- मोदी से अधिक सभापति जगदीप धनखड़ ने की प्रतिपक्ष के आचरण की भर्त्सना
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को मूसलाधार बरसे मेघों के मध्य संसद के उच्च सदन राज्यसभा में भी लोकसभा की तरह, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रतिपक्ष विशेष कर कांग्रेस पर जबरदस्त बरसे। एक दिन पहले ही मंगलवार को भी पीएम मोदी ने लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच उनके हर आरोप का जवाब देते हुए सहयोगी दलों पर नरमी और कांग्रेस पर तीखा निशाना साधा था। बुधवार को राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान विपक्षी दलों द्वारा सदन का वॉकआउट करने के निर्णय पर मोदी एक बार फिर से हमलावर हो गए और विपक्षी सदस्य जब उच्च सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करके जा रहे थे तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश देख रहा है कि झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती। उनके हौसलें बचे नहीं हैं। उन्होंने यहां जो सवाल उठाये उसके जवाब सुनने की हिम्मत भी नहीं है। विपक्ष उच्च सदन को अपमानित कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश की जनता ने हर प्रकार से उन्हें इतना पराजित कर दिया है कि अब उनके पास गली-मोहल्ले में चीखने के सिवाय कुछ बचा नहीं है। मोदी यहीं तक नहीं रुके और बोले कि नारेबाजी, हंगामा और भाग जाना… यही उनके नसीब में लिखा है।
प्रधानमंत्री मोदी जब चर्चा का जवाब दे रहे थे तो पहले विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ से कुछ कहने की अनुमति मांगी। आसन की ओर से यह अनुमति नहीं दिए जाने पर विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे। उनकी नारेबाजी के मध्य भी जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण जारी रखा तब खरगे सहित कांग्रेस एवं विपक्ष के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।
इसके बाद खरगे ने संसद परिसर में मीडिया से कहा कि हमने इसलिए वॉकआउट किया क्योंकि प्रधानमंत्री ने सदन को कुछ गलत बातें बताईं हैं। झूठ बोलना और सच्चाई से परे बातें कहना उनकी आदत हो गई है। उन्होंने कहा, ”मैंने उनसे पूछा कि जब वे संविधान के बारे में बोल रहे थे…आपने संविधान नहीं बनाया,आप लोग तो इसके खिलाफ थे। मैं सिर्फ यह स्पष्ट कर रहा था कि कौन लोग संविधान के पक्ष में थे और कौन लोग इसके खिलाफ थे… आरएसएस ने संविधान का विरोध किया था। एनसीपी-एससीपी के प्रमुख और राज्यसभा सांसद शरद पवार ने भी कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे एक संवैधानिक पद पर हैं। चाहे वो प्रधानमंत्री हों या सदन के सभापति, उनकी जिम्मेदारी है कि वो उनका सम्मान करें, लेकिन आज सदन में इस वयोवृद्ध नेता को नजरअंदाज किया गया, लेकिन पूरा विपक्ष उनके साथ है और इसलिए हमने वॉकआउट किया।
मोदी से अधिक सभापति धनखड़ ने की भर्त्सना
विपक्ष के बहिर्गमन को अत्यंत दर्दनाक और पीड़ादायक करार देते हुए उच्च सदन के सभापति उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने सभी से यह अनुरोध किया था कि नेता प्रतिपक्ष को चर्चा के दौरान बिना रोक-टोक, बोलने का सुअवसर दिया जाए। उन्होंने कहा, आज वे (विपक्ष) सदन को छोड़कर नहीं गये हैं, मर्यादा छोड़कर गये हैं। आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई है, भारतीय संविधान को पीठ दिखाई है। उन्होंने आज मेरा और आपका अनादर नहीं किया है बल्कि उस शपथ का अनादर किया है जो संविधान के तहत ली गई है।
सभापति धनखड़ यही नहीं रुके और कहा कि भारत के संविधान के लिए इससे बड़ी अपमानित बात नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि यह उच्च सदन है और इसको देश का मार्गदर्शन करना होता है। धनखड़ ने कहा कि वह विपक्षी सदस्यों के इस आचरण की भर्त्सना करते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के इस व्यवहार से देश के 140 करोड़ लोग आहत होंगे। उन्होंने कहा कि सदन में कल देर रात तक चर्चा चली और विपक्ष ने जब अपनी बात पूरी कह ली तो उसे भी सत्ता पक्ष की बात सुननी चाहिए।सभापति ने कहा, उन्होंने भारतीय संविधान को चुनौती दी है, उसकी भावना को आहत किया है। मैं इस कुर्सी पर बैठकर बहुत दुखी हूं कि संविधान का इतना मजाक, इतना अपमान… । भारत का संविधान हाथ में रखने की किताब नहीं है बल्कि जीने की किताब है। उन्होंने विपक्ष को सलाह दी कि वह आत्मचिंतन करें, अपने दिल को टटोलें और अपने कर्तव्यों का पालन करें।
