योगी आदित्यनाथ की दिशा तय करेंगे दस सीटों के उपचुनाव

By-elections of ten seats will decide the direction of Yogi Adityanath

अजेश कुमार

18वीं लोकसभा चुनाव में आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिलने से चिंतित भाजपा नीत गठबंधन राजग खेमे की चिंता बढ़ी हुई है। राम मंदिर के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में अबकी बार- चार सौ पार का नारा देने वाली भाजपा अयोध्या में ही चुनाव हार गई। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के दस विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है,जिसे जीतने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा सहित पमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। लोकसभा चुनाव में बड़ी सफलता हासिल कर सपा मुखिया अखिलेश यादव जहां अपना खोया जनाधार बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के सामने प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन कर भाजपा को लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान की हताशा से निकालने की चुनौती है।ष् उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर,कटेहरी,फूलपुर,मीरापुर,मझवां,खैर,करहल,गाजियाबाद और कुंदरकी क्षेत्र के विधायक 18वीं लोकसभा के चुनाव में जीत हासिल का सांसद बन गए। इस कारण प्रदेश की इन नौ विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होना है और दसवीं सीट सीसामऊ समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी की आपराधिक मुकदमे में सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई है। हालांकि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के लिए होने वाले चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग ने कर दी है लेकिन उत्तर प्रदेश की इन रिक्त हुई दस सीटों के उपचुनाव के लिए अभी तक तारीखों की कोई घोषणा नहीं की गई है। प्रदेश की इन दस सीटों के उपचुनाव के लिए घोषणा न होने के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा और प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा ने तैयारी शुरू कर दी है। राम मंदिर मुद्दे को लेकर चुनाव में उतरी भाजपा को इस बार सपा ने करारा झटका दिया और 37 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रही। इस चुनाव में अयोध्या लोकसभा सीट पर सपा की जीत से विपक्षी दलों के हौंसले बुलंद हैं। अयोध्या में भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने करारी शिकस्त देकर अयोध्या को चर्चा में ला दिया है। अयोध्या लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अवधेश प्रसाद ने लोकसभा चुनाव जीतकर एक नया इतिहास रचा है। सपा सांसद अवधेश प्रसाद, भाजपा को करारी शिकस्त देने के बाद होने वाले उपचुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र मिल्कीपुर को सपा के खाते में बरकरार रखने की भी कोशिश में जुटे हुए हैं। मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र के अलावा अयोध्या से सटे कटेहरी विधानसभा के सपा विधायक लालजी वर्मा भी सांसद बन गए हैं। लालजी वर्मा के सांसद बनने के बाद कटेहरी विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होना है। सपा के लिए अयोध्या से लगी इन दोनों सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है और वह इन दोनों सीटों को हर हाल में अपने पास रखना चाहती है। लोकसभा चुनाव में अयोध्या जैसी सीट पर भाजपा प्रत्याशी का हारना भाजपा के लिए कई संकेत दे गया है।

