राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटें नहीं जीतने पर भजन लाल सरकार क्या होगा असर ?

What will be the impact of Bhajan Lal government if it does not win all 25 Lok Sabha seats of Rajasthan?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

देश की 543 लोकसभा सीटों में से निर्विरोध निर्वाचित उम्मीदवारों को छोड़ कर शेष सीटों पर मंगलवार चार जून को होने जा रहीं मतगणना के साथ ही राजस्थान में भी लोकसभा की 25 सीटों के चुनाव परिणाम आ जायेंगे लेकिन इसके पहले लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल आने के बाद से राजस्थान भाजपा के नेताओं में चिंता बढ़ गई है। हालाँकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी ने एक बार फिर से प्रदेश की सभी 25 सीटें जीतने का दावा किया हैं। इधर कांग्रेस का दावा है कि प्रदेश में कांग्रेस और इण्डिया गठबन्धन के उम्मीदवार राजस्थान की एक दर्जन सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर देकर चुनाव जीतने की स्थिति में है। अधिकांश एग्जिट पोल्स और सट्टा बाज़ार के सटोरियों ने भी इस बार राजस्थान में भाजपा द्वारा पिछलें दो लोकसभा चुनावों की तरह राज्य की 25 में से 25 सीटें जीतने तथा जीत की हेट्रिक की संभावनाओं को सिरे से नकार दिया है। इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चाणक्य और भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह भी लोकसभा चुनाव के दौरान कह चुके है कि भाजपा को इस बार राजस्थान में एक दो सीटों का नुकसान हो रहा है। इस तरह अब यह शीशे की तरह साफ़ दिखने लगा है कि भाजपा को इस बार राजस्थान में कुछ सीटों का नुक़सान होने से उसका लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप करने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है।

यदि भाजपा इस बार प्रदेश की सभी 25 सीटें जीतने में सफल नहीं होती है तों उसका पार्टी के संगठन और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की सरकार के साथ-साथ केन्द्र में मोदी के तीसरे कार्यकाल की नव गठित सरकार में राजस्थान के प्रतिनिधित्व पर क्या असर पड़ेगा ? यह देखना दिलचस्प रहेगा। केन्द्र में अभी राजस्थान को अच्छा खासा प्रतिनिधित्व मिला हुआ है।संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा के सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तथा निचले सदन में लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला दोनों ही राजस्थान के हैं एवं मोदी मंत्रिपरिषद में पाँच मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव, अश्विनी वैष्णव, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी भी राजस्थान के है। अश्विनी वैष्णव अन्य प्रदेश से राज्य सभा सदस्य है। चुनाव जीतने पर और 18वीं लोकसभा के गठन के बाद लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला इसी पद पर बने रहेंगे अथवा नहीं यह कहा नहीं जा सकता। हालाँकि उनके कार्यकाल में नये संसद भवन का निर्माण सहित कई ऐतिहासिक काम हुए है लेकिन प्रधान मंत्री मोदी नये-नये प्रयोग करने के लिए जाने जाते है।इसलिए हो सकता है कि वे ओम बिरला को इस बार केंद्रीय मन्त्रिपरिषद में कोई नई जिम्मेदारी देकर उपकृत करे। इसी प्रकार गजेन्द्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव, अश्विनी वैष्णव, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी के बारे में भी अभी से कुछ नही कहा जा सकता है। यह संभावना भी जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव जीतने वाले कुछ नये चेहरे भी इस बार मोदी मंत्रिपरिषद का हिस्सा बन सकते है। इनमें लोकसभा चुनाव जीतने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी, स्वामी सुमेधा नंद सरस्वती, पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के पुत्र दुष्यन्त सिंह, पी पी चौधरी और चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए महेन्द्र जीत सिंह मालवीय के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी को विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने का पुरस्कार दिया जा सकता है। इसी प्रकार जाट बैल्ट में तीसरी बार चुनाव जीतने पर आर्य समाजी स्वामी सुमेधा नंद सरस्वती को भी मोदी केबिनेट में स्थान मिल सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के पुत्र दुष्यन्त सिंह इस बार लगातार पाँचवीं बार सांसद बन प्रदेश के सभी सांसदों में सबसे वरिष्ठ सांसद हो जाएँगे। इसके अलावा पी पी चौधरी लगातार तीसरी बार चुनाव जीत जाते है तों पार्टी के बड़े ओबीसी चेहरे तथा कानून के विशेषज्ञ होने के खातिर उन्हें भी मोदी मंत्रिपरिषद का हिस्सा बनाया जा सकता है।सबसे महत्वपूर्ण कांग्रेस से भाजपा में शामिल होकर गुजरात से लगते दक्षिणी राजस्थान के वागड़ क्षेत्र में कांग्रेस की कमर तोड़ देने वाले कद्दावर आदिवासी नेता महेन्द्रजीत सिंह मालवीय चुनाव जीतने पर मोदी मंत्रिपरिषद का नया चेहरा हो सकते है।

