नागासाकी परमाणु बम कांड की बरसी : जब मैंने महादैत्य देखा

Anniversary of Nagasaki Atomic Bomb Scandal: When I Saw Mahadaitya

अशोक मधुप

बचपन से हम राक्षस − दानव और दैत्यों के बारे में सुनते आ रहे हैं।बस सुनते ही आये हैं।देखे किसी ने नहीं। सुनते आ रहे हैं कि वह अपनी क्षुधा शांत करने के लिए आदमियों को मारते औऱ खाते हैं। पर यह पता नहीं लगा रोज कितने आदमियों को खाते हैं।

कई किस्सों में आया है कि गाँव के पास की पहाड़ी पर एक राक्षस ऐसा था कि वह रोज गांव के एक व्यक्ति की बलि देता था। गांव वाले स्वतः बलि के लिए रोज एक व्यक्ति सौंप देते थे। बह उसे मारता और खा जाता था। हमने किस्से सुने है पर।किसी ने राक्षस ,दानव और दैत्यों को देखा नहीं,पर मैं प्रत्यक्ष दृष्टा हूँ ।मैंने अपनी आंखों से दैत्य को देखा है। दैत्य और राक्षस ही नहीं देखा ,महाराक्षस को देखा है।महादानव को देखा। मैं भौचक्के से बहुत देर तक उसे एकटक देखता रहा।देखता ही रहा। साथ में खड़ी पत्नी और बेटे ने टोका तो मैं अपने में वापस लौटा।

घटना है अमेरिका के ओहायो स्टेट के डेटन स्थित एयर फोर्स के म्यूजियम की। मैं उन प्लेन के सामने खड़ा था, जिन्होंने एक झटके में जापान को तबाह कर दिया था। छह अगस्त 1945 की सुबह हिरोशिमा पर “लिटिल बाय” नामका परमाणु बम डाला। इसके तीन दिन बाद नागासाकी पर “फैट मैन ”नामक परमाणु बम गिराया गया। एक झटके में जापान तबाह हो गया। इसके बाद जापान ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया।इन दानव ने एक साथ ,एक ही झटके में लाखों लोगों को एक साथ मार डाला था। जो मरे सो मरे ,इनका प्रभाव है कि हादसे के 79 साल बाद भी वहां इससे फैली विकरण के प्रभावजनित बीमारियों से लोग रोज मर रहे हैं।बच्चे आज भी विकलांग पैदा होते हैं।किसी के हाथ की उंगली नहीं होती,तो किसी के पांव की।मैं सोच रहा था। वातावरण बहुत बोझिल था।

बेटे अंशुल ने महसूस किया।पूछा क्या सोच रहे हो। मैंने उससे कहा। राक्षस और दानवों का नाम सुनते ही आया था। आज महाराक्षक− महादानव को देखा रहा हूं।इन्होंने एक ही झटके में लाखों लोगों की जान लेली। जीव –जन्तु कितने मरे, इनकी तो गिनती ही नहीं। माहौल को हल्का करने के लिए उसने कहा−मम्मी-पापा सामने आओ। प्लेन के सामने आओ।आपका फोटो खींचना है।फोटो खींचे।प्लेन के पास दोनों बम के मॉडल रखे थे। यहां इस घटना, विमान और दोनों बम के बारे के विस्तार से जानकारी दी गई थी। प्लेन की साइड में बम गिराने वाले चालक दल के आदमकद कट आउट भी लगे थे।

हम यहाँ से आगे बढ़े।पूरा म्यूजियम घूमे। बहुत कुछ देखा। विश्व के आधुनिक अमेरिकन प्लेन देखे। इसमें बावजूद मन हीरोशिमा – नागासाकी पर बम गिराने वाली घटना में ही अटका रहा।

