रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्लीः बांग्लादेश में तख्ता पलट के बाद प्रधान मंत्री शेख हसीना का देश छोड़कर चले जाना भारत के लिए गंभीर चुनौती है और इससे निबटने के लिए भारत सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। बंगाल सीमा पर सेना तैनात कर दी गई है ताकि वहां से लोग भागकर इधर न आये और दंगाई तत्व मौका देखकर भारत में घुस न जायें।
सोमवार को शेख हसीना ढाका छोड़कर दिल्ली आ गई थीं। उन्होंने कई देशों से शरण की अपील की थी लेकिन इंग्लैंड ने मना कर दिया। समझा जा रहा है कि वह फिनलैंड चली जायेंगी। भारत में उनका रहना ठीक नहीं है।
शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन भड़काने में आईएसआई एजेंटों के अलावा चीन का भी हाथ बताया जा रहा है जो भीतर ही भीतर आंदोलन को हवा दे रहे थे। उधर विपक्षी दल बीएनपी भी काफी सक्रिय था क्योंकि उसे चुनाव में बुरी हार मिली थी। कट्टरपंथी मुस्लिम दल भी उनसे बहुत नाराज थे क्योंकि वह उनकी चलने नहीं दे रही थी। अब भारत के पड़ोस में एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिस पर हर वक्त नजर रखना होगा। डर यह है कि कहीं कट्टरपंथी न हावी हो जायें या फिर अराजकता न फैल जाये।
शेख हसीना ने बांग्लादेश का बहुत विकास किया था और वहां की जीडीपी भी बढ़ गई थी। उसका रुपया भी पाकिस्तानी रुपये से ऊंचा हो गया था। लेकिन आरक्षण संबंधी उनके एक फैसले से पूरा देश धधक गया। और उन्हें भागना पड़ा।
सैनिक शासन लागू
बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में अब सैनिक शासन है। जनरल वकार ने घोषणा की है कि उन्होंने देश की कमान अपने हाथ में ले ली है। फिलहाल एक अंतरिम सरकार बनाया जायेगा। लेकिन उसमें शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के सदस्य नहीं होंगे।