- प्रभावी संचालन और नवाचारों में राजस्थान की देश की विधान सभाओं में अनूठी पहचान
- देश की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा बनाने के प्रयास
डॉ. लोकेश चन्द्र शर्मा (उप निदेशक, जनसन्पर्क राजस्थान विधान सभा, जयपुर)
राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष पद पर वासुदेव देवनानी के छः माह 21 जून को पूरे हो गये है। शिक्षाविद वासुदेव देवनानी राजस्थान विधानसभा के 18 वें अध्यक्ष है। 16 वीं राजस्थान विधानसभा में उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। देवनानी ने सदन में अध्यक्ष पद पर आसीन होने पर कहा था ” राजस्थान विधान सभा के सदन की महान परम्पराएं रहीं हैं। सदन की मान-मर्यादा को बनाए रखने के लिए सर्वदा प्रयास होंगे। साथ ही, सदन की ज्यादा से ज्यादा बैठकें और सार्थक बहस हो, इसके लिए भी प्रयास होंगे। अध्यक्ष पद की गरिमा एवं निष्पक्षता बनी रहेगी। सदस्य सदन के नियम एवं प्रक्रियाओं का अध्ययन करें, ताकि सदन की प्रक्रियाओं का ज्ञान हो सके।”
सनातन संस्कृति के प्रतीक
विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी सनातन संस्कृति के प्रतीक है। हिन्दी, सिन्धी और अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड रखने वाले श्री देवनानी ने राजस्थान विधान सभा के सदस्य की शपथ संस्कृत भाषा में ली। उनका मानना है कि संस्कृत सनातन संस्कृति का पर्याय है। विज्ञान, ज्योतिष, खगोल, चिकित्सा विज्ञान के प्रमाणिक ग्रन्थ संस्कृत भाषा में उपलब्ध है। वे राष्ट्र प्रथम की भावना को जन-जन में जागरुकता लाने के लिए सभी समारोह में जिक्र करते है। उनका मानना है कि हमे भारतीय संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। एक भारत, श्रेष्ठ भारत और अखण्ड भारत का संकल्प के लिए युवाओं को प्रेरित करने वाले श्री देवनानी का कहना है कि विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने में प्रत्येक भारतीय को सक्रिय सहभागिता निभानी होगी। विश्व में गूंजे हमारी भारती, जन-जन उतारे आरती, धन्य भारत महान को पूरे विश्व में गुंजायमान की चाहत श्री देवनानी रखते है। वे स्वदेशी की भावना को नई पीढी में पैदा करने की जरूरत बताते है। उनका मानना है कि बच्चों को राष्ट्र के महान वैज्ञानिकों के जीवनी और उनके द्वारा किये गये। अविष्कारों का अध्ययन करना चाहिए। भारत पुरातनकाल से समृद्ध है।
राष्ट्रीय गौरव और राष्ट्रीय चेतना के वाहक
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी राष्ट्रीय गौरव और राष्ट्रीय चेतना के वाहक है। वे युवाओं को 4 डी का ध्यान रखने के लिए कहते है। डिसीप्लेन यानि अनुशासन, डिटरमिनेशन यानि प्रतिबद्धता, डिवोसन यानि समर्पण से यदि कोई व्यक्ति कार्य करता है तो चौथा डी डवलपमेन्ट यानि विकास उसे स्वतः ही प्राप्त हो जाएगा। उन्होंने अपने शिक्षा मंत्री काल के दौरान प्रदेश की विद्यालय शिक्षा में अकबर महान के अध्याय को हटवाकर प्रताप महान का नया अध्याय शामिल करवाया था। इस प्रभावशाली कदम और चुनौतीपूर्ण पहल से देश और प्रदेश के इतिहास में महाराणा प्रताप को गौरवशाली स्थान मिला।
सदन संचालन प्रभावी भूमिका
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के रणनीतिक प्रयासों से सदन शान्तिपूर्वक चला। जब कभी भी गतिरोध की स्थिति आयी तो उन्होंने सहजता से पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों को सुना, उनके समाधान के मार्ग निकाले और दोनों पक्षों के सदस्यों को विश्वास में लेकर विधानसभा की कार्यवाही के गतिरोध को दूर कर सदन संचालन में बेहतर मिसाल पेश की। देवनानी ने प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 269 का हवाला देते हुए विधान सभा में नई व्यवस्था दी। सदन के नियमों, गरिमा एवं परम्परा के दृष्टिगत जब आसन पैरों पर हो तो सदन से सदस्य और दीर्घा से अधिकारी बाहर नहीं जायेंगे।
