पुलिस के रोजमर्रा के कार्यों और अनुसंधान में है फॉरेंसिंक साइंस की बड़ी अहमियत : पुलिस महानिदेशक

Forensic science has great importance in the daily work and research of police: Director General of Police

रविवार दिल्ली नेटवर्क

जयपुर : राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में गुरुवार को जयपुर में राजस्थान पुलिस अकादमी (आरपीए) के ऑडिटोरियम में ‘रोल ऑफ फॉरेंसिक्स इन क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन’ पर विशेष सेमिनार का आयोजन पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) श्री उत्कल रंजन साहू के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया। इस मौके पर डीजीपी श्री साहू ने कहा कि पुलिस के रोजमर्रा के कार्यों और अनुसंधान में फॉरेंसिंक साइंस की बड़ी अहमियत है, आगामी एक जुलाई से लागू होने वाले नए क्रिमिनल लॉ में फॉरेंसिंक साइंस की इंवेस्टिगेशन में भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी। इसी दृष्टि से राजस्थान पुलिस स्थापना दिवस के आयोजनों के तहत इस अहम विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जो पुलिस अधिकारियों और अनुसंधान अधिकारियों के लिए काफी उपयोगी रहा।

फेयर ट्रायल के लिए फेयर इंवेस्टिगेशन जरुरी

सेमिनार में उत्तरप्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक, पुलिस एवं यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक्स के फाऊंडर डायरेक्टर डॉ. जीके गोस्वामी ने अपने ‘कीनोट एड्रेस’ में कहा कि फेयर ट्रायल के लिए फेयर इंवेस्टिगेशन बहुत जरूरी है, यह न्याय के मार्ग को प्रशस्त करता है। ऐसे में पारदर्शी तरीके से सही अनुसंधान के लिहाज से न्याय तंत्र में पुलिस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। आपराधिक मामलों में न्याय के लिए साक्ष्यों (एविडेंस) की गुणवत्ता से ही अनुसंधान के जरिए सच्चाई तक पहुंचने में मदद मिलती है।

आने वाला कल ‘फॉरेंसिक साइंस’ का स्वर्णिम काल

डॉ. गोस्वामी ने क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन में क्वालिटी ऑफ एविडेंस को इम्प्रूव करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा इसमें जो गैप है, उनको भरने के लिए पूरी शिद्दत के साथ कार्य करने की जरूरत है। ‘फॉरेंसिक साइंस’, ऐसे गैप को दूर करने में मददगार साबित हो सकती है क्योंकि यह अनुसंधान में ‘न्यूट्रल’ रहते हुए सच्चाई को उजागर करने में अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि आने वाला समय ‘फॉरेंसिक साइंस’ के लिए स्वर्णिम काल है, विशेषकर आगामी जुलाई से जब देश में नए क्रिमिनल लॉ लागू होंगे तो इनमें इसकी उपादेयता और बढ़ जाएगी। ‘फॉरेंसिक साइंस’ से इंवेस्टिगेशन में वैज्ञानिकता का समावेश होता है, और यह पूर्ण न्याय की राह प्रशस्त करता है।

सच उजागर करना पुलिस अनुसंधान का मूलमंत्र

डॉ. गोस्वामी ने कहा कि न्याय एक ऐसी खूबी और सच्चाई है कि किसी भी देश या कालखंड की बात की जाए तो हर व्यक्ति और समाज इसे पाना चाहता है। पुलिस, कानून का संरक्षण करते हुए न्याय सुनिश्चित करने की पहली और अहम कड़ी है। न्याय के लिए घटनाक्रम में सामने दिखने वाले तथ्यों के परे जो सच छिपा है, उसको उजागर करना पुलिस अनुसंधान का मूलमंत्र है। उन्होंने अनुसंधान में साक्ष्यों के आधार पर ‘डिसीजन मेंकिंग’ से सच्चाई का पता लगाकर न्याय तक पहुंचने की प्रक्रिया की व्याख्या करते हुए देश और विदेश के कई प्रसिद्ध कैसेज के व्यावहारिक उदाहरण प्रस्तुत किए। वहीं इस बात पर भी बल दिया कि अनुसंधान में दोषी को सजा दिलाने के साथ ही निर्दोष व्यक्ति को बचाना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने फॉरेंसिक विशेषज्ञों के अपने डोमेन में बाकायदा शिक्षित होने के पहलू को रेखांकित करते हुए फॉरेंसिक साइंस लैब के एनएबीएल एक्रीडिएशन को भी जरूरी बताया।

ये रहे मौजूद

सेेमिनार में अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, पुनर्गठन डॉ. प्रशाखा माथुर ने श्री गोस्वामी का स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मान किया। पुलिस महानिरीक्षक, क्राइम ब्रांच श्री प्रफुल्ल कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया। सेमिनार में महानिदेशक, पुलिस इंटेलीजेंस, श्री संजय अग्रवाल एवं महानिदेशक, पुलिस एससीआरबी एवं साइबर क्राइम श्री हेमंत प्रियदर्शी के अलावा पुलिस मुख्यालय और पुलिस अकादमी के एडीजी, आईजी और डीआईजी रैंक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक, वृत्ताधिकारी एवं थानाधिकारी स्तर के अधिकारी और फॉरेंसिक विशेषज्ञों के अलावा गणमान्य नागरिक मौजूद थे।