पुस्तकें अच्छी या ख़राब नहीं होतीं , अच्छा और ख़राब होता है उद्धृत भाव—महामहिम राज्यपाल आनन्द बोस.
रविवार दिल्ली नेटवर्क
कोलकाता : अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था रचनाकार – एक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्रांति ( शुक्तिका इंडिया फाउंडेशन का एक प्रकल्प) का चतुर्थ वार्षिक अधिवेशन भारतीय भाषा परिषद के प्रेक्षागृह में रविवार 21 जुलाई को आयोजित किया गया। आयोजन में देश भर से करीब 30 गणमान्य साहित्यकार पधारे। अधिवेशन की पूर्व संध्या पर एक स्नेह मिलन रखा गया जिसमें अतिथियों के साथ संस्था के कार्यकारिणी सदस्यों का रात्रिभोज हुआ।
इस वार्षिक अधिवेशन के उद्घाटनकर्ता और मुख्य अतिथि के रूप में पश्चिम बंगाल के महामहिम राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस उपस्थित थे। महामहिम ने अपने वक्तव्य में साहित्य से जुड़ी प्रमुख बातें अपने अंदाज में बतायीं और कुछ अपने संस्मरण भी सुनाए। उन्होंने कहा कि पुस्तक की मार्केटिंग महत्वपूर्ण होती है, एक अच्छे लेखक की पुस्तक भी नहीं बिकती जबकि साधारण लेखक की पुस्तक आकर्षक शीर्षक और मार्केटिंग से लाखों में बिकती है। उनके प्रभावी भाषण ने श्रोताओं को बांधे रखा और हास्यप्रद संस्मरणों पर सभागार अनेक बार हंसी से गूंज उठा।
कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती के प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित कर किया गया। ततपश्चात पहली कक्षा की छात्रा स्वरातिका अग्रवाल ने सरस्वती वंदना पर नृत्य प्रस्तुत किया। मंच पर महामहिम राज्यपाल के साथ रचनाकार के संस्थापक सभापति सुरेश चौधरी, समाज सेवी श्री लक्ष्मीनारायण भाला, प्रसिद्ध कवि श्री सुरेश नीरव, छपते छपते के संपादक श्री विश्वंभर नेवर, कोलकाता स्थित राजस्थान सूचना केंद्र के निदेशक हिंगलाज दान रतनू, डॉ इंदु झुनझुनवाला, अरविंद सिंह दिनकर आदि उपस्थित थे। राज्यपाल का अभिनंदन राजस्थानी साफा , स्मृति चिन्ह, भेंट एवं उत्तरीय के साथ रचनाकार के सभापति सुरेश चौधरी ने किया।
इस अवसर पर महामहिम का स्वनिर्मित रेखा चित्र बालक विवान सरन द्वारा भेंट किया गया।
स्वागत वक्तव्य रावेल पुष्प ने दिया। संस्कृति मंत्री आलोक चौधरी एवं उनके दल ने संस्था का स्वस्ति गीत प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में विशिष्ट कवियों और लेखकों को सम्मानित किया गया। कर्मयोगी ननीगोपाल चक्रवर्ती स्मृति साहित्य सम्मान से प्रवीर मुखोपाध्याय, रचनाकार दिनकर साहित्य शिरोमणि सम्मान से लक्ष्मी नारायण भाला, रचनाकार दिनकर काव्य शिरोमणि सम्मान से ज्ञानचंद मर्मज्ञ, रचनाकार दिनकर साहित्य शिखर सम्मान से इंदु झुनझुनवाला, रचनाकार साहित्य प्रज्ञा सम्मान से भंवर पृथ्वीराज रतनू, रचनाकार प्रतिभा सम्मान से नंदलाल रौशन और रचनाकार दुर्गावती चौधरी स्मृति साहित्य सारथी सम्मान से विजय स्वर्णकार को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त अन्य कवि और कवयित्रियों को स्मृति चिन्ह, पगड़ी और दुपट्टा देकर सम्मानित किया गया। जिनमें मुख्य रूप से रत्नेश्वर सिंह, राजेश प्रभाकर, वंदना योगी, प्रमोद रामावत, राखी कटियार, डॉ. जितेंद्र कुमार, मधु मिश्रा, बाबू गीतेश्वर घायल, सुशील साहिल, रूबी भूषण, माधुरी स्वर्णकार, रवि प्रताप सिंह ओर संजय शुक्ला थे। इस अवसर पर राज्यपाल की पुस्तक, ‘अष्ट भारती’, रचनाकार की सभापति सुरेश चौधरी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित पुस्तक ‘प्रज्ञान विश्वम’, इंदु झुनझुनवाला की पुस्तक ‘भला शब्दों में क्या रखा है’ और ‘संवेदना के सूत्रधार’ का लोकार्पण राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के हाथों किया गया। द्वितीय सत्र में देश भर से पधारे कवियों द्वारा प्रस्तुत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें सभी सम्मानित कवियों और कवयित्रियों ने अपनी-अपनी स्वरचित रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का कुशलतापूर्वक संचालन संस्था की अध्यक्ष रचना सरन और डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया।
द्वितीय सत्र का कुशल संचालन चंदा प्रहलादका तथा माधुरी स्वर्णकार ने किया। राज्यपाल जी का धन्यवाद ज्ञापन सुरेश चौधरी ने किया और सभागार में उपस्थित लोगों का धन्यवाद ज्ञापन चन्दा प्रह्लादका ने किया तो द्वितीय सत्र का धन्यवाद ज्ञापन रावेल पुष्प ने किया। रचनाकार के चतुर्थ वार्षिक अधिवेशन को सफल बनाने में आलोक चौधरी, रमाकांत सिन्हा, गौरव शशि, डॉ केयूर मजमुदार, विनोद यादव, शशि लाहोटी, मौसमी प्रसाद, सविता भुवानिया, सीमा शर्मा, मीतू कानोड़िया, संदीप गुप्ता, अल्पना सिंह, रेखा ड्रोलिया, शीला अग्रवाल, उषा पांडेय आदि में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। इस अधिवेशन का सीधा प्रसारण साहित्य टाइम्स द्वारा प्रसारित किया गया। कोलकाता के सैकड़ों साहित्यप्रेमियों में इस अधिवेशन ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।