गोपेन्द्र नाथ भट्ट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ वर्षों पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भावना के अनुरूप स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किला की प्राचीर से देश वासियों से स्वच्छता अभियान के लिए आगे आकर काम करने का आह्वान किया था और देखते ही देखते यह एक जन आंदोलन बन गया था। मध्य प्रदेश के इंदौर,गुजरात के सूरत और दक्षिणी राजस्थान के डूंगरपुर जिले ने स्वच्छता के क्षेत्र में शानदार इतिहास बना कर उसे आदिनांक तक कायम रखा है लेकिन देश में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के कई भागों में खुले आम स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ रही है। नई दिल्ली का हृदय स्थल कनाट प्लेस और उसके बरामदे भी इसकी गवाही दे रहे है। जो स्वच्छता अभियान जन आंदोलन बन गया था वह आज नजर अंदाज किया जा रहा है और फिर से चारो ओर गंदगी का आलम फैला हुआ है।
केंद्र सरकार नगरों एवं गांवों को स्वच्छ बनाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान चलाए हुए है मगर शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के गली-मोहल्ले समेत चौक-चौराहों पर फैली गंदगी इस अभियान को ठेंगा दिखाती नजर आती है। बड़े बड़े शहरों के साथ साथ कस्बों और गांवों में तो हाल यह है कि स्वच्छ भारत अभियान की सरेआम धज्जी उड़ाई जा रही है। जगह-जगह फैली गंदगी एवं मलबे से भरी नालियों के कारण हर वक्त बीमारियां फैलने की आशंका भी बनी रहती है। खास कर ऐसे समय स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जब सभी ओर डेंगू और अन्य बीमारियां फैल रही है। पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्द जयपुर में प्रवेश करते ही मुख्य मार्ग की सड़कों पर कचरे का अंबार देखा जा सकता है। मुख्य बाजारों में भी दुकानदार एवं होटल वालों के द्वारा कचरा फैलाया जा रहा है। जबकि इन मार्ग से वीवीआईपी और जिम्मेदार अधिकारियों का आना-जाना है। लेकिन प्रायः किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता है और ना ही इसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है। पालीथिन पर बैन होने के बावजूद अधिकांश दुकानदार एवं रेहड़ी वाले इसका खुलेआम इस्तेमाल कर हर क्षेत्र में कचरा बढ़ाने में पूरा योगदान दे रहे हैं जो। पालीथिन वर्षो तक नहीं गलता है । साथ ही पशुओं की मौत का कारण भी बन रहा है। यह पालीथिन जहां क्षेत्र में गंदगी बढ़ाने में सहायक हो रही है। वहीं, सीवरेज ब्लाक होने का सबसे बड़ा कारण भी बन रहा हैं। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक जाने वाले रास्तों पर भी नाली का गंदा पानी महीने तक बहता जाता है, कारण नाली कि सफाई नहीं होना है। स्थानीय निवासी बताते कि लगातार शिकायत के बावजूद नाली साफ नहीं की जाती है और इसी नाली के समीप लोग अपने घर का कचरा भी फेंकते हैं जिससे उसे साफ कराना और अधिक भारी पड़ता है, क्योंकि स्थानीय निकायों के जिम्मेदार अधिकारी स्वच्छता के मामले में कभी ध्यान नहीं देते। स्थानीय लोगो की यह भी शिकायत है कि सफाई कर्मचारी अब पहले जैसे गंभीर और सक्रिय नहीं है।
