क्रिकेट का सट्टा युवाओं के भविष्य से खिलवाड़

Cricket betting plays with the future of youth

  • ड्रीम इलेवन, माय इलेवन, हाउजेट ने दिया सट्टे को वैधानिक रूप

नरेंद्र तिवारी

सरकार मानव के उत्थान के लिए कार्य करती है। सरकार को सामाजिक विकास के साथ मानवीय उत्थान की गति भी बढ़ाना चाहिए। हरदम आदर्श समाज की स्थापना का प्रयास करते रहना चाहिए। भारत जैसे देश में जहां मानवीय मूल्य और गरिमा का बहुत अधिक महत्व है। वहां प्रजातांत्रिक सरकार का दायित्व है की वह नागरिकों के लिए मूल्य युक्त समाज और आदर्श समाज की स्थापना के प्रयास करें सिर्फ प्रयास ही नहीं करें उन्हें मूर्तरूप भी प्रदान करें। यह देखकर बढ़ा अंचम्भा होता है की जिस सरकार को आदर्श समाज की स्थापना का कार्य करना चाहिए, वह क्रिकेट जैसे खेल को जुएं में परिणित कर समाज में खुले आम सट्टे की प्रवृति को बढ़ा रही है। एक और पुलिस एवं सरकार की आंखों में धूल झोंककर अपराधी वर्ग आनलाइन सट्टे का खेल खिला रहा है। उज्जैन में पकड़ाया करोड़ों का आनलाइन सट्टा इसी प्रकार के अपराधियों की करतूत है। यह सच है की क्रिकेट एक जेंटलमैन खेल है। यह खेल दो टीम मैदान में खेलती है। क्रिकेट शारारीक प्रदर्शन की मांग करता है। यह मनुष्य को खिलाड़ी भावना, एक दूसरे के सम्मान तथा अंपायर के निर्णय को सर्वमान्य मानने की सीख भी देता है। क्रिकेट के मैच में दो टीम खेलेगी तो एक टीम जीतेगी दूसरी की हार होगी। जब क्रिकेट का मैच दो देशों की टीमों के मध्य होता है, तब नागरिकों की भावनाएं अपने देश के प्रति होती है। हार जीत का देश के नागरिकों पर भावनात्मक असर होता है। किंतु क्रिकेट के विषय में यह बात अब पुरानी हो गई है। जितना मैच और खेल मैदान में नही होता उससे अधिक सट्टा मोबाइलों की स्क्रीन पर चलता है।

आनलाइन सट्टे के कारोबार से जुड़े कारोबारियों और क्रिकेट के सट्टे में रुचि लेने वाले सट्टेबाजों के मन मतिष्क में चलता है।

एक एक गेंद पर सट्टा लगता है। क्रिकेट के सट्टे में आनलाइन तकनीकी का उपयोग होता है। मोबाइल के एप इस खेल में रुचि रखने वालो को एक गेंद पूर्व की स्थिति से अवगत कराते है। याने आप जो मैच टीवी पर देख रहे है। उसका हाल सट्टेबाजो को अपने एप के सहारे आपसे दो गेंद पहले पता चल जाता है। आनलाइन सट्टा सेंटर से कमेंट्री भी प्रसारित होती है। फटाफट क्रिकेट ने पूरे परिदृश्य को बदल दिया है। यह कहने में बुरा लगता है की क्रिकेट अब सट्टे का पर्याय हो गया है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में पकड़ा गया आनलाइन सट्टे का बड़ा कारोबार मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में सरकार की नाक के नीचे चल रहे अपराध का नमूना है। इतने बड़े रूप में चल रहा क्रिकेट का सट्टा कबसे चल रहा है। मध्यप्रदेश की तकनीकी रूप से सक्षम पुलिस से यह पूछा जाना चाहिए की इतने बड़े रूप में क्रिकेट का सट्टा कब से चल रहा है? सरकार को इसकी भनक क्यों नही लग पाई? यह भी पता लगाना चाहिए की इतना बड़ा अवैध कारोबार किस नेता, अधिकारी के सरंक्षण में चल रहा था? आए दिन देश में आनलाइन सट्टे से जुड़े अपराधियों को पकड़ने का सिलसिला जारी है। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर भी इससे अछूता नहीं है। इंदौर में सट्टे के बड़े कारोबारी पूरे मध्यप्रदेश में क्रिकेट के सट्टे का बड़ा नेटवर्क संचालित करते है। गांव–गांव से इनके कनेक्शन है। यह कहने और लिखने में कोई गुरेज भी नहीं होना चाहिए की क्रिकेट से जुड़ा यह आपराधिक वर्ग राजनीति और पुलिस के गठजोड़ से फलफूल रहा है। एक और अपराधियों द्वारा संचालित आनलाइन सट्टा देश की युवा पीढ़ी को अंधेरे कुएं में धकेल रहा है। दूसरी ओर ड्रीम इलेवन सर्कल, माय इलेवन सर्कल, हाउजेट जैसे एप ने क्रिकेट के सट्टे को नया रूप दिया है। सरकार द्वारा पोषित सट्टे का यह रूप भी समाज के लिए नुकसानकारी है। समाज के एक बहुत बड़े वर्ग को बर्बाद कर रहा है। युवा पीढ़ी के भड़काव का कारण बन चुका है। यह देखकर बड़ा आश्चर्य होता है की क्रिकेट की दुनियां से बड़े चेहरे जो समाज का मार्गदर्शन करते है। जिनकी महती जवाबदेही आदर्श समाज निर्माण की होना चाहिए। वें क्रिकेट के सरकार पोषित सट्टे के एप का प्रचार कर रहे है। एमपी के उज्जैन में पुलिस द्वारा नील गंगा थाना क्षेत्र में तिरुपति ड्रीम्स कालोनी में रहने वाले पियूष चोपड़ा के ठिकानों पर दबिश दी तो 15 करोड़ रुपए की राशि और भारी मात्रा में विदेशी करेंसी भी बरामद की गई। आई जी संतोष कुमार सिंह के अनुसार आनलाइन सट्टे की यह मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी कार्यवाही है। जूम मीटिंग एप का उपयोग कर सट्टे का कारोबार पूरे मैच के दौरान बुकीज और पंटर जूम मीटिंग एप सिमटोडो एप का उपयोग करते लाइव कम्युनिकेशन में रहते। इसी दौरान अवैध धंधा होता एक बार में 50 हजार से 25 लाख रुपए का इस पार से उस पार होता। धंधा कितना करना है, यह पियूष चोपड़ा बताता इसके बाद पंटर बुकीज को धंधा उतारते। इस तरह एक मैच में करोड़ों की हार जीत हो जाती।

