गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में विधानसभा और लोकसभा के चुनावों के बाद अब पांच विधानसभा सीटों के उप चुनावों के साथ ही शहरों की सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने कमर कसना शुरू कर दिया है। हाल ही हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश के पांच विधायक सांसद का चुनाव जीत गए है। विधायक से सांसद बने इन विधायकों में से कांग्रेस के विधायक हरीश मीना, मुरारी लाल मीना और बृजेन्द्र ओला तथा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल तथा भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को विधायक पद से अपने अपने इस्तीफे सौंप दिए है।
भारत निर्वाचन आयोग ने 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उप चुनावों की घोषणा है, लेकिन इसमें राजस्थान के इन पांच विधानसभा सीटों के उप चुनाव शामिल नहीं है । निकट भविष्य में इनके लिए भी तिथियों की घोषणा होंगी। इन पांच विधानसभा सीटों के अलावा बांसवाड़ा जिले की एक बागीदौरा विधानसभा सीट पर लोकसभा आम चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को ही उप चुनाव हो चुका है, जहां से कांग्रेस से भाजपा में शामिल होकर लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले महेन्द्र जीत सिंह उप मालवीय के इस्तीफा देने से रिक्त हुई सीट पर उप चुनाव हुआ था।
राजस्थान विधानसभा के पिछले चुनाव में इस बार भाजपा को अच्छी सफलता मिली और गत दिसंबर में भजन लाल शर्मा की अगुवाई में भाजपा की सरकार भी गठित हुई है। हालांकि प्रदेश में इसके चार महीनों के बाद ही अप्रैल माह में लोकसभा आम चुनाव के पहले दो चरणों में हुए लोकसभा के चुनावों में भाजपा को पिछली दो बार से जीती गई राज्य की 25 में 25 सीटो पर तीसरी बार चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाने में सफलता नहीं मिली और भाजपा को लोकसभा की 14 तथा कांग्रेस एवं इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को 11 लोकसभा सीटों पर विजय मिली। भाजपा को इस बार लोकसभा चुनाव में भले ही अपेक्षा अनुरूप सीटें नहीं मिली हों, लेकिन राजस्थान की भजन लाल शर्मा की भाजपा सरकार ने 40 जिलों में नवगठित 86 नगरपालिकाओं (छोटे शहरो) में चुनाव की तैयारिया शुरू कर दी है। प्रदेश के स्वायत्त शासन विभाग ने सभी संबंधित जिला कलक्टर को वार्डों के परिसीमन का कार्यबशुरू करने के लिए कहा है। इसमें वार्डों की सीमा का क्षेत्रफल, जनसंख्या, आरक्षण (एससी, एसटी, ओबीसी) के आधार पर वर्गीकरण किया जायेगा। अभी इन 86 नगरपालिकाओं में 1985 वार्ड गठित किया जाना प्रस्तावित है। परिसीमन के बाद इनकी संख्या कम ज्यादा भी हो सकती है। इन सभी नगरपालिकाओं का गठन पिछली कांग्रेस सरकार में हो गया था,लेकिन तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में चुनाव नहीं हो पाए थे। ऐसे में न तो इन निकायों के अपने भवन हैं और न ही पूरा स्टाफ एवं संसाधन ही उपलब्ध हैं। इस वजह से स्थानीय लोगों को नगरपालिका से जुड़ी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
भजन लाल सरकार ने प्रदेश के स्वायत्त शासन विभाग के लिए काम की समय सीमा तय कर दी है। विभाग से कहा गया है कि आगामी 10 जुलाई तक वार्डों के परिसीमन के प्रस्ताव तैयार कर उनका प्रकाशन किया जाए। परिसीमन के प्रस्तावों पर आपत्ति और सुझाव प्राप्त करने की तिथियां 11 से 25 जुलाई के मध्य रखी गई है। साथ ही 26 जुलाई से 9 अगस्त तक वार्डों के गठन के प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने के निर्देश दिये गए है। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से आपत्तियों का निस्तारण एवं प्रस्ताव का अनुमोदन 12 से 26 अगस्त के मध्य कर दिया जाएगा।
राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश की इन नगरपालिकाओं के चुनाव के बाद इन शहरों के सुनियोजित विकास की राह खुलेगी तथा नगरपालिका के पास कर्मचारियों से लेकर संसाधनो का एक अलग सिस्टम विकसीत हो सकेगा। इसमें सफाई, लाइट, ड्रेनेज, सीवरेज आदि व्यवस्थाएं मुख्य रूप से शामिल है। साथ ही विकास की नई योजनाएं भी तत्काल लाई जा सकेगी तथा सुनियोजित विकास के लिए मास्टर प्लान बनाना अनिवार्य हो जाएगा।
चुनाव नहीं होने से इन नगरपालिकाओं का जिम्मा अभी सरपंचो के पास ही है। सभी नवगठित नगरपालिकाओं में अभी सभापति भी सरपंच ही हैं। इनमें ज्यादातर कांग्रेस विचारधारा से जुड़े हुए प्रतिनिधि हैं। इन ग्राम पंचायतों में वर्तमान में जो सबसे बड़ी बात है,उसके अनुसार सरपंच को सभापति और वार्ड पंचों को वार्ड सदस्य माना गया है।
सभी नवगठित नगरपालिकाओं में चुनाव होने के अपने सियासी मायने भी है। चुनावों के बाद इनमें राजनीतिक दलों का सीधा दखल हो सकेगा। विधायकों का दबदबा भी बढ़ेगा, क्योंकि वार्ड सदस्य चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन में विधायक की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। विकास कार्य होंगे तो नेताओं को भी बताने के लिए काम होंगे।
राज्य सरकार द्वारा 40 जिलों में जिन नवगठित 86 नगरपालिकाओं का गठन किया गया है उनमें जिले वार नवगठित नगरपालिकाए इस प्रकार हैं –
जयपुर ग्रामीण में बस्सी, नरायना, मनोहपुर, वाटिका,दूदू जिले में फागी एवं दूदू,नीमकाथाना जिले में पाँख एवं अजीतगढ़,सीकर जिला में दांता,झुंझुनूं में गुढ़ागौड़जी एवं सिंघाना, दौसा में मण्डावर, रामगढ़- पचवारा, मण्डावरी, लवाणं, बसवा, सिकराय एवं भांडारेज कोटपूतली बहरोड़ जिले में पावटा- प्रागपुरा, बानसूर, बड़ौद एवं नीमराना, खैरथल जिला में तिजारा टपूकड़ा. मुण्डावर एवं कोटकासिम, अलवर में बड़ोदामेव, लक्ष्मणगढ़, गोविन्दगढ़, बहादुरपुर (किशनगढ़बास), कठूमर, मालाखेड़ा, रैणी, मुबारिकपुर, नौगांव एवं रामगढ़,डीग जिला में सीकरी,भरतपुर में उच्चैन,धौलपुर में सरमथुरा एवं बसेड़ी,करौली में सपोटरा एवं मण्डरायल सवाईमाधोपुर में बौंली एवं खिरनी,गंगापुरसिटी जिला में बामनवास एवं वजीरपुर,कोटा में सुल्तानपुर एवं सुकेत,बारां में अटरू,सीसवाली एवं केलवाड़ा,बूंदी में दई एवं हिण्डौ,टोंक में दूनी, नागौर में जायल एवं बासनी,डीडवाना कुचामन जिला में बोरावड़, सांचौर एवं रानीवाड़ा,जालोर में आहोर,भीलवाड़ा में हमीरगढ़ एवं रायपुर, सिरोही में जावाल, पाली में मारवाड़ जंक्शन,जोधपुर ग्रामीण में भोपालगढ़ एवं बालेसर सत्ता,फलौदी जिला में बाप,जैसलमेर में रामदेवरा,बीकानेर में खाजूवाला, श्रीगंगानगर में लालगढ़,हनुमानगढ़ में टिब्बी एवं गोलूवाला,बालोतरा जिला ने सिवाना, उदयपुर में ऋषभदेव, मावली, वल्लभनगर और खैरवाड़ा,सलूम्बर जिला में सेमारी, सराड़ा एवं चावण्ड,राजसमंद में भीम, चित्तौड़गढ़ में आकोला,प्रतापगढ़ में धरियावद एवं दलोट डूंगरपुर में सीमलवाड़ा एवं आसपुर तथा बांसवाड़ा में घाटोल को नगरपालिका बनाया गया है।
नगरपालिका बनाने के हैं ये मापदंड
स्थानीय निकाय निदेशालय ने 2021 में प्रदेश में नगरपालिका के गठन के नए मापदंड तय किए थे, जिसमें जनसंख्या, आजीविका, प्रति व्यक्ति आय और अन्य मानक को आधार बनाया गया था। गहलोत सरकार की ओर से 2023 में 54 नई नगरपालिकाओं का गठन किया गया था । वर्तमान में राजस्थान में 282 नगरीय निकाय हैं। इसके पहले राजस्थान में 11 नगर निगम , 33 नगर परिषदें और 169 नगर बोर्ड या नगर पंचायतें थी।
