जब डॉक्टरों में दिखाई देता है भगवान

When God appears in doctors

हाल ही में राजधानी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सम्मेलन आयोजित किया गया था, जहां देश के शीर्ष डॉक्टरों ने अपने क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताया। यह सम्मेलन सभी के लिए खुला था। अब समय आ गया है कि इस तरह के सम्मेलन पूरे भारत में आयोजित किए जाएँ।

विवेक शुक्ला

सच में, यह बहुत कम देखने को मिलता है कि भारत के प्रसिद्ध डॉक्टर एक ही छत के नीचे विभिन्न बीमारियों पर बोलने के लिए एक साथ आएं और स्वस्थ जीवन जीने के तरीके के बारे बताएं। राजधानी में हाल ही में इस तरह का अनुपम अवसर बना, जिसमें बड़ी संख्या में सभी आयु वर्ग के लोगों ने प्रतिष्ठित डॉक्टरों के विचारों को सुना। राजधानी, मुंबई, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और अन्य राज्यों के शीर्ष डॉक्टरों ने इस सम्मेलन में अपने शोध पेपर पढ़े और वहां मौजूद लोगों के सवालों के जवाब भी दिए। यह संभव हुआ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएंए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल और उनकी समर्पित टीम के अथक प्रयासों से, जिन्होंने पुष्पांजलि मेडिकॉन 2024 सम्मेलन का आयोजन किया । उन्होंने सम्मेलन को इस तरह से आयोजित किया कि इसमें गर्भावस्था, स्त्री रोग, सिरदर्द, चक्कर आना, फैटी लीवर, प्रोस्टेट, सेक्स वगैरह से जुड़े विषयों पर गहन विचार विमर्श संभव हो सका।

बेशक, कोरोना काल में जिस तरह की सेवा देश के डॉक्टरों ने की थी उसके बाद इनके प्रति मन गहरा सम्मान का भाव पैदा होता है। ये वही डॉक्टर हैं,जो जानलेवा कोरोना काल के समय भगवान बनकर रोगियों का इलाज कर रहे थे। बेशक, देशभर में हजारों-लाखों निष्ठावान डॉक्टर हैं। वे रोगी का पूरे मन से इलाज करके उन्हें स्वस्थ करते हैं। आपको पटना से लेकर लखनऊ और दिल्ली से मुंबई समेत देश के हरेक शहरऔर गांव में सुबह से देर रात तक कड़ी मेहनत करते डॉक्टर मिल जाएंगे। अगर इस तरह के डॉक्टर किसी दिन आपके साथ संवाद भी कर लें तो सोने पर सुहागा ही माना जाएगा।

बहरहाल, सम्मेलन के जिस सत्र ने बहुत लोगों को आकर्षित किया वह था जब डॉ. शिव कुमार सरीन बोले। वे देश के चोटी के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं। उन्होंने बताया कि हम कैसे अपने लीवर को स्वस्थ रख सकते हैं। डॉ. सरीन ने कहा कि अधिक कैलोरी का सेवन करने के कारण फैटी लीवर हो सकता है।

डॉ. राजीव सूद, जो पंजाब की बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के कुलपति हैं, ने प्रोस्टेट की बीमारी से कैसे निपटना है, इस मसले पर अपनी राय रखी वह बीते कुछ समय पहले तक दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल और पीजीआईएमईआर के डीन थे।डॉ राजीव सूद को डॉ.आरएलएम भी कहा जाता था। उन्होंने यहां बिताए अपने चार दशकों के सफर में हर तरह के मरीजों को देखा। देश की किस्मत लिखने वालों से लेकर आम रोगियों को देखा और उनका भी इलाज भी किया।

‘सेक्स की कोई एक्सपायरी डेट नहीं’ सत्र में, मुंबई के डॉ. दीपक जुमानी ने बहुत ही खुलकर अपने विचार रखे। आमतौर पर हमारे समाज में सेक्स पर किसी खुले मंच से चर्चा नहीं हो पाती है। डॉ. जुमानी ने कहा- “मेरा मानना है कि यौन संबध रखने की कोई एक्सपायरी डेट नहीं है। सभी को अपना यौन जीवन संतोषजनक जीवन तरीके से जीना चाहिए। अगर कोई मसला हो तो डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है।”

