प्रीति पाण्डे
कोलकाता के आरजी कर कॉलेज की घटना के बाद से पूरे देश में बेटी को इंसाफ की मांग हो रही है, प्रदर्शन हो रहे हैं, सियासत भी खूब हो रही है ।
इस बीच पहली बार महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रतिक्रिया भी पहली बार इस मसले पर सामने आई है जिन्होंने कहा कि बेटियों के खिलाफ ऐसे अपराध मंजूर नहीं हैं.. उन्होंने कहा कि अब बहुत हो गया है. वह इस पूरी घटना से निराश और भयभीत हैं… देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बढ़ती घटनाओं को लेकर कहा कि कोई भी सभ्य समाज बेटियों और बहनों के साथ इस तरह के अत्याचार को बर्दाश्त नहीं कर सकता. इस घटना पर कोलकाता में छात्र, डॉक्टर और नागरिक प्रोटेस्ट कर रहे थे जबकि अपराधी कहीं और घूम रहे थे. अब बहुत हुआ. समाज को ईमानदार होने और आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि निंदनीय मानसिकता महिलाओं को कमतर इंसान, कम शक्तिशाली, कम सक्षम, कम बुद्धिमान के रूप में देखती है। उन्होंने कहा कि निर्भया केस के बाद से 12 वर्षों में, समाज द्वारा अनगिनत बलात्कारों को भुला दिया गया है। यह भूलने की बीमारी घृणित है। राष्ट्रपति ने कहा कि इतिहास का सामना करने से डरने वाले समाज सामूहिक भूलने की बीमारी का सहारा लेते हैं; अब समय आ गया है कि भारत इतिहास का सामना करे। राष्ट्रपति ने कहा कि “हमें इस विकृति से व्यापक तरीके से निपटना चाहिए ताकि इसे शुरू में ही रोका जा सके।”
क्या है कोलकाता रेप एंड मर्डर केस?
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल अस्पताल के सेमिनार हॉल से नौ अगस्त को 31 साल की ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव मिला था.. अर्धनग्न हालत में मिले महिला डॉक्टर के।शव से खून बह रहा था. शरीर पर कई जगह चोटों के निशान थे…. जिसे देखने के बाद ये कहना कतई मुश्किल नहीं था की महिला डॉक्टर के साथ रेप किया गया हो। इस घटना के बाद रेजिडेंट डॉक्टर्स का जबरदस्त गुस्सा देखने को मिला और वे हड़ताल पर चले गए थे. शुरुआती पड़ताल के बाद मामले में पुलिस ने आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया… वहीं मामले के तूल पकड़ने पर हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था और सीबीआई से अब तक की जांच की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था. इसके बाद सीबीआई ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की.
संजय रॉय पर कैसे हुआ शक ?
पड़ताल के दौरान पता चला कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई घटना के आरोपी संजय रॉय आठ और नौ की रात अलग-अलग बहानों से कुल चार बार अस्पताल के अंदर गया, इनमें से तीन बार तो वो अस्पताल के अंदर घूमकर बाहर निकल आया था. लेकिन आरोप है कि चौथी और आखिरी बार जब वो अस्पताल से बाहर निकला, तब उसने ट्रेनी डॉक्टर का रेप और हत्या कर दी थी. ये भी तफ्तीश के दौरान खुलासा हुआ कि संजय रॉय वारदात वाली रात अस्पताल के पास के एक रेड लाइट एरिया भी गया और वहां से लौटते समय भी उसने रास्ते में एक लड़की से छेड़छाड़ की कोशिश की थी ।
इस पूरी घटना को लेकर देश में लोगो के बीच आक्रोश देखने को मिल रहा है इस बीच राष्ट्रपति मुर्मू को प्रतिक्रिया से जहां पश्चिम बंगाल सरकार , राज्य की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे है जिसका बीजेपी जम कर इस्तेमाल टीएमसी की सरकार के विरुद्ध करेगी वही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान पर अपने बचाव में टीएमसी ने पलटवार करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ‘अभी क्यों बोल रही हैं, बंगाल में हुआ इसलिए?’ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बयान पर तृणमूल कांग्रेस ने निशाना साधा है। नेता कुणाल घोष ने इसे लेकर बयान जारी किया है। कुणाल घोष ने कहा, “आरजी कर अस्पताल को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का बयान आया। उन्होंने उसे लेकर चिंता व्यक्त किया। आरजीकर मामले पर हमारा कहना है कि हम सब, हमारी पार्टी सब न्याय के पक्ष में है और आरोपी को मौत की सजा होनी चाहिए। लेकिन राष्ट्रपति अभी क्यों बोल रही हैं। उन्नाव, हाथरस, महाराष्ट्र, बदलापुर, उत्तराखंड में ये सब हुआ तब वो कहां थीं। गोल्ड मेडलिस्ट साक्षी मलिक का आरोप भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ हुआ था, तब आप कहां थीं। लेकिन अब बंगाल में हुआ तो यह सोशल क्राइम है। लेकिन भाजपा नीत राज्यों में हुआ तब आप कहां थीं। हम आपका सम्मान करते हैं। ऐसा मत कीजिए।”
वही कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी का कोलकाता में डॉक्टर के जघन्य रेप और निर्मम हत्या पर बयान मार्मिक है, आधी आबादी के लिए महामहिम की चिंता का साक्षी है.” उन्होंने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है राष्ट्रपति जी मणिपुर की हैवानियत देख कर भी आहत हुई होंगी… बदलापुर में नाबालिग बेटियों के यौन शोषण से भी आहत हुई होंगी… देश की पहलवान बेटियों को सड़कों और बूटों तले रौंदते देख आहत हुई होंगी… उत्तराखंड की बेटी के साथ दरिंदगी से भी आहत हुई होंगी.”
