- 23 जुलाई को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट आयेगा
- पिछले सत्र की तरह इस सत्र के भी हंगामेदार रहने की संभावना, सर्वदलीय बैठक में गतिरोध टालने के प्रयास
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
संसद का मानसून और बजट सत्र सोमवार से शुरू होने जा रहा है। संसद का 22 जुलाई को शुरू होने वाला यह सत्र 12 अगस्त तक चलेगा।18 वीं लोकसभा के इस दूसरे सत्र के दूसरे दिन 23 जुलाई को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। वे लगातार सातवीं बार बजट पेश करने वाली एनडीए सरकार की पहली महिला मंत्री बन जाएंगी। वैसे उनके पहले 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी बतौर वित्त मंत्री आम बजट पेश करने वाली देश की पहली महिला वित्त मंत्री थी उसके बाद 2019 में निर्मला सीतारमण दूसरी महिला वित्त मंत्री और तब से वे लोकसभा में लगातार मोदी सरकार का बजट प्रतुत कर रही हैं । वैसे सर्वाधिक दस बार आम बजट रखने का अटूट रिकार्ड पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत मोरार जी देसाई के नाम है। हालांकि वे लगातार वित्त मंत्री नहीं रहें।
मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट से आम लोगों को काफी उम्मीदें है। माना जा रहा है कि बजट में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार कई सौगातें दे सकती है। विशेष कर इस बजट में सरकार मध्यम वर्ग के लोगों के लिए कई बड़े एलान भी कर सकती है। वहीं, हमेशा की तरह सैलरी क्लास लोगों को इनकम टैक्स में छूट मिलने की पूरी उम्मीद है।
संसद के मानसून और बजट सत्र से पहले आज रविवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। इस बैठक में भाजपा और कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के 44 नेताओं ने भाग लिया। टी एम सी ने अपनी पूर्व निर्धारित बैठक का हवाला देते हुए बैठक में भाग नहीं लिया। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा, कांग्रेस नेता जयराम रमेश एवं गौरव गोगोई और केंद्रीय मंत्री तथा लोजपा (रामविलास) नेता चिराग पासवान सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए। इस पारंपरिक बैठक में कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ सांसद के सुरेश, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी के अलावा राजद के अभय कुशवाहा, जदयू के संजय झा, आप के संजय सिंह, सपा नेता रामगोपाल यादव और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे।
बैठक का मुख्य एजेंडा सदन का सुचारु ढंग से संचालन किए जाने पर केंदित रहा। बीते संसद सत्र की तरह इस सत्र में भी हंगामा न हो इसके लिए सरकार की ओर से सर्वदलीय बैठक में सत्ता सदन को निर्बाध गति से चलाने तथा गतिरोध टालने के लिए आम सहमति बनाने का प्रयास किया गया। उल्लेखनीय है कि संसद का पिछला सत्र काफी हंगामेदार रहा था। प्रतिपक्ष ने नीट परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया था। 18वीं लोकसभा के गठन के बाद पहले संसद सत्र में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी केन्द्र सरकार पर हमलावर रहे थे तथा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ यानी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ ने नीट विवाद के अलावा मणिपुर की स्थिति और महंगाई जैसे मुद्दों को उठाया था। इन मुद्दों पर विपक्ष ने जमकर नारेबाजी व शोरगुल की जिसकी वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही में बाधा पहुंची थी। यह सत्र 24 जून से शुरू होकर 3 जुलाई तक चला था। लोकसभा के तमाम नए सदस्यों को इस दौरान शपथ दिलायी गयी थी।
रविवार को संसद के एनेक्सी भवन में हुई सर्वदलीय बैठक में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बजट सत्र से पहले संसद के दोनों सदनों में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की. इस बैठक में विपक्ष के भी कई नेता पहुंचे. संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है।संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में जेडीयू ने बिहार और वाईएसआरसीपी नेता ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा। टीडीपी नेता इस मामले पर चुप रहे।कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार बैसाखी पर है. यह संविधान, उसके मूल्यों और परंपराओं की हत्या करने का प्रयास कर रही है। जिस तरह से संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर की मूर्ति को हटाया गया है, वो ठीक नहीं है। संवैधानिक एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। बेरोजगारी और महंगाई सरकार की नीतियों के कारण नहीं बल्कि सरकार के संरक्षण में बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील इलाकों में सेना और सुरक्षा बलों पर हमले किए जा रहे हैं।यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बलिदान का अनादर किया जा रहा है। ऐसे कई मुद्दे हैं जो लोगों से जुड़े है। हम इन सभी मुद्दों को संसद में उठाएंगे।
इसके पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन के सदस्यों को सूचित कर चुके है कि मानसून सत्र के दौरान 18 बैठक होंगी और कुल 108 घंटे का समय होगा।इसमें करीब 62 घंटे सरकारी कामकाज के लिए होंगे. शेष समय प्रश्नकाल, शून्यकाल और गैर-सरकारी कामकाज के लिए आवंटित होंगे।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि एक महीने से भी अधिक समय तक चलने वाले संसद के इस मानसून और बजट सत्र का मिजाज इस बार कैसा रहेगा?