अब डॉ. विनय अग्रवाल, जिन्होंने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है, पर जिम्मेदारी है कि वे पुष्पांजलि मेडिकॉन जैसे सम्मेलन छोटे-बड़े शहरों में आयोजित करवाएं। उन्होंने

कोविड-19 महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान सैकड़ों मरीजों को अस्पतालों में बिस्तर दिलाने में मदद की थी। वे उस भयावह समय के दौरान भी अपने मरीजों का इलाज कर रहे थे। अगर वे अपने अस्पताल में किसी मरीज को भर्ती नहीं कर पा रहे थे, तो उसकी किसी अन्य अस्पताल में भर्ती की व्यवस्था करते थे। उन्होंने उन दिनों 24×7 काम किया।

बेशक, पुष्पांजलि मेडिकॉन 2024 जैसे सम्मेलन पूरे देश में आयोजित होने चाहिए। इससे चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े डॉक्टरों, मरीजों और पेशेवरों के बीच घनिष्ठ संबंध बनाने में काफी मदद मिलेगी। स्वास्थ्य सम्मेलन केवल औपचारिक कार्यक्रम नहीं हैं; वे चिकित्सा क्षेत्र में नवाचार और सहयोग के केंद्र हैं। इस तरह के सम्मेलन विभिन्न पृष्ठभूमि के पेशेवरों को एक साथ लाते हैं, जो विचारों का आदान-प्रदान करने और संबंध बनाने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करते हैं।

डॉ. विनय अग्रवाल, उनके आईएमए और दूसरे साथियों को पुष्पांजलि मेडिकॉन 2024 जैसे सम्मेलन इसलिए दिल्ली से बाहर छोटे शहरों में भी आयोजित करने की कोशिश करनी होगी। कारण यह है कि वहां पर अभी श्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पाई हैं। छोटे शहरों में अंतरराष्ट्रीय ख्याति के डॉक्टरों के पहुंचने से जनता को बहुत लाभ होगा। इस बीच, जब देश के मशहूर डॉक्टर जनता से संवाद करने के लिए निकल रहे हैं, तब समाज का भी दायित्व है कि वह उन्हें सुरक्षा और सम्मान दे। आप कभी राजधानी में देश के चोटी के राममनोहर लोहिया अस्पताल यानी आरएमएल में जाइये। वहां की इमरजेंसी सेवाओं में हर समय करीब एक दर्जन बलिष्ठ भुजाओं वाले बाउंसर तैनात मिलते हैं। यहां पर मरीजों के दोस्तों और ऱिश्तेदारों के डॉक्टरों के साथ कई बार हाथापाई करने के बाद अस्पताल मैनेजमेंट ने बाउंसरों को तैनात कर दिया है। जब से यहां पर बाउंसर रहने लगे हैं तब से अस्पताल में शांति है। वर्ना तो लगातार डॉक्टरों के साथ बदसलूकी और मारपीट के मामले सामने आते थे। कई बार डॉक्टरों को इलाज में कथित देरी या किसी अन्य कारण के चलते कुछ सिरफिरे लोग मारने-पीटने में भी लगते थे। यहां पर कुछ महिला बाउंसर भी हैं। याद रख लें कि अगर डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भी डॉक्टर सुरक्षित नहीं हैं तो फिर बाकी जगहों की बात करना बेकार है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सरकारी बाबुओं से लेकर देश के सांसदों और मंत्रियों तक का इलाज होता है। कुछ समय पहले राजधानी के ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल ने भी अपने डॉक्टरों को बचाने के लिए बाउंसर रख दिए हैं। बहरहाल, डॉक्टरों और आम अवाम के बीच सीधा संवाद जारी रहना चाहिए। यकीन मानिए कि जब सेहत बिगड़ती है तब इन डॉक्टरों में भगवान नजर आता है।