पांच विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बने अयोध्या लोकसभा क्षेत्र में यू ंतो अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में भाजपा बढ़त बनाने में कामयाब रही लेकिन चार विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा काफी पीछे रही। इसी का नतीजा रहा कि भाजपा के खाते की लोकसभा सीट सपा के पास चली गई। मिल्कीपुर विधानसभा सीट लंबे अर्से तक कम्यूनिस्ट पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन इस पर सपा अपना कब्जा बना कर चल रही है। सपा के लिए इस सीट पर कब्जा बनाए रखना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। अयोध्या लोकसभा क्षेत्र की मिल्कीपुर और इससे सटे कटेहरी विधानसभा सीट सहित प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जिताना प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। योगी आदित्यनाथ के सामने इन उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर भाजपा को लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान की भरपाई करने की चुनौती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकार गठन के मामले में केन्द्रीय संगठन के बदलाव को देखते हुए यह चुनौती और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसी स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को भी प्रदेश की सत्ता और संगठन में अपनी उपयोगिता को सिद्ध करना होगा। लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद उत्तर प्रदेश की इन दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के परिणाम योगी आदित्यनाथ का भविष्य तय करेंगे। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पर केन्द्रीय सत्ता की मेहरबानी और संगठनात्मक तौर पर बन रहा दबाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनौती को और भी जटिल बना देता है। अयोध्या लोकसभा क्षेत्र की मिल्कीपुर और इससे सटी कटेहरी विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में हर हाल में भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए योगी आदित्यनाथ हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। अपनी रणनीति को कामयाब बनाने के लिए वे अयोध्या का लगातार दौरा कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में लगे हुए हैं। उत्तर प्रदेश की जिन दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं,उनमें से पांच सीटों पर राजग गठबंधन और पांच सीटों पर सपा काबिज थी। ऐसे में अपने-अपने क्षेत्रों में जीत हासिल कर अपना वर्चस्व बनाए रखना दोनों दलों के लिए जरूरी है। इन दस विधानसभा क्षेत्रों में से पांच सीटों पर काबिज रही सपा का पलड़ा अब भी भारी दिख रहा है। मिल्कीपुर विधानसभा से सांसद अवधेश प्रसाद अपने करीबी को टिकट दिलाकर जीत सुनिश्चित करना चाह रहे हैं तो कटेहरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे लालजी वर्मा अपनी पुत्री छाया वर्मा को विधानसभा भेजना चाह रहे हैं। छाया वर्मा के नाम पर सपा मुखिया अखिलेश यादव की भी सहमति तय मानी जा रही है। ऐसे में इन दोनों सीटों पर भाजपा और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। सपा का गढ़ माने जाने वाली मैनपुरी जिले की करहल सीट से विधायक रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सांसद बने हैं। करहल सीट के अभेद्य दुर्ग को भेदना भाजपा के लिए आसान नहीं है। इसी प्रकार मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से विधायक रहे जियाउर्रहमान सांसद बनकर अपनी सीट को फिर से सपा के खाते में डालने में कामयाब होते माने जा रहे हैं। मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट से भाजपा को जीतना आसान नहीं होगा। यही स्थिति कानपुर की सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र की है। मुस्लिम बहुल सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में भी इरफान सोलंकी की सदस्यता रद्द होने के बावजूद सपा की ही बढ़त होती दिख रही है। सपा मुखिया अखिलेश यादव सीसामऊ विधानसभा से किसी कद्दावर नेता को मैदान में उतारकर अपनी बढ़त बनाए रखने का प्रयास करेंगे। समाजवादी पार्टी की ठोस रणनीति और लोकसभा चुनाव में मिली सफलता से उत्साहित कार्यकर्ताओं के मुकाबले भाजपा अंदरुनी उठापटक की शिकार होती दिख रही है। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए अतिरिक्त सीट जीतने की जगह राजग गठबंधन की पांचों सीटों को बचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। भाजपा खेमे में रही प्रयागराज की फूलपुर,अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सीट पर भाजपा का कब्जा बना रहना थोड़ा आसान दिख रहा है लेकिन मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मीरजापुर की मझवां विधानसभा सीट पर विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशी की ओर से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर भाजपा का जीतना आसान नहीं है। पिछले चुनाव में इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल -सपा गठबंधन के चलते रालोद के प्रत्याशी रहे चंदन चैहान ने जीत हासिल की थी। मीरापुर विधानसभा क्षेत्र में सपा का अच्छा प्रभाव माना जाता है। इस बार के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट भाजपा के खते में नहीं आई है। ऐसी दशा में मीरापुर सीट को अपने कब्जे में लाने के लिए भाजपा को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। मीरजापुर की मझवां सीट पर निषाद पार्टी ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर भाजपा को निषाद पार्टी के साथ मिलकर प्रत्याशी को जिताने के लिए रणनीति बनानी होगी। देश के चार राज्यों झारखंड,महाराष्ट्र,हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के साथ उत्तर प्रदेश की इन दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए भी चुनाव आयोग द्वारा घोषणा किए जाने की संभावना थी लेकिन हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में ही चुनाव कराए जाने की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा की गई है। चुनाव आयोग के इस निर्णय को भाजपा विरोधी पार्टियां सत्ता पक्ष का दबाव मान रही हैं। सपा-कांग्रेस का कहना है कि उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा होती तो भाजपा सभी सीटों पर हारती। भाजपा नीत राजग गठबंधन के मुकाबले विपक्षी पार्टियां वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को अपने लिए बेहतर मान रही हैं। सपा-कांग्रेस के मुकाबले भाजपा में आपसी घमासान मचा हुआ है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रही खींचतान का असर भी उपचुनावों पर पड़ना स्वाभाविक माना जा रहा है। पिछड़ी जाति के केशव प्रसाद मौर्य केन्द्रीय सत्ता के कुछ आकाओं के दम पर मुख्यमंत्री बनने का खाका बुन रहे हैं और वे इसके लिए कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मध्य प्रदेश और राजस्थान के हालातों को देखकर मठ में वापस जाने की बात कह उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्थिति को उजागर कर चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों के उपचुनाव के परिणामों का असर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जरूर पड़ेगा।