नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ लंबे समय तक पीआरओ रहे दिवंगत जगदीश ठक्कर और दिल्ली में गुजरात भवन के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते है कि मोदीजी अपनी धुन के पक्के है और जो संकल्प वो लेते है उसे पूरा करने से पहले चेन की नींद नहीं लेते और किसी को लेने भी नही देते है। मोदी के काम करने और राज करने की अपना एक विशिष्ठ और बेजोड़ शैली है। वे चौबीस घंटे बिना थके परिश्रम कर सार्थक परिणाम सामने लाने के आदी है। वे बताते थे कि मोदी जी को गोधरा काण्ड ने बहुत आहत किया था लेकिन देश विदेश में हुई आलोचनाओं का उन्होंने बहुत ही हिम्मत और दृढ़ता के साथ सामना किया तथा सभी को यह भरौसा दिलाने में कामयाब रहे कि उनका विश्वास धर्म आधारित राजनीति और धार्मिक आरक्षण जैसे जुमलों के स्थान पर सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास जैसे विकास मॉडल तथा भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर है।
दिवंगत जगदीश ठक्कर और दिल्ली में गुजरात भवन के अधिकारी यह भी बताते थे कि मोदी जी को यदि कोई बात चुभ जाती है तो वे उसे छोड़ते नही बल्कि जब तक वह चुभन दूर नही हो जाएं तब तक चैन से नहीं बैठते। इसके एक रोचक उदाहरण का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने कांग्रेसनीत यूपीए सरकार से कई बार गुहार लगाई कि देश की राजधानी नई दिल्ली में अन्य प्रदेशों के एक से अधिक स्टेट भवन की तरह गुजरात को भी एक नया भवन बनाने के लिए भूमि आवंटित की जाए चूंकि नई दिल्ली में कोटिल्य मार्ग पर स्थित गुजरात भवन प्रदेश का एक मात्र भवन है, लेकिन तत्कालीन सरकार ने नए गुजरात भवन के लिए जगह नहीं दी और दिल्ली से दूर भूमि लेने को कहा । मोदी जी को यह बात चुभ गई और जब 2014 में पहली बार वे देश के प्रधान मंत्री बने तो सबसे पहले केंद्रीय निर्माण विभाग के अधिकारियों को तलब किया और दक्षिणी दिल्ली के प्रमुख एरिया में नए गुजरात भवन के लिए जमीन ढूंढ कर बताने के आदेश दिए और वही अधिकारी जो कभी कहते थे कि दक्षिणी दिल्ली के प्रमुख एरिया में कोई भूमि उपलब्ध नहीं है, ने अकबर रोड पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) कार्यालय के ठीक सामने सीपीडबल्यू द्वारा नर्सरी के रूप में काम में ली जा रही भूमि चिन्हित कर बताई। मोदी ने न केवल तुरंत उसका भूमि पूजन किया वरन एनबीसीसी को समयबद्ध ढंग उसे पूरा करने के लिए भी पाबंद किया और आज गर्वी गुजरात के रूप में राजस्थानी हवेली शैली में बना यह नव निर्मित नया गुजरात भवन गर्वी गुजरात एआईसीसी के ठीक सामने गर्व से खड़ा है तथा गुजराती शिल्प और आधुनिक सुख सुविधाओं का उत्कृष्ठ नमूना साबित हो रहा है ।
अब जब देश में लोकसभा के आम चुनाव संपन्न हो गए है और चार जून को आधिकारिक चुनाव परिणाम भी आ जायेंगे ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद क्या सचमुच देश में एक नए मोदी युग का सूर्योदय होगा! साथ ही वन नेशन, वन इलेक्शन सहित अन्य कई नवाचार और पीओके के भारत में विलय का मार्ग भी प्रशस्त होगा ?