प्रमोद शर्मा
नई दिल्ली : राजस्थान में खनन को बंद करने के लिए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गई थी न कि होटल और रिसॉर्ट को बंद करने के लिए। अपने 17.05.2024 के ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने खनन को बंद करने का आदेश दिया था और उसकी कंप्लायंस रिपोर्ट मांगी है इस आर्डर की आड़ में होटल और रिसॉर्ट के मालिकों पर जबरदस्त प्रेशर बना दिया गया है ।कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा भ्रामक प्रचार कराया जा रहा हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने होटल और रिसॉर्ट को भी बंद करने का आदेश दिया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल 2023 के अपने जजमेंट में यह क्लियर कर दिया था कि होटल और रिजॉर्ट रेगुलेटेड कैटेगरी में आते हैं। यह प्रोहिबिटेड कैटेगरी में नहीं है। जबकि खनन प्रोहिबिटेड कैटेगरी में है ।इसीलिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने खनन को बंद करने का आदेश दिया है। कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा ग़लत तरीक़े से प्रचार प्रसार कर राजस्थान के टूरिज्म को बर्बाद करने का प्रयास कर रहे हैं। इस दुषप्रचार की वजह से रिसॉर्ट और होटल मालिकों में जबरदस्त तनाव है। होटल और रिसॉर्ट मालिकों की एसोसिएशंस की तरफ से सरकार को यह गुजारिश की गई है की इन भ्रामक खबरों पर तुरंत लगाम लगाई जाए और उनके खिलाफ एक्शन लिया जाए ताकि राजस्थान के टूरिज्म को बचाया जा सके। उनका यह भी कहना है की रिसॉर्ट और होटल में हजारों पेड़ लगाए जाते हैं और लग रहे हैं जो कि एनवायरनमेंट के लिए प्रोटेक्शन का काम करते हैं और फॉरेस्ट क्रिएशन का काम किया जा रहा है। उनका यह भी कहना है आजकल पूरे देश में स्पेशली राजस्थान में बहुत ज्यादा बेरोजगारी है और इन होटल और रिसॉर्ट ने लोकल लोगों को बहुत रोजगार दिया है और आगे भी देते रहेंगे।संगठन का यह भी कहना है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने 26 अप्रैल 2023 के ऑर्डर में यह क्लियर कर दिया था कि इको सेंसेटिव जोन के लिए कोई न्यूनतम दूरी तय नहीं की है। संगठन का यह भी कहना है राजस्थान का टूरिज्म पूरे वर्ल्ड में फेमस है और सारी दुनिया से लोग राजस्थान की संस्कृति देखने के लिए आते हैं और यहां के होटल एंड रिजॉर्ट्स उनका भरपूर सुविधा प्रदान करते हैं और यहां की संस्कृति को बढ़ाने का कार्य भी करते हैं। EIA नोटिफिकेशन 2006 आज भी लागू है और उसके अनुसार 20000 वर्ग मीटर बिल्ड अप एरिया से कम के रिसॉर्ट और होटल एनवायरमेंटल क्लीयरेंस लेने की कोई आवश्यकता नहीं है और इसके ऊपर एनवायरमेंटल क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेने की जरूरत है। संगठन का यह भी कहना है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपनी 26 अप्रैल 2023 की जजमेंट में मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट एंड फॉरेस्ट गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया की 2011 की गाइडलाइंस पर अपना विश्वास जताया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जजमेंट दिनांक 3 दिसंबर 2010 में जो सुझाव दिया था उसके बेसिस पर ही भारत सरकार ने 2011 में गाइडलाइंस जारी की थी। इको सेंसेटिव जोन का मतलब होता है कि यह शॉक अब्जॉर्बर की तरह काम करता है ताकि लोगों को यह पता लग सके कि आगे कोई सेंचुरी है। इस गाइडलाइन के अंदर तीन तरह की एक्टिविटी कैटिगरीज की गई है नंबर 1 प्रोहिबिटेड नंबर 2 रेगुलेटेड और थर्ड वन परमिटेड। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने 26 अप्रैल 2023 के ऑर्डर में इन सभी तीनों कैटिगरी को समावेशित किया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट का 17 .05. 2024 का आदेश केवल प्रोहिबिटेड कैटेगरी के और स्पेशली खनन के लिए था। और इसी आदेश में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने खनन को ही CTH से 1 किलोमीटर दूर तक बंद करने का आदेश दिया है। होटल एंड रिजॉर्ट्स यह सब रेगुलेटेड एक्टिविटी में आते हैं और टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं साथ ही एनवायरमेंट को प्रोटेक्ट करते हैं कुछ लोकल समाचार पत्र मेला फाइंड इंटेंशन के साथ माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भ्रामक तरीके से प्रचार कर रहे हैं।