इधर नवगठित नगरपालिकाओं में शहरों की नई सरकार बनने से पहले भजनलाल सरकार ने प्रदेश के शहरों को बड़ी सौगात देने की तैयारी भी कर रही है। इसके अंतर्गत प्रदेश के 40 शहरों का समग्र विकास होगा, जिस पर करीब 18500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस राशि का 70 प्रतिशत यानी 13 हजार करोड़ रुपए विश्व बैंक और एशियन विकास बैंक से लोन के रूप में लिया जाएगा और बाकी साढ़े पांच हजार करोड़ रुपए राज्य सरकार स्वयं वहन करेगी।
इसमें खास बात यह है कि भजन लाल सरकार डवलपमेंट को इनवेस्टमेंट (निवेश) के साथ जोड़ रही है। राज्य सरकार का मानना है कि जिन शहरों में डवलपमेंट होगा, वहां ज्यादा निवेशक पहुंचते हैं। यह काम राजस्थान शहरी आधारभूत विकास परियोजना (आरयूआईडीपी) के पांचवें चरण में होगा। नगरीय विकास मंत्री इसका खाका तैयार कर रहे हैं और मुख्यमंत्री के स्तर पर मुहर लगने के बाद प्रस्ताव आगे बढ़ेगा। इसके बाद मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनोमिक अफेयर्स के पास जाएगा। इस प्रक्रिया में करीब छह माह लगने का अनुमान है।
इस महत्वाकांशी परियोजना के मूर्त रूप में आने पर शहरों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर 24 घंटे पेयजल आपूर्ति होगी। सीवरेज सुविधा उपलब्ध कराने के अलावा इंडस्ट्रीयल और कृषि के लिए परिशोधित जल की उपलब्धता होगी। ठोस कचरा प्रबंधन को प्रभावी तरीके से लागू करते हुए जीरो वेस्ट मॉडल पर काम होगा। बायो मेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन और हानिकारक अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार किया जाएगा। विरासत को सहेजने, मनोरंजन सुविधाएं विकसित करने के साथ ही शहरी सौन्दर्यन, चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने आदि पर भी काम होगा। रोड लाइट के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किए जायेंगे। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी की दिशा में काम होगा। ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने के लिए, सड़कों की री-मॉडलिंग, पार्किंग स्थलों आदि सुविधाओं का निर्माण होगा। बस स्टैंड डवलपमेंट, सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम और इंटर सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार होगा। साथ ही आरयूआईडीपी के पांचवें चरण के तहत कई काम होंगे ।
इस परियोजना में जयपुर के 12 सैटेलाइट टाउन- दूदू, चौमूं, बस्सी, बगरू, चाकसू, जोबनेर, फुलेरा, शाहपुरा, रींगस, श्रीमाधोपुर, खाटूश्यामजी, दौसा (प्रस्ताव में सीकर के शहरों और दौसा को जयपुर जोन में ही शामिल किया है), जोधपुर के 4 सैटेलाइट टाउन- पीपाड़ शहर, बिलाड़ा, सोजत, बालेसर साटन,अजमेर के 3 सैटेलाइट टाउन- पुष्कर, किशनगढ़ एवं ब्यावर,कोटा के 3 सैटेलाइट टाउन- बूंदी, कैथून एवं केशोरायपाटन और भरतपुर के 4 सैटेलाइट टाउन- कुहेर, नगर, नदबई एवं डीग भी शामिल होंगे। इसके अलावा दस संभागीय मुख्यालय-जयपुर, जोधपुर, भरतपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर, उदयपुर, पाली, सीकर और बांसवाड़ा के अलावा ज्यादा जन संख्या वाले शहर चूरू, श्रीगंगानगर, झुंझुनूं और टोंक को भी शामिल किया जाना प्रस्तावित है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा और लोकसभा के चुनावों के बाद प्रदेश में होने वाले पांच विधान सभा सीटों के उप चुनावों और शहरों की सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के मध्य कैसा मुकाबला रहेगा तथा उसमें किसे कितनी सफलता मिलेगी?