मंगलवार सवेरे से शुरू होने वाली मतगणना से पहले जयपुर में भाजपा मुख्यालय पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एग्जिट पोल के विश्लेषण और मतगणना को लेकर भाजपा की प्रदेश सह प्रभारी विजय रहाटकर, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा,केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय कृषि कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी उद्योग मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह और प्रदेश महामंत्री जितेंद्र गोठवाल के साथ मंथन किया।मतगणना में भाजपा के मतगणना एजेंटों को किन बातों का ध्यान रखना है इस पर भी विस्तार से चर्चा की गई।साथ ही 25 लोकसभा क्षेत्र के लिए मतगणना पर विशेष निगरानी करने के लिए संयोजक भी बनाए गए। विशेषकर बाड़मेर-जैसलमेर, नागौर, सीकर, झुंझुनू, चूरू, दौसा, टोक-सवाईमाधोपुर और भरतपुर आदि लोकसभा क्षेत्र की मतगणना पर विशेष ध्यान रखने की बात कही गई। राजस्थान लोकसभा की 25 सीटों को लेकर एग्जिट पोल भाजपा के नेताओं को रास नहीं आ रहा है। यह बात सही है कि इस बार के लोकसभा के चुनाव में भाजपा वर्ष 2014 और 2019 के इतिहास को नहीं दोहरा पा रही है । राजनीतिक हलकों में क़यास है कि इस बार कांग्रेस और इंडिया एलाइंस के पक्ष में पांच लोकसभा क्षेत्र जा सकते है! यही कारण है कि एग्जिट पोल के दावों को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी सहित अन्य नेता नकार रहे हैं और उनका कहना कि हम इस बार भी प्रदेश में सभी 25 सीट जीतेंगे। यह दावे 4 जून की मतगणना के बाद धरातल में किस तरह उतरेगे यह देखना होगा l राजनीतिक पर्यवेक्षक कयास लगा रहें है कि मुख्यमंत्री शर्मा और भाजपा के नेताओं का भविष्य भी इसी बात पर टिका हुआ है कि प्रदेश में लोकसभा की 25 की 25 सीट जीत कर लाई जाये। हालाँकि मतगणना के बाद ही वास्तविक स्थिति सामने आएगी।

इस बार भाजपा के चुनाव प्रचार में स्थानीय नेताओं से अधिक केंद्रीय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री आदित्य नाथ योगी आदि नेता अधिक सक्रिय रहे और क्षेत्रीय नेताओं में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी सहित कुछ स्थानीय नेता ही लोकसभा के चुनाव में सक्रिय नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे अपने बेटे दुष्यंत सिंह के लोकसभा क्षेत्र तक ही सीमित रही। यही नहीं भाजपा के स्टार प्रचारक केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बीकानेर, केंद्रीय कृषि कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी बाड़मेर-जैसलमेर और श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव अलवर तक ही सीमित रहे। चुनाव के बाद ही वह अपने क्षेत्र से बाहर निकल सके। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ.सतीश पूनिया को हरियाणा का प्रभारी बनाया गया और राजेंद्र राठौड़ को कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई। प्रदेश भाजपा कार्यालय में राज्यसभा के पूर्व सदस्य नारायण पंचारिया और धरोहर बोर्ड के अध्यक्ष औकार सिंह सिंह को लोकसभा चुनाव प्रबंधन की कमान दी गई। इसके अलावा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्र को तेलंगाना और चुनाव प्रभारी अरुण सिंह को आंध्र प्रदेश भेजना भी चर्चा का विषय बना।