अब समझते हैं कि बुधवार को आखिर राज्यसभा में हुआ क्या था? राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी चर्चा का जवाब देने के लिए उठे थे। मोदी जब चर्चा का जवाब दे रहे थे तो पहले विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति जगदीप धनखड़ से कुछ कहने की अनुमति मांगी।आसन की ओर से यह अनुमति नहीं दिये जाने पर विपक्षी सदस्य नारेबाजी करने लगे।उनकी नारेबाजी के बीच भी जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण जारी रखा तब खरगे सहित कांग्रेस एवं विपक्ष के सदस्य सदन से वॉकआउट कर गये। संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई। धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दे रहे थे। इस दौरान विपक्ष जमकर हंगामा कर रहा था,मगर प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष के हंगामे से डिगे नहीं. वह अपना भाषण लगातार देते रहे। एक वक्त ऐसा आया, जब भाषण के बीच में ही कांग्रेस सहित विपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया. विपक्ष की इस हरकत से राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनकड़ नाराज हो गए। उन्होंने संविधान की याद दिलाकर विपक्ष को कसकर सुना दिया। इस दौरान पीएम मोदी को अपने भाषण को कुछ देर तक विराम देना पड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 140 करोड़ देशवासियों ने जो जनादेश दिया है, उसको ये पचा नहीं पा रहे हैं. कल इनके सारे हथकंडे फेल हो गए। आज इनमें लड़ने का हौसला भी नहीं रहा. मैं तो कर्तव्य से बंधा हुआ है. देश का सेवक हूं।जनता ने हमें तीसरी बार सेवा का अवसर दिया है। हालांकि जनादेश कुछ लोगों को समझ नहीं आया। भ्रम की राजनीति को जनता ने ठुकराया है। पीएम मोदी ने आगे कहा, 10 साल के बाद किसी एक सरकार की लगातार फिर से वापसी हुई है और मैं जानता हूं कि भारत के लोकतंत्र में 6 दशक बाद हुई ये असामान्य घटना है। कुछ लोग जानबूझकर इससे अपना मुंह फेर कर बैठे रहे, कुछ लोगों को समझ नहीं आया और जिनको समझ आया उन्होंने हो-हल्ला कर देश की जनता के इस महत्वपूर्ण निर्णय पर छाया करने की कोशिश की, लेकिन मैं पिछले दो दिन से देख रहा हूं कि आखिर पराजय भी स्वीकार हो रही है और दबे मन से विजय भी स्वीकार हो रही है।
पीएम ने कहा, नतीजे आए तब से बार-बार ढोल पीटा गया था कि एक तिहाई सरकार। इससे बड़ा सत्य क्या हो सकता है कि हमारे10 साल हुए हैं, 20 और बाकी हैं। एक तिहाई हुआ है, दो तिहाई और बाकी है और इसलिए उनकी इस भविष्यवाणी के लिए उनके मुंह में घी शक्कर।पीएम मोदी ने दोहराया कि कांग्रेस का परजीवी युग शुरू हुआ है। लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ी, वहां उनका स्ट्राइक रेट शर्मनाक है। जहां दूसरे के सहारे चुनाव लड़े, वहीं फायदा उठा पाए। उन्होंने कहा जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कांग्रेस और यूपीए के राज में होता था। हमने जांच एजेसियों को भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खुली छूट दे रखी है। सरकार कहीं टांग नहीं अड़ा रही और नहीं अड़ाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अपने भाषण में कई महीनों से हिंसा से ग्रस्त मणिपुर का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि मणिपुर में हालात सामान्य बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयायरत है।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर के मुद्दे पर लोगों को आग में घी डालने का काम नहीं करना चाहिए। मोदी ने बताया कि यहां पर जातीय संघर्ष का इतिहास बहुत पुराना है। साल 1993 में भी इसी तरह हिंसा का एक लंबा दौर चला था। हिंसा की वजह से मणिपुर जैसे छोटे राज्य में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा हैं।
