राजस्थान में सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा इस्तीफा दे कर किया धमाका

Rajasthan's most senior minister Dr. Kirodilal Meena made a big splash by resigning

  • राजस्थान विधानसभा के वर्तमान सत्र के दौरान हुए इस घटनाक्रम से भाजपा में खलबली, शीर्ष नेतृत्व भी हतप्रभ

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान विधान सभा के चल रहें वर्तमान सत्र के दौरान मुख्यमन्त्री भजनलाल शर्मा मंत्रिपरिषद के सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने इस्तीफा दे कर धमाका कर दिया है। डॉ. मीणा के इस्तीफे से भाजपा में खलबली मच गई है। ब्रज के एक धार्मिक कार्यक्रम में स्वयं उन्होंने अपने इस्तीफे की पुष्टि भी कर दी है।

मुख्यमन्त्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान विधान सभा में डॉ. किरोड़ीलाल मीणा से संबद्ध विभागों कृषि और ग्रामीण मंत्रालय से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए एक अन्य मंत्री के के विशनोई को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपीं हैं। यह भी बताया जा रहा है कि डॉ. मीणा ने मुख्यमंत्री शर्मा को अपना इस्तीफा 20 जून को ही सौंप दिया था। इसी वजह से वो पिछले कई दिनों से सरकार की अहम बैठकों में भी शामिल नहीं हो रहें थे। साथ ही उन्होंने सभी सरकारी सुविधाओं को भी त्याग रखा था।

राजनीतिक पर्यवेक्षको का मानना है कि राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार को यह एक बड़ा झटका लगा है। मंत्रीमंडल के वरिष्ठ सदस्य डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा देने से भाजपा में खलबली मच गई है। पार्टी अपने इस क़द्दावर मीणा नेता को पिछले कई दिनों से मनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वे नहीं माने। डॉ. मीणा पहले ही कह चुके थे कि वे पूर्वी राजस्थान में भाज़पा की हार की नैतिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करते हुए वे इस्तीफा देंगे। कई नेताओं ने सोचा था कि यह केवल राजनीतिक बयानबाजी है लेकिन मंत्री पद से इस्तीफा देकर डॉ. मीणा ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी चौंका दिया है।

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान की तीन सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। पीएम नरेंद्र मोदी ने डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को पूर्वी राजस्थान की सात लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी दी थी। इन सात सीटों में से चार में भाजपा जीती लेकिन तीन सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। विशेष कर दौसा और टोंक लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में मीणा बड़ा प्रभाव माना जाता है।लेकिन वहां भी भाजपा हार गई। चुनाव के दौरान डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने दावा किया था कि यदि दौसा और टोंक में अगर भाजपा के प्रत्याशी जीत नहीं पाते हैं तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। भाजपा के प्रत्याशी दोनों ही सीटों पर हार गए।इसके बाद कांग्रेस के लगातार हमलों के मध्य डॉ. मीणा ने फिर से कहा कि ‘प्राण जाय पर वचन ना जाईं’ और कई दिनों तक चले क़यासों का पटाक्षेप करते हुए उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सार्वजनिक कर दिया। राज्य विधान सभा का सत्र चलने से भाजपा असहज स्थिति में आ गई है।

लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के दिन 4 जून की दोपहर को जब रिजल्ट आने शुरू हुए तो पता चल गया था कि दौसा और टोंक सीट से भाजपा के प्रत्याशी चुनाव हारने वाले हैं। इस स्थिति को देखते हुए डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने ट्वीट किया जिसमें लिखा कि ‘प्राण जाय पर वचन ना जाए।’ डॉ. मीणा के इस ट्वीट से भी भाजपा में खलबली मच गई थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने की कोशिशें करते रहे। मीडिया के सामने डॉ. मीणा ने चुप्पी साध ली थी और अब उन्होंने अपना वचन निभाते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। डॉ. मीणा सरकारी सुविधाएं पहले ही छोड़ चुके थे।

लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान मंत्रियों को सरकारी वाहन नहीं मिला था। चुनाव परिणाम आने के बाद यानी आचार संहिता हटने के बाद सभी मंत्रियों ने सरकारी वाहन और अन्य सुविधाओं का उपयोग शुरू कर दिया था लेकिन डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने ना तो सरकारी वाहन का इस्तेमाल किया और ना ही अन्य कोई सरकारी सुविधाएं ली। डॉ. मीणा ने सचिवालय स्थित कृषि विभाग के दफ्तर भी जाना छोड़ दिया था। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठकों में डॉ. मीणा शामिल नहीं हुए। यहां तक कि भाजपा विधायक दल की बैठक और बजट की तैयारी के लिए हुई मंत्रिमंडल और कैबिनेट की बैठकों से भी दूरी बना ली थी।

डॉ. मीणा के इस्तीफे को लेकर विपक्ष लगातार रहा हमलावर रहा है ।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेता बार बार डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को उनका वचन याद दिलाते रहे और ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर बचन न जाई’ के वादे को निभाने को लेकर बयान देते रहे। डोटासरा ने तो यहां तक कि कहा था कि डॉ. मीणा अपने वचन के पक्के हैं। उन्हें इस बार भी अपना वचन निभाना चाहिए। वहीं हुआ, बताते है डॉ. मीणा 20 जून को ही अपना इस्तीफा दे चुके थे।

मुख्यमंत्री शर्मा को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद वे नई दिल्ली भी गए और दिल्ली में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी की।पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनकी संसद सत्र की व्यवस्ताओं के चलते उन्हें राजधानी में ही रुकने को कहा था लेकिन डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ब्रज में अपने एक पूर्व निर्धारित धार्मिक कार्यक्रम की बात कह लौट गये तथा उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सार्वजनिक कर दिया।

राजस्थान में यह इस वक्त का सबसे बड़ा सियासी घटनाक्रम है। मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने खुद इसका खुलासा किया है। राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार को गुरुवार को यह एक बड़ा झटका लगा है। राजस्थान की राजनीति से जुड़ी इस सबसे बड़ी खबर का खुलासा करते हुए डॉ. मीणा ने कहा है कि मैंने पहले ही जनता के बीच यह एलान कर दिया था और सीएम भजनलाल के सामने भी पद छोड़ने की बात कही थी।उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों विशेष कर मीणा समाज के लोगों के लिए उन्होंने दिन रात अपना खून पसीना बहाया और उनकी हर समस्या के लिए हमेशा सड़कों पर रहा लेकिन उसी समाज ने उनसे और भाजपा से विमुख होकर पार्टी उम्मीदवारों को लोकसभा चुनावों में पराजित कर दिया उससे उनका मन बहुत आहत हुआ है।हालाँकि उन्होंने हाल ही पार्टी द्वारा उन्हें सौंपे गये उप चुनावों की ज़िम्मेदारी और संगठन के सभी कार्यों का शिद्दत से निभाने की बात कही है। साथ ही यह भी कहा है कि मेरे इस्तीफे से भजन लाल सरकार को कोई संकट नहीं होने वाला।

उल्लेखनीय है कि डॉ. किरोडी लाल मीणा 6 बार के विधायक हैं और वे दूसरी बार मंत्री बने थे। इसके साथ ही वे 2 बार के लोकसभा सांसद और एक बार के राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। डॉ. किरोडीलाल मीणा भजनलाल सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग और श्रम नियोजन जैसे बड़े विभाग संभाल रहे थे।

यह भी उल्लेखनीय हैं कि डॉ. किरोडी लाल मीणा अपने जुझारूपन के लिए हमेशा चर्चित रहे है।पहले भी उनकी अपनी पार्टी भाजपा और तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के साथ अनबन हुई थी और एक वक्त उन्होंने भाजपा पार्टी छोड़ कर कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में अपनी पत्नी गोलमा देवी को मन्त्री तक बनवा दिया था।