कांग्रेस का एक दर्जन सीटों का दावा

इधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी दावा किया है कि राजस्थान में 12 लोकसभा क्षेत्र पर कांग्रेस और इंडिया एलाइंस का कब्जा होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में प्रदेश की झूँझुनूँ, चूरु, बाड़मेर-जैसलमेर, भरतपुर,करौली-धौलपुर, टोंक, श्रीगंगानगर, जयपुर ग्रामीण में कांग्रेस प्रत्याक्षी जीत रहे है। इसके अलावा इंडिया गठबंधन के रूप में नागौर और सीकर लोकसभा सीटों पर भी हम चुनाव जीत रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने अपने काउंटिंग एजेंट को मतगणना सही तरीके से करवाने के लिए दिशा निर्देश दिए है। उन्होंने बताया कि गत विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश में कांग्रेस से 11 लोकसभा क्षेत्र में पिछड़ी थी। राजनीतिक जानकार यह भी बता रहे है कि कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर बाप पार्टी से जो गठबंधन किया निश्चित तौर पर उसमें देरी हुई। इसी के चलते बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र में भारत आदिवासी पार्टी को समर्थन देने के बावजूद भी कांग्रेस को कोई अधिक लाभ नहीं मिला। वहां भाजपा के प्रत्याशी महेंद्रजीत मालवीया ने अपना राजनीतिक कौशल दिखाते हुए कांग्रेस के उम्मीदवार को नामांकन वापस नहीं लेने दिया। यही कारण रहा कि कांग्रेस उम्मीदवार के सामने उदयपुर सहित विभिन्न लोकसभा क्षेत्र में भारत आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार चुनौती देते रहे। कांग्रेस ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र और बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों को 11 दिन बाद निष्कासित करने की कार्रवाई करनी पड़ी। इस बार के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव सचिन पायलट ने चुनाव कमान सँभाली। पायलट राजस्थान में ही नहीं देश में 100 से अधिक चुनावी सभाएं करके प्रभावशाली नेता के रूप में निखर के सामने आए। प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने भी प्रचार प्रसार किया। भँवर जितेंद्र सिंह अलवर तक की सीमित रहे। हालाँकि इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सैकड़ो नेता भाजपा में शामिल हुए। भाजपा में जाने वाले नेताओं को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तीखी बयानबाजी भी चर्चा में रही। लोकसभा का चुनाव निश्चित तौर पर भाजपा और कांग्रेस दोनों को खट्टे-मीठे अनुभव दे गया और अब परिणाम जब आएंगे तो निश्चित तौर पर वास्तविकता सामने आएगी। वही सत्ताधारी भाजपा के नेता इस बात को नहीं मान रहे कि प्रदेश में उनकी 25 सीटें नहीं आ रही और वे कह भी रहे हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में तीसरी बार भी भाजपा प्रदेश की सभी 25 सीट भाजपा जीतेगी। अब इन सभी दावों पर से 4 जून को पर्दा उठेगा।

प्रदेश में बढ़ी राजनीतिक गतिविधियाँ

इस मध्य राजस्थान में राजनीतिक गतिविधियाँ भी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सोमवार को जयपुर राजभवन में राज्यपाल कलराज मिश्र से शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री शर्मा से सोमवार को ही अपने सरकारी निवास पर कृषि मंत्री डॉ. करोड़ी लाल मीणा ने शिष्टाचार भेंट की।राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि डॉ. करोड़ी लाल मीणा ने 4 जून को लोकसभा चुनाव को लेकर हो रही मतगणना में भाजपा की स्थिति को लेकर विचार विमर्श किया। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि मंत्री डॉ. करोड़ी लाल मीणा को सात लोकसभा क्षेत्र के चुनाव जीतने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन भाजपा उन सातों लोकसभा क्षेत्र में चुनाव जीतेगी या नहीं इस बात को लेकर दोनों के बीच गंभीर मंत्रणा हुई है।बताते है कि कुछ दिनों पूर्व डा मीणा ने दौसा सीट पर भाजपा प्रत्याक्षी की हार होने पर स्वयं का मंत्री पद से इस्तीफा देने की सार्वजनिक मंच से घोषणा की थी।

डॉ. मीणा ने कई मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार के मंत्रियों को पत्र लिखे थे उसके बारे में क्या कुछ निर्णय किया जाना है उसे पर भी बातचीत होने की बात सामने आ रही है।मुख्यमंत्री शर्मा ने डॉ. मीणा से आग्रह किया है कि वह अपनी बात को सीधे तौर से मुझे बताएं उन्हें पत्र लिखने और फिर उसे सार्वजनिक करने की क्या जरूरत है ? इस प्रवृत्ति से निश्चित तौर पर सरकार के कामकाज पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है। बताते है कि कृषि मंत्री डॉ. मीणा ने अपनी ही सरकार की कुछ बातों और कामकाज को लेकर नाराजगी प्रकट की है लेकिन मुख्यमंत्री शर्मा ने डॉ. करोड़ी लाल मीणा से बातचीत कर सम्मान जनक ढंग से मामलों को सुलझाने की दिशा में पहल की है । निश्चित तौर पर इस कदम से आपसी समन्वय और कथित विवाद भी निपटाने में मदद मिलने की बात सामने आ रही है।

