टीएमयू हॉस्पिटल में स्किट से दिया संदेश, ओआरएस नौनिहालों के लिए जीवनदायिनी

Message given by skit at TMU Hospital, ORS life-giving for youngsters

रविवार दिल्ली नेटवर्क

टीएमयू बाल रोग विभाग की एचओडी प्रो. रूपा राजभंडारी सिंह बोलीं, दस्त एक साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण, अभिभावकों को ओआरएस का घोल बनाने के संग-संग कब और कैसे देने आदि के तौर-तरीके भी बताए, पेडियाट्रिक वार्ड में एडमिट बच्चो के लिए म्यूजिकल चेयर और डांस कम्पटीशन की एक्टिविटी भी हुई

तीर्थंकर महावीर मेडिकल कालेज, मुरादाबाद के बाल रोग विभाग की ओर से ओआरएस पर नाटक के जरिए ख़ासकर नौनिहालों के अभिभावकों को अवेयर किया गया। एमबीबीएस स्टुडेंट्स ने नाटक और सवाल-जवाब के जरिए संदेश दिया, ओआरएस जादुई मिश्रण है। टीएमयू बाल रोग विभाग की एचओडी प्रो. रूपा राजभंडारी सिंह ने ओरआरएस के फायदे बताते हुए कहा, दस्त एक साल से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। दस्त में बच्चों की मृत्यु का कारण शरीर में पानी की कमी होना है। ऐसे में पानी की कमी की पूर्ति को ओआरएस का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे बीमार बच्चों के लिए ओआरएस जीवनदायिनी से कम नहीं है। प्रो. भंडारी बोलीं, यदि सही समय पर ओआरएस शुरु कर दिया जाए तो हल्के दस्त में बच्चे को अस्पताल ले जाने की आवश्यकता नहीं होती है। इन बच्चों के माता-पिता को ओआरएस का घोल कैसे बनाना, कब और कैसे देना चाहिए, एक बार बना हुआ मिश्रण कब तक रखना चाहिए, दस्त लगने पर कब अस्पताल जाना चाहिए आदि जानकारी दी गई। घर पर ओरआरएस न होने पर ओआरएस घोल बनाने का तरीका भी समझाया।

टीएमयू अस्पताल के पेडियाट्रिक वार्ड में एडमिट बच्चो के लिए म्यूजिकल चेयर और डांस कम्पटीशन की एक्टिविटी कराई गईं, जिसमें विजेता बच्चों को पुरस्कार भी दिया गया। पेडियाट्रिक रेजिडेंट डॉ. इशिता की अगुवाई में एमबीबीएस फोर्थ ईयर के स्टुडेंट्स की ओर से दस्त दुविधाः दो परिवारों की कथा नाटक की प्रस्तुति दी गई। नाटक में एमबीबीएस स्टुडेंट्स- हर्ष त्यागी, देवांशी मेंहदीरत्ता, विमर्शी शुक्ला, दिव्यांशी जैन, दिव्या जैन आदि शामिल रहे, जबकि हितेश कुमार ने नरेटर की भूमिका निभाई तो गौरी ध्यानी ने स्क्रिप्ट लिखी। नाटक में दो परिवारों की कहानी बताई, जिसमें एक परिवार के बच्चे को डॉक्टर की सलाह मान कर ओआरएस दिया गया, जबकि दूसरे परिवार के बच्चे को झाड़-फूंक से ठीक करने की कोशिश की गई। पहले परिवार का बच्चा जल्दी ठीक हुआ और दूसरे परिवार के बच्चे को हालत बिगड़ने के कारण भर्ती करना पड़ा। इस अवसर पर फैकल्टीज़- डॉ. श्रुति जैन, डॉ. बीके गौर, डॉ. फातिमा अफरीन आदि मौजूद रहे। संचालन डॉ. एनएस चितंबरम ने किया।