18वीं लोकसभा के गठन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा को लेकर पहली बार बयान देते हुए बताया कि पिछले कुछ समय से मणिपुर में हिंसा की घटनाओं में लगातार कमी आ रही हैं।
उन्होंने कहा कि मणिपुर में सामान्य तरीके से स्कूल और कॉलेज खुल रहे हैं। देश के अन्य राज्यों में जिस तरह से परीक्षाओं का आयोजन कराया गया, वैसे ही यहां पर भी परीक्षाएं हुईं हैं। केंद्र सरकार सभी से बातचीत करके शांति बहाली और सौहार्दपूर्ण रास्ता बनाने की कोशिश में लगी हुई हैं।राज्य के छोटे-छोटे ग्रुपों से बात की जा रही है।
इसके साथ ही मोदी ने प.बंगाल में महिलाओं पर अत्याचार का मुद्दा उठाते हुए प्रतिपक्ष पर पलटवार किया और कहा कि जो घटना संदेशखाली में हुई, जिसकी तस्वीरें रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं, लेकिन बड़े बड़े दिग्गज जिनको मैं कल से सुन रहा हूं,कोई पीड़ा उनके शब्दों में नहीं झलक रही है। इससे बड़ी शर्मिंदगी का चित्र क्या हो सकता है? जो लोग खुद को प्रगतिशील नारी नेता मानते हैं, वो भी मुंह पर ताले लगाकर बैठ गए हैं क्योंकि घटना का संबंध उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े दल से या राज्य से है।
उन्होंने किसानों और खेती फर्टिलाइजर को लेकर कहा कि वैश्विक संकटों की वजह से कुछ समस्याएं उत्पन्न हुईं थी लेकिन हमने 12 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देकर इसका असर किसानों पर नहीं पड़ने दिया। हमने कांग्रेस के मुकाबले कहीं अधिक पैसा किसानों तक पहुंचाया। अन्नभंडारण का विश्व का सबसे बड़ा अभियान हमने हाथ में लिया और इस दिशा में काम चल पड़ा है।फल और सब्जी की तरफ हम चाहते हैं कि किसान मुड़े और उसके भंडारण की दिशा में हम काम कर रहे हैं।सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर हमने देश की विकास यात्रा को रफ्तार देने की कोशिश की है। आजादी के बाद अनेक दशकों तक जिनको कभी पूछा नहीं गया, हमारी सरकार उनको पूछती तो है, पूजती भी है। दिव्यांग भाई-बहनों के साथ उनकी कठिनाइयों को समझते हुए गरिमापूर्ण जीवन की दिशा में काम किया है. हमारे समाज में किसी न किसी कारण से एक उपेक्षित वर्ग ट्रांसजेंडर वर्ग है। हमारी सरकार ने ट्रांसजेंडर साथियों के लिए कानून बनाने का काम किया है. पश्चिम के लोगों को भी आश्चर्य होता है कि भारत इतना प्रोग्रेसिव है।पद्म अवॉर्ड में भी ट्रांसजेंडर को अवसर देने में हमारी सरकार आगे आई।
पीएम मोदी ने कहा, राष्ट्रपति महोदया के भाषण में देशवासियों के लिए प्रेरणा भी थी, प्रोत्साहन भी था और एक प्रकार से सत्य मार्ग को पुरस्कृत भी किया गया था। पिछले दो-ढाई दिन में इस चर्चा में करीब 70 माननीय सांसदों ने अपने विचार रखे हैं। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में परंपरा के मुताबिक, राष्ट्रपति ने अपनी सरकार के पांच साल का रोडमैप रखा था। इसके बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर दोनों सदनों राज्यसभा लोकसभा में चर्चा की शुरुआत हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी के जवाब के साथ इस चर्चा का समापन हुआ है। बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही की शुरुआत में सदस्यों ने हाथरस हादसे के मृतकों को श्रद्धांजलि दी।
पिछले एक सप्ताह से लोकसभा और राज्यसभा में जो दृश्य और ट्रेज़री बेंच एवं प्रतिपक्ष के सदस्यों का आचरण तथा व्यवहार देखा गया है।उससे लगता है कि कहीं देश 90 की दशक की राजनीति की ओर तो नहीं बढ़ रहा। पक्ष और प्रतिपक्ष के मध्य खीच रही तलवारे,एक दूसरे को दी जा रही चुनौतियां दोनो पक्षों के बीच निकट भविष्य में सोहार्द पूर्ण वातावरण सृजित कर पाएगी इसमें संशय दिख रहा है।
देखना है संसद के अगले सत्र में जोकि केंद्र सरकार की ओर पूर्ण बजट प्रस्तुत करने महत्व पूर्ण सत्र भी है में,पक्ष और प्रतिपक्ष के मध्य खीच रही तलवारे अपनी अपनी म्यानों में लौटेंगी अथवा कुछ प्रदेशों एवं उप चुनावों तक ऐसी ही स्थिति बनी रहेंगी?