पुलिस ने दस्तावेज भी बड़ी मात्रा में जप्त किए है। आईपीएल 2024 के मैच के दौरान इंदौर क्राइम ब्रांच ने लसूडिया क्षेत्र के स्कीम 136 स्थित फ्लैट में छापामार कर 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से 22 मोबाइल, 17 चैकबुक, , 5 लैपटाप, 31 एटीएम 21 सीम कार्ड, नगदी और आनलाइन सट्टे के हिसाब का करोड़ों रुपए का लेखा जोखा जप्त किया था। आरोपी लोटस 365 वेबसाइट के जरिए ग्राहकों की आईडी बनाकर आईपीएल मैचों में सट्टा खिलवाते थै। एक नहीं देश में अनेकों प्रकरणों में तकनीकी के दुरुपयोग से सट्टा खिलाने के मामले उजागर हुए है। मोबाइल युग के पदार्पण के बाद चिट्ठी वाले सट्टे का स्थान आनलाइन सट्टे ने ले लिया है। इस सट्टे ने हजारों लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया है। लाखो लोग कर्ज के दलदल में डूब चुके है। आनलाइन सट्टे के जैसा ही ड्रीम इलेवन, माय इलेवन सर्कल और हाउजैट जैसे एप है। इन साइटों के प्रचलन के बाद समाज का एक बड़ा वर्ग अपने भाग्य को आजमाने के चक्कर में मोबाइल पर ध्यान लगाए हुए है। हजारों लाखों लोग इन एपो के माध्यम से करोड़पति बनने का सपना संजोए हुए है। अब तो टीवी चैनल और यूट्यूब चैनल अन्य प्रचार माध्यम भी इनके विज्ञापन करने लगे है। सरकार ने क्रिकेट के साइटों को वैधानिकता प्रदान कर दी है। क्रिकेट जेंटलमैन गेम कहा जाता है। इस खेल से टीम भावना, एक दूसरे का सम्मान करना, अंपायर के निर्णय का सम्मान करना जैसे महत्वपूर्ण गुण सीखें जा सकते है।

फटाफट क्रिकेट ने इस खेल में चकाचौंध पैदा की है। क्रिकेट में सट्टे की प्रवृति को बढ़ाने के जतन किए जा रहे है। क्रिकेट का मैच अब दो टीमों या दो देशों का नहीं रहा यह करोड़ों दिमागों में दौड़ रहा है। क्रिकेट के सट्टे का नशा देश के युवाओं को अपना गुलाम बना रहा है। क्रिकेट में पनप रही सट्टे की प्रवृति भारतीय समाज के युवाओं के लिए घातक है। आनलाइन सट्टे के खिलाफ तो सख्ती होना ही चाहिए। सरकार द्वारा पोषित क्रिकेट के विभिन्न एप ड्रीम इलेवन, माय इलेवन सर्कल, हाउजैट जैसे सट्टेबाजी की प्रवृति को बढ़ाने वाले एपो को भी प्रतिबंधित करना चाहिए। सरकार का कार्य समाज में आदर्श स्थापना का होना चाहिए। क्रिकेट का सट्टा समाज को पतन की राह पर ले जा रहा है। सरकारों को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है। देश को गर्त में ले जाने वाले तथाकथित एप मीडिया के विज्ञापन का प्रमुख मसाला हो जाए। तब मीडिया की समाज निर्माण में भूमिका भी प्रश्नों के घेरों में दिखाई पड़ती है।