चलते− चलते मैं सोच रहा था एक घटना के बारे में ।एक कहानी के बारे में । मैंने कहानी पढ़ी। एक युद्ध के मैदान में हजारों शव पड़े हैं। बड़ी तादाद में घायल पड़े तड़प रहे थे। युद्ध के मैदान से एक शेर गुजरता है।वह एक सैनिक से आश्चर्य के साथ पूछता है −तुम इन सबको खा जाओगे। सैनिक बोला। हम आदमखोर नहीं हैं। हम आदमी को खाते नहीं हैं। शेर बोला । खाते नहीं हो तो मारते क्यों हो। लानत है तुम पर ।हम तो पेट भरने के लिए दूसरे प्राणी को मारते हैं। पेट भरा होता है तो हम किसी को कुछ नहीं कहते। भले ही वह हमारे पास घूमता रहे। तुम इंसान बहुत घटिया हो। बेबात इंसान को मारते हो। अपना रौब गांठने के लिए। अपने रूतबे के लिए । सोच रहा था, अपने को सभ्य कहने वाला इंसान कितना निकृष्ट है,बेबात लाखों लोगों के प्राण ले लेता है।

घर वापिस लौटते समय अंशुल ने पूरी घटना बताई।कहा अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल नहीं था । जापान ने उसे उकसाया। सात दिसंबर 1941 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान उसने अमेरिका के बड़े नौसैनिक केंद्र पर्ल हार्बर पर हमला किया। अमेरिकी जमीन पर ये पहला हमला था। इस हमले में लगभग 2,400 से अधिक अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। एक हजार से ज्यादा घायल हो गए । पर्ल हार्बर के हमले में लगभग 20 अमेरिकी जहाज नष्ट हो गए थे। इसके साथ ही जमीन पर मौजूद 300 से ज्यादा अमेरिकी विमान भी बर्बाद हुए थे।

सात दिसंबर की सुबह लगभग आठ बजे पर्ल हार्बर के ऊपर जापानी विमानों से आसमान भर गया था। वे आसमान से बम और गोलियां बरसा रहे थे।नीचे अमेरिकी विमान खड़े हुए थे। सुबह आठ बजकर दस मिनट पर एक 1800 पाउंड का बम अमेरिकी जहाज यूएसएस अरिजोन के ऊपर गिरा।जहाज फट पड़ा । अपने अन्दर 1000 के आस-पास लोगों को समेटे हुए डूब गया।। जापान ने 15 मिनट तक पर्ल हार्बर पर बमबारी की थी। इस हमले में 100 से ज्यादा जापानी सैनिक भी मारे गए थे। अमेरिका के दूसरे युद्धपोत यूएसएस अल्काहोमा पर तारपीडो से हमला किया गया था। उस समय जहाज पर 400 लोग सवार थे।जहाज बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ । अमेरिका के लिए ये हमला बेहद चौंकाने वाला था। हमले में अमेरिका को भारी नुकसान हो चुका था। हमले के बाद अमेरिका सीधे तौर पर दूसरे विश्व युद्ध में शामिल हो गया ।कहा जाता है कि इसी का बदला लेने के लिए अमेरिका ने 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे।उसने बताया कि यह दुनिया में किसी भी देश का दूसरे देश पर पहला और अब तक का आखिरी परमाणु हमला था।इस हमले की खास बात यह थी कि यह हमला पर्ल हर्बर पर हमले के पांच साल आठ माह बाद हुआ। अमेरिका के पास परमाणु बम तैयार नही थे। चार साल से ज्यादा समय उसे परमाणु बम तैयार करने मे लगा । परमाणु बम तैयार होने के बाद जापान को झुकाने और अपनी हनक बताने के लिए यह हमला किया गया।

आज फिर दुनिया परमाणु युद्ध के कगार पर खड़ी है। रूस –यूक्रेन युद्ध को दो साल पांच माह हो गए। रूस बजिद है कि नाटो ने सीधे हस्तक्षेप किया तो वह परमाणु शस्त्र प्रयोग करते नही चूकेगा। ऐसा ही खतरा इस्राइल पर हमास हमले के बाद बना लगता है। इस्राइल हमास और अपने दुश्मन देश ईरान से आर −पार करने को तैयार बैठा है। वह हर स्थिति के लिए तैयार है।आज के हालात ठीक नही हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की भूमिका एक तमाशबीन की बनकर रह गई है।कोई उसकी मानने और सुनने को तैयार नही।ऐसे में ऊपर बाले से ही प्रार्थनाकी जा सकती है कि वह इन लड़ने वाले देशों को सदबुद्धि दे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)