गोपेन्द्र नाथ भट्ट
देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने केन्द्र सरकार की अनुशंसा पर हरिभाऊ किसनराव बागड़े को राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया है,वहीं राजस्थान के दिग्गज नेता ओम प्रकाश माथुर को सिक्किम, सीएच विजयशंकर को मेघालय,जिष्णु देव वर्मा को तेलंगाना और पूर्व केन्द्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया है। राजस्थान में हरिभाऊ किसनराव बागड़े वर्तमान राज्यपाल कलराज मिश्र का स्थान लेंगे, जोकि 9 सितम्बर 2019 से इस पद पर हैं।
झारखंड के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को तेलंगाना के अतिरिक्त प्रभार के साथ महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। इसके अलावा सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को असम भेज दिया गया है। उन्हें मणिपुर के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है।राष्ट्रपति मुर्मू ने रमेन डेका को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। रमेन डेका अब विश्व भूषण हरिचंदन की जगह लेंगे।
राष्ट्रपति ने पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उनके स्थान पर असम के राज्यपाल राजस्थान भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे गुलाब चंद कटारिया को पंजाब का राज्यपाल नियुक्त किया है। उन्हें केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ का प्रशासक का भी कार्यभार सौंपा गया है।
महाराष्ट्र के हरिभाऊ किशनराव बागड़े बुधवार से राजस्थान के नए राज्यपाल बन जायेंगे । नवनियुक्त राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े मंगलवार को जयपुर आएंगे। जिनकी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपने मंत्रिपरिषद के साथ जयपुर एयरपोर्ट पर अगवानी करेंगे और बुधवार शाम 4 बजे राज्यपाल हरिभाऊ राज्यपाल पद की शपथ लेंगे।मुख्य न्यायाधिपति एमएम मोहन श्रीवास्तव हरिभाऊ बागड़े को शपथ दिलाएंगे।
उल्लेखनीय हैं कि हरिभाऊ किशनराव बागड़े महाराष्ट्र के बेहद साधारण परिवार से आते है। उन्होंने अपनी आजीविका चलाने के लिए सालों तक औरंगाबाद के फुलंब्री में अखबार बेचा। उनकी मिलनसारिता और लोकप्रियता देख भाजपा ने बागड़े को 1985 में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया और वे पहली बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे। चार बार विधायक रहे बागड़े ने विधानसभा स्पीकर का पद भी संभाला । उन्होंने महाराष्ट्र में रोजगार मंत्री के रूप में भी बेहतर कार्य किया। एक समय बागड़े की गिनती गोपीनाथ मुंडे के करीबियों में होती थी। हरिभाऊ ने गोपीनाथ मुंडे के साथ मराठवाड़ा में बीजेपी के लिए काम किया।
राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का जन्म 17 अगस्त 1945 को हुआ। उनका जन्म महाराष्ट्र के औरंगाबाद के चित्तेपिंपळगांव में हुआ। अपनी सादगी और मृदुभाषी के रूप में हरिभाऊ बागड़े की एक अलग ही पहचान रही है। हरिभाऊ बागड़े 6 बार विधायक रहे हैं। वे पहली बार 1985 में औरंगाबाद पूर्व से विधायक बने थे। इसके बाद वे 1985, 1990, 1995 और 1999 में औरंगाबाद पूर्व से विधायक चुने गए । जबकि फुलंब्री विधानसभा से 2014 और 2019 में विधायक का चुनाव जीता। उन्होंने 2019 में कांग्रेस के कल्याण काले को 1 लाख से अधिक वोटों से हराया था।स्वच्छ छवि वाले हरिभाऊ ने हमेशा खुद से ज्यादा काम को तवज्जो दी ।
महाराष्ट्र में सादगी और कर्मठ नेता के रूप में हरिभाऊ की एक अलग पहचान है। वे जबरदस्त जनसंपर्क वाले और अपने क्षेत्र के लोगों में खासे लोकप्रिय है। सफेद कुर्ता, धोती और सिर पर गांधी टोपी हरिभाऊ बागड़े की पहचान है। हरिभाऊ 13 साल की उम्र में आर एस एस से जुड़े थे। 1965 से 1969 तक उन्होंने संघ के मुखपत्र साप्ताहिक ‘विवेक’ में काम किया। वे 1967 से 1972 तक औरंगाबाद में जनसंघ के लिए कार्यकर्ता के रूप में समर्पित हुए। आपातकाल के वक्त भी आर एस एस और जनसंघ के नेताओं की खूब मदद की। साथ ही पत्रकार के रूप में आपातकाल की रोज की खबरें भी जनता तक पहुंचाते थे। ऐसे में धीरे-धीरे अपने क्षेत्र की जनता में हरिभाऊ खासे लोकप्रिय हुए। हरिभाऊ बागड़े ने अपने क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में ‘दूध सोसायटी’ की भी स्थापना की। चीनी मिल में क्षेत्र के लोगों को रोजगार दिलाने का भी काम बखूबी किया. हरिभाऊ देवगिरी नागरी सहकारी को-ऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष भी रह चुके है।
हाल ही हरिभाऊ बागड़े ने अपने विधानसभा अध्यक्ष रहते एक रोचक किस्सा सुनाया. हरिभाऊ 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर रहे. उस वक्त विपक्ष के नेता ने हरिभाऊ बागड़े पर बातों को जानबूझकर नहीं सुनने का आरोप लगाते थे. राष्ट्रवादी के जयंत पाटिल ने उस वक्त विधानसभा में इसका कारण पूछा था. तब हरिभाऊ बागड़े ने खुद इसके पीछे की कहानी बताई थी. कहा था-‘आपातकाल के दौरान मैंने तपती धूप, हवा,ठंड और बारिश की परवाह नहीं की और दिसंबर में ठंड के मौसम में भी लगातार घूमता रहा. इस दौरान मैं बेहोश हुआ और मेरे कान सुन्न हो गए. अस्पताल नहीं जाकर मैं 2-3 दिन घर पर रहा जिसका असर मेरे कानों पर हुआ. मेरे जिले के लोगों को इसके बारे में पता है।
राजनीतिक हलकों में अब यह चर्चा है कि मोदी सरकार अब उत्तर प्रदेश, केरल और गुजरात के राज्यपाल किन्हें बनायेगी? उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन और गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के पांच वर्षीय कार्यकाल 22 जुलाई को पूरा हो गया है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन का कार्यकाल 29 जुलाई को पूरा हो गया है। इसी प्रकार केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का कार्यकाल 6 सितंबर को पूरा होगा।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार उत्तर प्रदेश, केरल और गुजरात के राज्यपाल किसे बनाएंगी और इन प्रदेशों में भी अप्रत्याशित बनाए जायेंगे जैसा हाल ही राजस्थान सहित कुछ अन्य प्रदेशों में किया गया है?