रविवार दिल्ली नेटवर्क
चूरु : चूरु का राजकीय मदर मिल्क बैंक लावारिस नवजात बच्चों के लिए मां बन कर दे रहा है जीवनदान और अच्छा स्वास्थ्य, 7 वर्षो में 5620 डाॅनर मदर ने 13 लाख 65 हजार 330 एमएल दूध किया डोनेट, 19 हजार 635 महिलाओं को उनका ही दूध निकालकर उनके ही बच्चे के लिए किया तैयार, मदर मिल्क बैंक से नौ हजार 951 नवजात को 41 हजार 344 यूनिट दूध से हुए लाभान्वित, दो हजार 426 यूनिट दूध कम्यूनिटी में किया गया इश्यू, 828 यूनिट दूध शहर के प्राइवेट अस्पताल में किया गया इश्यू।
चूरू राजकीय डीबी अस्पताल में बनी मदर मिल्क बैंक लावारिस नवजात बच्चों के लिए मां बनकर जीवनदान के साथ साथ स्वस्थ बॉर्नबेबी की भूमिका निभा रहा है। जिले में लावारिस मिलने वाले नवजात को सीधा मातृ शिशु अस्पताल भेजा जाता है। जहां उनको मदर मिल्क बैंक से मां का दूध उपलब्ध करवाया जाता है। मदर मिल्क बैंक से शहर के निजी अस्पतालो को भी दूध उपलब्ध करवाया जाता है। जिससे नवजात को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती हैं।
डीबी अस्पताल में वर्ष 2017 में मदर मिल्क बैंक की स्थापना हुई थी। इसके बाद दो बार यहां से ग्रीन कोरिडोर बनाकर अजमेर स्थित मदर मिल्क बैंक में भी दूध भेजा गया था। वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ व मदर मिल्क बैंक प्रभारी डाॅ. इकराम हुसैन ने बताया कि डीबी अस्पताल में मदर मिल्क बैंक की स्थापना वर्ष 2017 में हुई थी। उन्होंने बताया कि 5620 डाॅनर मदर ने 13 लाख 65 हजार 330 एमएल दूध डोनेट किया है। वहीं 19 हजार 635 महिलाओं को उनका ही दूध निकालकर उनके ही बच्चे के लिए तैयार कर दिया गया है।
डाॅ. इकराम हुसैन ने बताया कि मदर मिल्क बैंक से नौ हजार 951 नवजात को 41 हजार 344 यूनिट दूध से लाभान्वित किया गया है। इसके अलावा दो हजार 426 यूनिट दूध कम्यूनिटी में इश्यू किया गया है। वहीं 828 यूनिट दूध शहर के प्राइवेट अस्पताल में इश्यू किया गया है।
मदर मिल्क बैंक के इस कार्य में रेणु चैधरी, बबीता चैधरी, प्रेम कंवर, सरोज मांजू, कुसुम आर्य व सरोज प्रजापत सराहनीय भूमिका निभा रही है।
डाॅ. इकराम हुसैन ने बताया कि मदर मिल्क बैंक बनाने का मुख्य उद्देश्य हर नवजात को मां का दूध मिले। उन्होंने बताया कि मदर मिल्क बैंक में उन माताओं का दूध डोनेट लिया जाता है। जिनका अपने नवजात को पिलाने के लिए भी अगर दूध बन रहा है। तब उनकी मदर मिल्क बैंक में जांच कर पूरी प्राइवेसी के साथ दूध डोनेट लिया है। एक बार में 330 एमएल दूध लिया जाता है। इसके बाद विभिन्न प्रक्रिया से गुजरने के बाद यह दूध नवजात को पिलाया जाता है। जो उनके लिए किसी भी तरह से नुकसान नहीं करता है।
उन्होंने बताया कि मदर मिल्क बैंक में वर्ष भर में सबसे अधिक दूध डोनेट करने वाली माताओं का सम्मान किया जाता है। ऐसे में काफी डोनर मदर का सम्मान किया गया है। वहीं डीबी अस्पताल के मदर मिल्क बैंक में सरदारशहर तहसील के गांव देराजसर की एक माता ने करीब डेढ़ माह में दस लीटर दूध डोनेट किया था। उस समयावधि में वह अस्पताल में करीब डेढ़ माह तक भर्ती रही थी। क्योंकि उसके प्री म्च्योर डिलीवरी हुई थी। जिसके दो बच्चे हुए थे। जिसका मदर मिल्क बैंक स्टाफ की ओर से विशेष सम्मान किया गया था।
डाॅ. इकराम हुसैन ने बताया कि मदर मिल्क बैंक से लावारिस मिलने वाले नवजात बच्चों को करीब 2500 यूनिट दूध दिया गया है। इसमें सर्वाधिक दूध डीबी अस्पताल में भर्ती बच्चों को दिया गया था। क्योंकि लावारिस मिलने वाले नवजात को कोई भी मां अपना दूध नहीं पिलाना चाहती है। इसलिए उनको मदर मिल्क बैंक से दूध दिया जाता हैं।
प्रभारी डाॅ. इकराम हुसैन ने बताया कि मदर मिल्क बैंक में माइनस 20 डिग्री पर फ्रिज में दूध जाता है। जो करीब छह माह तक सेफ रहता है। जब मदर मिल्क बैंक से दूध को इश्यू किया जाता है तो अधिक गर्मी होने पर करीब एक से डेढ घंटे और सामान्य तापमान में करीब चार से पांच घंटे तक यह सेफ रहता है। इसके बाद यह खराब हो जाता है। फिलहाल मदर मिल्क बैंक में 354 यूनिट दूध स्टाॅक में उपलब्ध है।