लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुए नुकसान की गाज क्या कुछ मुख्यमंत्रियों और प्रदेश अध्यक्षों पर गिरेगी?

Will the blame for BJP's loss in the Lok Sabha elections fall on some Chief Ministers and State Presidents?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

लोकसभा चुनावों में कुछ राज्यों में पार्टी के अच्छा प्रदर्शन नहीं करने की चिंता से भाजपा अभी भी उबर नहीं पाई है। फिर कुछ दिनों पूर्व ही आए विभिन्न प्रदेशों के विधानसभा उप चुनाव के परिणामों ने भी जले पर नमक का काम किया है। इससे पार्टी की चिंताएं और अधिक बढ़ गई है।

भाजपा उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा आदि प्रदेशों में लोकसभा चुनाव परिणामों से अभी भी आहत है। यदि इन प्रदेशों में 2014 और 2019 जैसे परिणाम आते तो भाजपा को लोकसभा में न केवल पूर्ण बहुमत हासिल हो जाता वरन उसे अपने एनडीए सहयोगी दलों की बैसाखियों का सहारा भी नहीं लेना पड़ता। इन हालातों में अपनी सरकार वाले प्रदेशों के कुछ मुख्यमंत्रियो और प्रदेश अध्यक्षों पर इसकी गाज गिर सकती हैं।

लोकसभा चुनाव परिणामों से व्यथित भाजपा अब चुनाव का अंदरूनी विश्लेषण और मंथन की तैयार में लग गई है। इसी क्रम में जुलाई के अंत में पार्टी ने अपने सभी मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों की एक अहम मीटिंग बुलाई है।

भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों की यह महत्वपूर्ण बैठक इसी महीने 27 और 28 जुलाई को नई दिल्ली में होने जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आदि शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे। इस बैठक में लोकसभा चुनाव के नतीजों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकारों की जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का फीड बैक भी लिया जाएगा।

विश्वस्त सूत्रों की जानकारी के अनुसार, राज्य सरकारों और भाजपा के राज्य संगठनों के साथ केंद्र का समन्वय इस मीटिंग के एजेंडे का अहम हिस्सा रहेगा। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद इस बात की चर्चा थी कि राज्य में भाजपा संगठन और सरकार के बीच कुछ ठीक नहीं हैं। इन चर्चाओं के मध्य राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और राज्य बीजेपी प्रमुख भूपेंद्र चौधरी को नई दिल्ली भी तलब किया था। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी समिति की बैठक लखनऊ में हुई थी। इस बैठक में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि पार्टी संगठन सरकार से भी बड़ा होता है। सभी मंत्रियों, विधायकों और जन प्रतिनिधियों को पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान करना चाहिए और उनके सम्मान का ख्याल रखना चाहिए।

वहीं,इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था कि लोकसभा चुनावों में अति आत्मविश्वास की वजह से बीजेपी को नुकसान हुआ है। भाजपा को 2014 और उसके बाद के चुनावों में जितने प्रतिशत वोट मिले थे उतना ही प्रतिशत वोट 2024 में भी मिला है,लेकिन वोटिंग की शिफ्टिंग और अति आत्मविश्वास की वजह से हमें नुकसान हुआ है। इस मीटिंग के दो दिन बाद केपी मौर्य और भूपेंद्र चौधरी दिल्ली पहुंचे थे और पार्टी के शीर्ष नेताओं से उनकी मुलाकात हुई थी।

उत्तर प्रदेश की तरह राजस्थान में भी भाजपा को 25 सीटों में से 2014 और 2019 की तरह 25 की 25 सीटों पर विजय नहीं मिली और उस बार पार्टी को 11 सीटों पर पराजय का मुंह देखना पड़ा। उत्तर प्रदेश की तरह राजस्थान में भी चुनाव परिणामों की समीक्षा की गई और हार के कारणों की रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाई गई। राजस्थान में डॉ किरोड़ी लाल मीणा का भजन लाल मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देना भी पार्टी के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। हरियाणा में भी दस में से पांच सीटों पर भाजपा को नुकसान हुआ। भाजपा जाट,गुर्जर,राजपूत, ओबीसी मतदाताओं के अपने से छीटकने को लेकर भी दुखी है।

भाजपा की असली चिंता हरियाणा, महाराष्ट्र आदि पांच प्रदेशों के साथ ही विधान सभा की रिक्त हुई सीटों पर होने वाले चुनाव है । यदि भाजपा को उसमें भी आशातीत सफलता नहीं मिलती तो निश्चित रूप से खराब प्रदर्शन करने वाले प्रदेश के नेतृत्व पर गाज गिरेगी और भाजपा सत्ता और संगठन में बदलाव कर नए सिरे से ताकत बटोरने का काम करेगी।

देखना है लोकसभा चुनाव में भाजपा को हुए नुकसान की गाज क्या कुछ मुख्यमंत्रियों और प्रदेश भाजपा अध्यक्षों पर गिरेगी?