
गोपेंद्र नाथ भट्ट
भोगौलिक दृष्टि से भारत के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में पिछले दो आम चुनावों के मुकाबले ग्यारह सीटों पर मिली पराजय के बाद राजस्थान भाजपा में उथलपुथल मची हुई है। सत्ता और संगठन के नेता आत्म परीक्षण के दौर से गुजर रहे है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद सी पी जोशी ने डॉ सतीश पूनिया के बाद संगठन की कमान संभाली थी और अथक प्रयासों और टीम के सामूहिक प्रयासों से राजस्थान विधानसभा में भाजपा के बहुमत की सरकार बनी। इसके मुखिया लम्बे समय से संगठन के काम का अनुभव रखने वाले भजन लाल शर्मा को बनाया गया। पहली बार विधायक और मुख्यमंत्री बने भजन लाल शर्मा ने सरकार का दायित्व संभालते ही जोरशोर से काम शुरू कर दिया तथा लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले मिले समय का उपयोग करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सत्ता और संगठन के मध्य समन्वय के प्रयास में भी कमी नहीं रखी। लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही मुख्यमंत्री शर्मा और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सी पी जोशी ने सभी मोर्चो पर कमान संभाली।मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने प्रवासी राजस्थानियों और मारवाड़ियों को साधने के लिए देश में दौरे भी किए तथा भाजपा को उसके आशातीत परिणाम भी मिले लेकिन राजस्थान में सभी 25 की 25 सीटें जीत कर हैट्रिक लगाने में सफलता नहीं मिली।
राजस्थान में भाजपा को इस बार अपेक्षित परिणाम नहीं मिलनेके कारण क्या रहे? इसकी समीक्षा तो अब पार्टी का शीर्ष संगठन करेगा ।साथ ही सत्ता और संगठन में आवश्यक बदलाव के कदम भी उठाए जा सकते है लेकिन इससे पहले राजस्थान सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफा देने की संभावनाओं को लेकर आ रही खबरे भाजपा को चिंतित करने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि सरकार में सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा भजनलाल शर्मा मन्त्रिपरिषद से किसी भी समय अपना इस्तीफा दे सकते हैं। राजनीतिक क्षेत्रों में इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि डॉ. मीणा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अपने वर्तमान कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री पद से कभी भी इस्तीफा भेज सकते हैं।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद से डॉ.किरोड़ी लाल मीणा पिछलें कई दिनों से जयपुर शासन सचिवालय और कृषि भवन स्थित अपने कार्यालय में भी नहीं जा रहे हैं और उन्होंने सरकारी कामकाज से लगभग दूरी बना ली है।डॉ.मीणा ने अपनी सरकारी गाड़ी भी छोड़ दी है ।साथ ही उन्होंने अभी तक सरकारी बंगला भी नहीं लिया है। इन सभी परिस्थितियों से यह क़यास लगायें जा रहें है कि डॉ.करोड़ी लाल मीणा किसी भी समय अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। हालाँकि इस्तीफे के मामले को लेकर उन्होंने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है।
इस प्रकार डॉ.मीणा के इस्तीफा देने को लेकर काफ़ी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है तथा इससे प्रदेश भाजपा में हड़कंप मचा हुआ है लेकिन कोई भी नेता इस पर बोलने के लिए तैयार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. करोड़ी लाल मीणा ने लोकसभा चुनाव के दौरान यह कहा था कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश के साथ-साथ साथ पूर्वी राजस्थान के लोकसभा क्षेत्रों के चुनाव की जिम्मेदारी भी दी है। उन्होंने सार्वजानिक मंच से यह भी घोषणा की थी कि अगर दौसा से भाजपा का उम्मीदवार हारेगा तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।लोकसभा आम चुनाव में भाजपा पूर्वी राजस्थान के दौसा,करौली-धौलपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर और भरतपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव हार गई।यह क्षेत्र डॉ.किरोड़ी लाल मीणा के प्रभाव वाला माना जाता है। पूर्वी राजस्थान में भाजपा की लोकसभा चुनाव में हुई पराजय के बाद उन पर कांग्रेसी नेताओं और सोशल मीडिया पर किए गए हमलों के मध्य डॉ.मीणा ने एक बार फिर कहा था कि रघुकुल रीत सदा चली आई..,पर वचन न जाए…..
डॉ.किरोड़ी लाल मीणा भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर मीणा नेता है और राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत से लेकर अब तक बने भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों की मन्त्रिपरिषद में शामिल रहें है।वे सांसद भी रहे है और प्रदेश में जनता से जुड़े हर आन्दोलन की अगुवाई करते आये हैं। उन्होंने अपने सिद्धान्तों के साथ कभी समझौता नहीं किया और भाजपा से बग़ावत कर अपनी धर्म पत्नी गोलमा देवी को कॉंग्रेस की सरकार में अशोक गहलोत की मन्त्रिपरिषद में मन्त्री भी बनवा चुके है। वर्तमान परिस्थितियों में जब लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में 11 लोकसभा सीटों का नुक़सान झेला है और आने वाले दिनों में पाँच विधान सभा क्षेत्रों के उप चुनावों के अलावा स्थानीय निकायों एवं पंचायती राज के चुनाव होने है, ऐसे में प्रदेश भाजपा नेताओं को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य शीर्ष नेताओं के हस्तक्षेप से डॉ.किरोड़ी लाल मीणा इस्तीफे की पेशकेश नहीं करेंगे।
डॉ.किरोड़ी.किरोड़ी लाल मीणा इस्तीफा नहीं देते है तो भाजपा के लिए अच्छी बात होगी। लेकिन राजस्थान सरकार को विशेष कर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को आने वाले दिनों में कई अग्नि परीक्षाओं से गुजरना है जिनमें विधान सभा में पूर्ण बजट रखने की तैयारिया और निकट भविष्य में पाँच विधान सभा क्षेत्रों के उप चुनावों के अलावा स्थानीय निकायों एवं पंचायती राज के चुनावो की जीतने का इम्तिहान भी शामिल है। मुख्यमंत्री इन दिनों मैराथन बैठके लेकर प्रशासन पर नकेल कसने और प्रदेश की पानी और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए गंभीर होकर अथक प्रयासों में जुटे हुए है। आने वाले दिनों में राजस्थान की भाजपा सरकार और संगठन को कई इम्तिहानों में सफल रहने की चुनौती है।
देखना है आने वाले दिनों में राजस्थान की भाजपा सरकार और संगठन इन इम्तिहानों में कितना सफल रहते है?