सर्वदलीय बैठक
वासुदेव देवनानी की राजस्थान विधान सभा में सदन चलाने के लिए सर्वदलीय बैठक का आयोजन एक ऐतिहासिक पहल है। राजस्थान विधान सभा में ऐसा पहली बार हुआ है। सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए। विधान सभा का सदन अधिक से अधिक दिन चले इसके लिए सभी दलों के सभी सदस्यों को सकारात्मक सोच रखनी होगी।
जनहित के मुद्दों पर सदन देर तक भी चलेगा
देवनानी का मानना है कि सदन जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने का पवित्र स्थल है। सदन की गरिमा को बनाएँ रखना विधान सभा सदस्यों की जिम्मेदारी है। समस्याओं का हल बातचीत से होता है। सदन में समस्याओं के निस्तारण का प्रयास होगा। सदस्यों की बातों को गम्भीरता से लिया जायेगा, उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं का निस्तारण भी कराया जायेगा।
प्रश्नों के जवाब समय सीमा में
देवनानी ने प्रश्नों के उत्तर समय पर मंगाने आरम्भ कर दिये है। समय पर जवाब नहीं आने की उनकी चिन्ता का आभास राज्य सरकार को हो गया है। समितियों की रिपोर्ट भी समय पर मंगाना सुनिश्चित किया है, जिनकी आवश्यक रूप से सदन में चर्चा भी कराई जायेगी। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में स्थगन के साथ पूर्व की भांति पर्ची के माध्यम से अविलम्बनीय लोक महत्वं के उठाये जाने विषयों की व्यवस्था को पुनः लागू किया जा रहा है। पर्ची से उठाये जाने वाले विषयों पर जवाब भी दिलाया जायेगा। राज्य के मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की एक बैठक विधान सभा में बुलाकर विधान सभा के प्रश्नों के जवाब की समय सीमा तय की।
ई- विधान से होगी विधान सभा पेपर लैस
वासुदेव देवनानी ने विधान सभा को पेपर लैस बनाने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। विधान सभा का तृतीय सत्र डिजिटल होगा और विधान सभा सचिवालय की कार्य प्रणाली भी पेपर लैस हो जायेगी। वन नेशन वन एप्लीकेशन के तहत ई- विधान एप्लीकेशन नेवा का उपयोग राजस्थान विधान सभा को डिजिटल बनाये जाने के लिए किया जा रहा है। इससे विधान सभा के सदन से संबंधित विधेयक, रिपोर्टस आदि की जानकारी मीडिया अनुसंधानकर्ता और आम नागरिक को आसानी से मिल सकेगी।
विधान सभा जनदर्शन
राजस्थान विधान सभा के द्वार आमजन के लिए खोल दिए गये है। विधान सभा में बना राजनैतिक आंख्यान संग्रहालय को लोग अब देखने आ रहे है। दिन प्रतिदिन आमजन की संख्या संग्रहालय को देखने के लिए बढ़ती जा रही है। देवनानी की इस पहल की प्रदेश में सभी जगह प्रशंसा हो रही है। देवनानी ने डिजिटल म्यूजियम को देश के पर्यटन नक्शे से जुडवाया है। इससे राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और राजनैतिक इतिहास की देश और विदेशों में पहचान बन सकेगी। विधान सभा की अनूठी ईमारत को आमजन निकटता से देख रहे है।
विधान सभा डायरी और कैलेण्डर में ऐतिहासिक नवाचार
राजस्थान विधान सभा द्वारा प्रकाशित कैलेण्डर और डायरी में ऐतिहासिक नवाचार हुए है। इस वर्ष प्रकाशित कैलेण्डर और डायरी में वीर वीरांगनाओं और महापुरुषों के चित्र समाहित हुए है। यही नहीं राजस्थान विधान सभा देश की ऐसी पहली विधान सभा बन गई है, जहां की दैनन्दिनी का प्रकाशन भारतीय वर्ष के अनुसार किया गया है। राजस्थान विधान सभा के इतिहास में ऐसा प्रकाशन पहली बार हुआ है। नवसंवत्सर 2081 के माह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से दैनन्दिनी का आरम्भ किया गया है।
विधानसभा को देते है पूरा समय
अध्यक्ष वासुदेव देवनानी विधानसभा को पूरा समय दे रहे है। प्रातः 09:30 बजे से सांय 06:00 बजे तक विधानसभा में बैठ कर निरतंर बैठके और लोगों से मुलाकात करते है। छः माह के अल्पकाल में विधान सभा को नई गति और नई दिशा मिली है। नवाचारों से राजस्थान विधान सभा देश की सर्वश्रेष्ठ विधान सभा बनने की ओर अग्रसर है।