नौकरशाही में बड़े स्तर पर फेर बदल के कयास

इधर यह भी कयास लगाये जा रहें है कि लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद प्रदेश में एक बार फिर से नौकरशाही में बड़े स्तर पर फेर बदल किए जाएँगे। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद नौकरशाही में बड़े पैमाने पर तबादले होंगे। तबादलों को लेकर अभी से ही राज्य सरकार में उच्च स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। हालांकि तबादलों के पीछे एक कारण आईएएस अधिकारियों के पास अतिरिक्त कार्यभार होना भी बताया जा रहा है। मुख्य सचिव सुधांश पंत और आठ अतिरिक्त मुख्य सचिवों और 6 प्रमुख सचिवों सहित 42 आईएएस अधिकारियों के पास विभिन्न विभागों का अतिरिक्त कार्यभार है। कई आईएएस अधिकारियों ने काम के इस बोझ की पीड़ा उच्च स्तर पर पहुंचाई भी है जिस पर अधिकारियों को लोकसभा चुनाव तक रुकने को कहा गया था। मुख्य सचिव सुधांश पंत के पास खान और खनिज के अलावा चीफ रेजीडेंटस कमिश्नर नई दिल्ली और प्रशासक राजफैड का भी अतिरिक चार्ज है।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कल्याण विभाग और पंचायत राज की एसीएस शुभ्रा सिंह के पास चिकित्सा शिक्षा का भी अतिरिक्त कार्यभार है। इसी प्रकार राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष राजेश्वर सिंह के पास राजस्थान टैक्स बोर्ड का अतिरिक्त कार्यभार है।जल संसाधन विभाग के एसीएस अभय कुमार के पास ग्रामीण विकास पंचायती राज, इंदिरा गांधी नहर और कृषि कमांड क्षेत्र का चार्ज भी है।ऊर्जा विभाग के एसीएस आलोक के पास प्रिंसिपल रेजीडेंट कमिश्नर नई दिल्ली, अध्यक्ष राजस्थान स्टेट विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड और अध्यक्ष राजस्थान ऊर्जा विकास एंड आईटी सर्विस लिमिटेड का अतिरिक्त कार्यभार है।मुख्यमन्त्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल के पास सिविल एविएशन और राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का अतिरिक्त कार्यभार है।परिवहन विभाग की एसीएस श्रेया गुहा के पास राजस्थान स्टेट बस टर्मिनल डेवलपमेंट अथॉरिटी और प्रबंध निदेशक राजस्थान स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन का कार्य प्रभार है।-गृह विभाग के एसीएस आनंद कुमार के पास सैनिक कल्याण विभाग का अतिरिक्त कार्यभार है। इनके अलावा आईएएस अजिताभ शर्मा, आलोक गुप्ता, हेमंत गेरा, गायत्री राठौड़, वैभव गालरिया, टी.रविकांत, भानु प्रकाश अटरू, नीरज के पवन, पीसी किशन, पूनम, आरती डोगरा, वी सरवाना कुमार, नरेश कुमार ठकराल, महेश चंद्र शर्मा, राजेंद्र भट्ट, राजन विशाल, रश्मि गुप्ता, वंदना सिंघवी, करण सिंह, प्रकाश राजपुरोहित, जितेंद्र कुमार सोनी, इंद्रजीत सिंह, विश्व मोहन शर्मा, राजेंद्र विजय, हरिमोहन मीणा, नरेंद्र गुप्ता, नथमल डीडेल, मनीषा अरोड़ा, मुकुल शर्मा, गौरव अग्रवाल, जगजीत सिंह मोंगा, मयंक मनीष, सलोनी खेमका, सालुख्य गौरव रविंद्र के पास भी विभिन्न विभागों के अतिरिक्त कार्य भार है। इन राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियों के साथ अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि मंगलवार की सुबह और शाम होते होते राजस्थान में ऊँट किस दल के पक्ष में किस करवट बैठेगा और मंगलवार को बजरंग बली किसकी नैया पार लगायेंगे? चुनाव परिणामों से पहले ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा सुप्रसिद्ध सालासर हनुमान जी के मंदिर में मत्था टेक कर आ चुके है।