नौकरशाही में लेटरल एंट्री को लेकर जारी विज्ञापन, राजनीतिक बहस औरविरोध के बीच लिया गया वापस

Advertisement issued regarding lateral entry in bureaucracy, withdrawn amid political debate and protest

प्रीति पांडे

अभी बीते दिनों यूपीएससी द्वारा विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के ४५ पदों पर भर्तियां निकाली गई थी । इस भर्ती को लेकर विपक्षी खेमें से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सपा सांसद अखिलेश यादव और खुद एनडीए में शामिल नेता भी सवाल खड़े करने लगे । जिसके बाद में आनन फानन में सरकार द्वारा लेटरल एंट्री को लेकर निकाला गया विज्ञापन वापस लेना पड़ा । दरअसल, एनडीए के नेता इन पैंतालीस भर्तियों में आरक्षण की मांग करने लगे । जैसा कि आपको ज्ञात है कि बीते दिनों सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों के दौरान भी विपक्ष आरक्षण के मुद्दे को लेकर जनता के बीच मौजूद था जिसका काफी हद तक उसे फायदा भी मिला । विपक्ष द्वारा तो बीजेपी सरकार पर ये भी आरोप लगाया गया था कि अगर बीजेपी तीसरी मर्तबा सत्ता में वापसी कर लेती है तो आरक्षण को समाप्त करके की दम लेगी । अब ऐसे में जबकि राज्यों में चुनाव होने वाले है विपक्ष इस नरेटिव को फिर भुनाने की कोशिश ना करें केंद्र सरकार द्वारा इन भर्तियों का जारी विज्ञापन ३ दिनों के भीतर वापस लेना पड़ा ……

किन पदों पर होनी थी भर्तियां ?

यूपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन ने तहत लेटरल एंट्री भर्ती के लिए IAS, IFoS और ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारियों की भर्ती की बात कही गई थी जिसके तहत 10 ज्वाइंट सैक्रेटरी, 35 डायरेक्टर और डिप्टी सैक्रेटरी के पद शामिल हैं। इन पदों को कॉंट्रेक्ट के आधार पर ‘लेटरल एंट्री’ के ज़रिए नियुक्ती की जानी थी।

पूर्व प्रधानमंत्री तक की नौकरशाही में हुई थी लेटरल एंट्री

आपको बता दे कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा जब यूपीएसी की ओर से लेटरल एंट्री को लेकर विज्ञापन निकाला गया हो। इसके पहले की सरकारें भी कई बार विज्ञापन निकाल कर लेटरल एंट्री के जरिए पदों पर भर्तियां करती रही हैं । लेटरल एंट्री के जरिए ही पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया और सैम पित्रौदा को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई थी।

जानिए क्या है लेटरल एंट्री?

आम बोलचाल की भाषा में लेटरल एंट्री को सीधी भर्ती भी कहा जा सकता है। इन भर्तियों के तहत उन लोगों को सरकारी सेवाओं के अंतर्गत नियुक्त किया जाता है, जो अपने क्षेत्र में काफी पारंगत होते हैं। हालांकि यहां ये स्पष्ट कर दें कि ये IAS-PCS या कोई सरकारी A लेवल के कैडर से नहीं होते हैं। इन लोगों के अनुभव के आधार पर सरकार नौकरशाही में इन्हें नियुक्त करती है। इसमें 3 से 5 साल की अवधि के लिए इन लोगों को रिक्रूट जाता है। काम के आधार पर आगे भी एक्सटेंशन भी दिया जा सकता है। मोदी सरकार ने साल 2018 में औपचारिक तौर पर लेटरल एंट्री शुरू की थी। इसके पूर्व साल 2005 में यूपीए सरकार ने दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया था। जिसमें बताया गया कि विभिन्न मंत्रालयों में कुछ पदों पर एक्सपर्ट्स की आवश्यकता है। जिन्हें पूरा करने के लिए नियुक्ति लेटरल एंट्री से कराई जाएगी।

हालांकि अब तक लेटरल एंट्री के अंतर्गत कब्जाने वाली नियुक्तियों में कोई आरक्षण प्रक्रिया लागू नहीं हुई थी।

लेटरल एंट्री को लेकर अब क्यों छिड़ा विवाद?

पहले भी लेटरल एंट्री के तहत की गई नियुक्ति में कभी आरक्षण की मांग नहीं उठी । लेकिन इस बार यूपीएससी द्वारा संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के लिए जो 45 पदों की लेटरल एंट्री से भर्ती निकाली गई है, उसमें विपक्षी खेमे से लेकर सत्ताधारी खेमे के सहयोगी भी आरक्षण की मांग करने लगे । कांग्रेस सांसद व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लेटरल एंट्री में आरक्षण का मुद्दा उठाया तो एनडीए के घटक दलों ने भी लेटरल एंट्री के लिए आरक्षण की मांग शुरू कर दी। मोदी सरकार में शामिल LJP (आर) के नेता चिराग पासवन और जेडीयू नेता केसी त्यागी ने लेटरल एंट्री में आरक्षण की मांग की है।

आरक्षण की मांग के साथ मोदी के बचाव में चिराग !

LJP (R) के चिराग पासवान ने लेटरल भर्तियों में आरक्षण की मांग के साथ कहा पीएम मोदी आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं । साथ ही चिराग ने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यक्तिगत तौर पर आरक्षण के खिलाफ नहीं है। कुछ दिन पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एससी और एसटी को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति देने के पक्ष में फैसला सुनाया था, तब पीएम मोदी ने स्पष्ट किया था कि डॉक्टर भीम राव अंबेडकर द्वारा बनाए गए आरक्षण के प्रावधान उसी तरह जारी रहेंगे। “

जेडीयू ने की लेटरल एंट्री में आरक्षण की मांग
जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने लेटरल एंट्री पर कहा कि “हमारी पार्टी शुरू से ही सरकार से आरक्षित सीटों को भरने की बात कहती आई है। जब लोगों को सदियों से समाज में पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा तो आप मेरिट क्यों ढूंढ रहे हैं?”

लेटरल एंट्री पर टीडीपी सरकार के साथ

हालांकि सरकार में अन्य महत्वपूर्ण सहयोगी दल टीडीपी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ खड़ी नजर आई। टीडीपी महासचिव नारा लोकेश ने कहा “हमें लेटरल एंट्री को लेकर खुशी है क्योंकि कई मंत्रालयों को विशेषज्ञों की जरूरत है।”

आरक्षण की मांग के बीच मोदी सरकार की लेटरल एंट्री भर्ती का विज्ञापन लिया वापस

आरक्षण की मांग के बीच, मोदी सरकार ने 20 अगस्त को लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती का फैसला वापस लेते हुए विज्ञापन रोल बैक कर लिया है। UPSC द्वारा 45 भर्तियों के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। माना जा रहा है सरकार अब लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती में आरक्षण लाने पर विचार कर सकती है। इसी के साथ लेटरल एंट्री को लेकर फिलहाल राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो गया है। यानी विपक्ष जिस आरक्षण को लेकर सरकार के विरुद्ध नरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहा है , सरकार उस पिच को ही समाप्त करने की जुगत कर रही है जिससे लोकसभा चुनाव के नतीजे जैसे हालात ही पैदा न हो सके।