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा , “सिर्फ कोलकाता ही नहीं आपको महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, यूपी और एमपी समेत देश भर में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के लिए सरकारों को नसीहत देने की जरूरत है. आपको मणिपुर और महिला पहलवानों के यौन शोषण की घटनाओं और उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए आगे आने की जरूरत है. विपक्ष की ही नहीं सत्तारूढ़ बीजेपी और उसकी डबल इंजन की सरकारों की भी जिम्मेदारी तय करने का साहस दिखाइए”।
इस बीच महिलाओं के खिलाफ बीजेपी शासित राज्यो में हो रही घटनाओं की ओर भी विपक्ष टिपण्णी करते हुए पूछ रहा है की महिला सुरक्षा राजनीति से ऊपर उठकर विषय होना चाहिए । फरुखाबाद की घटना पर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘भाजपा सरकार में न्याय की उम्मीद करना भी गुनाह है। कमजोरों और वंचितों के खिलाफ गंभीर से गंभीर घटनाओं में भी जिनकी प्राथमिकता न्याय नहीं अपराध छिपाना हो, उनसे कोई क्या ही उम्मीद करे। फर्रुखाबाद में हुई घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, पीड़ित परिवार के साथ प्रशासन का ऐसा रवैया किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। आखिर यह सब कब तक सहन किया जा सकता है? एक समाज के रूप में हमारे सामने ये बहुत बड़ा सवाल है। सुरक्षा भारत की हर बेटी का अधिकार है और न्याय हर पीड़ित परिवार का हक।’
वही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी X पर लिखा- फर्रुखाबाद में जन्माष्टमी उत्सव देखने निकली दो बच्चियों की लाशें पेड़ पर मिलना,संवेदनशील घटना है। भाजपा सरकार इस मामले में तत्काल निष्पक्ष जांच करे और हत्या के इस संदिग्ध मामले में अपनी आख्या प्रस्तुत करे। ऐसी घटनाओं से समाज में एक भयावह वातावरण बनता है, जो नारी समाज को मानसिक रूप से बहुत गहरा आघात पहुंचाता है। ‘महिला सुरक्षा’ को राजनीति से ऊपर उठकर एक गंभीर मुद्दे के रूप में उठाने का अपरिहार्य समय आ गया है।
कुल मिला कर बलात्कार , महिला के खिलाफ होने वाले जघन्य अपराधिक मामलों में भी खुद को आधी आबादी की हितेषी करार देने वाली राजनैतिक पार्टियां इन जैसे संजीदा विषय पर भी सियासत करती नजर आ रही है। किसी को सिर्फ राज्य विशेष में हुई घटना ही दिखाई देती है तो किसी को कुछ खास राज्य की सरकारें ऐसे अपराध को अंजाम देने वाले लोगों बचाव में सरकारें खड़ी नज़र आती हैं। निर्भया कांड को 12 साल बीत गए, कानून से लेकर सरकारों तक बहुत कुछ बदला लेकिन सियासतदानों को ये घटनाएं सिर्फ राजनीतिक चूल्हे की आंच के लिहाज से ही मुफीद साबित होती है, इंसाफ और बदलाव जैसे मुद्दों से दूर दूर तक किसी को सरोकार नहीं नजर आता ।