सैन्य जीवन पर आधारित उपन्यासों की फ़ेहरिस्त में एक मील का पत्थर है: बुख़ारी

A milestone in the list of novels based on military life: Bukhari

रावेल पुष्प

कोलकाता : पंजाबी साहित्य सभा का एक विशेष आयोजन संत कुटिया गुरुद्वारा के नवनिर्मित सभा कक्ष में गुरदीप सिंह संघा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ, जिसमें खास तौर से साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त अनुवादक और लेखक श्यामल भट्टाचार्य उपस्थित थे।

श्यामल भट्टाचार्य जिनका बहुचर्चित उपन्यास बुखारी ,जो मूल रूप से बांग्ला में लिखा गया था उसका पंजाबी लेखिका प्रमिला देवी अरोड़ा ने पंजाबी में अनुवाद किया और कार्यक्रम के पहले सत्र में उसका लोकार्पण हुआ।

गौरतलब है कि ‘बुखारी’ जम्मू कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र ग्लेशियर पर सैन्य जीवन की कथा है, जिसका अनुवाद इससे पहले अंग्रेजी, हिंदी, गुजराती, ओड़िआ सहित कई भाषाओं में हो चुका है और अब विदेशी भाषा स्पैनिश में भी हो रहा है।

श्यामल भट्टाचार्य को इस मौके पर संस्था के सचिव तथा सिख इतिहासकार सरदार जगमोहन सिंह गिल ने शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया और सभी का स्वागत करते हुए अपंने वक्तव्य में कहा कि युद्ध की विभीषिका से आज सारी दुनिया आक्रांत है।

श्यामल ने अपने वक्तव्य में सियाचीन ग्लेशियर युद्ध के अघोषित होने के बावजूद वहां के सैनिकों की विकट जिंदगी पर विस्तार से प्रकाश डाला। वे स्वयं लगभग दो दशकों तक एक वायु सैनिक के रूप में उन स्थितियों से रूबरू हो चुके थे।

इस मौके पर विशेष वक्ता कवि, पत्रकार रावेल पुष्प ने उपन्यास पढ़ने का जिक्र करते हुए कहा कि सैनिक जीवन पर लिखे गए उपन्यासों की फ़ेहरिस्त में ये एक मील का पत्थर है। उन्होंने उपन्यास में वर्णित घटनाक्रम के माध्यम से कहा कि अंडमान जिसे हम कालपानी कहते हैं, उससे भी कहीं भयानक सजा इन ग्लेशियरों में सैनिक महसूस करते हैं।वहां जितनी मौतें युद्ध से नहीं होतीं,उससे कहीं ज्यादा वहां की भयानक माईनस चालीस से पचास डिग्री की ठंड से हो जाती हैं।

इसके साथ ही कार्यक्रम के दूसरे सत्र में एक कवि गोष्ठी हुई जिसमें शामिल थे- सर्वश्री गुरदीप सिंह संघा, जगमोहन खोखर, रावेल पुष्प,भूपेंद्र सिंह बशर, देवेंद्र कौर,रणजीत सिंह लुधियानवी, अमनदीप कौर सिद्धू, चंपा राय बलवीर सिंह संधू, दविंदर सिंह गरेवाल, भरपूर सिंह, मनप्रीत सिंह सिद्धू तथा अन्य।