जल शक्ति मंत्रालय की समिति के सदस्य और स्वच्छता मिशन के ब्रांड एंबेसेडर रहे डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व चेयर मेन के के गुप्ता का कहना है कि स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत स्वच्छता को लेकर अब इतनी गंभीर नहीं रही जितनी इस अभियान के आरम्भ में थी और यह अभियान सिर्फ आंकड़ों का खेल बन कर प्रशासन और सरकार की आंखों में धूल झौंक रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरों और गांवो को स्वच्छ रखने के लिए तरह तरह के प्रयास किए गए लेकिन प्रधानमंत्री के स्वच्छता मिशन को अब सरकारी विभाग ठेंगा दिखा रहे है। शहर की मुख्य सड़को पर फैली गंदगी इस ओर साफ इशारा कर रही है। सड़को पर फैल रही गंदगी से लोगों को परेशानी हो रही है लेकिन नगरपालिका के अधिकारी इस ओर कतई ध्यान नहीं दे रहे है। शहरों एवं गावों को स्वच्छ बनाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं ने तरह तरह के प्रयास किए जिससे शहरों को साफ स्वच्छ बनाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सकें। लेकिन अब नगरपालिका इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है और साफ सफाई को लेकर खुद अपनी पीठ धपधपा रही है। लेकिन हकीकत में शहर कस्बों और गांवों की मुख्य सड़कों पर पड़ी गंदगी इन स्थानीय निकायों की पोल खोल रही है। घरों के बहार रोजाना कूड़ा पड़ा रहता है। सड़क पर कूड़ा पड़ा होने से शहरवासियों का आवागमन प्रभावित होता है। वहीं गंदगी होने से लोगों को सड़क से निकलने के लिए मुंह पर कपड़ा रखना पड़ता है। लेकिन उसके बावजूद भी पालिका के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। जिसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ रहा है। लेकिन शहर को साफ सफाई के दावे करने वाली नगरपालिका के दावे हवा हवाई साबित होते दिख रहे है। जिसका सीधा उदाहरण सड़कों पर पड़ी गंदगी से मिल रहा है। वहीं नगरपालिका शहर की गंदगी को साफ करने के लिए दावे करती है कि शहर मेें किसी स्थान पर भी कूड़ा नहीं डालेगा। जिसके लिए शहर के विभिन्न स्थानों पर सफाई कर्मचारियों को तैनात किया गया है। जिससे शहर की सड़को पर डल रहे कूड़े को साफ किया जा सकें। लेकिन उसके बावजूद भी शहर में साफ सफाई की व्यवस्था पूरी तरह चौपट दिखाई पड़ती है।सॉलिट वेस्ट प्लांट में कूड़े की कमी दिखती है लेकिन सड़को पर बिखर रहा कूड़ा वहां नहीं पहुंचता । सॉलिड वेस्ट मैंनेजमेंट प्लांट प्रबंधन ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कई स्थानों पर प्लांट तैयार होने के बाद भी नगरपालिका से कूड़ा नहीं पहुंच रहा है। जिससे अधिकांश प्लांट बंद हो गए है। जबकि शहरों की सड़को पर कूड़ा बिखरा पड़ा रहता है। पालिका के अधिकारी प्लांट में कूड़ा पहुंचाने के लिए असमर्थ दिखाई दे रहे है। जबकि शहर की सड़कों पर गंदगी से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। शहर की सड़को पर हो रही गंदगी से लोगों का आवगमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
स्वच्छ भारत मिशन की उड़ रही सरेआम धज्जिया के कारण न केवल भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू किया गए इस अभियान को गहरा धक्का लग रहा है वरन लोगों से लगातार उनकी अपील भी खारिज हो रही है। वहीं सरकारी अधिकारी शहर की सड़को पर कूड़ा देख कर भी स्वच्छ भारत मिशन की मजाक उड़ा रहे है। अब इसको लेकर स्थानीय निकाय बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। वही तीर्थ राज पुष्कर और अजमेर की एक संस्था ने कचरा निस्तारण का एक ऐसा मॉडल प्लान्ट का ईजाद किया है कि जिसके पास लोग न केवल विश्राम करते है वरन पिकनिक भी मनाते है।
आजादी के 75 वर्षों बाद भारत में स्वच्छता की इस स्थिति को गंभीरता से लेने के लिए भारत सरकार को कड़ा कानून लाना होगा और आम नागरिकों की भी जागृत होना पड़ेगा। देखना है भारत सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है!