राकेश शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार ( चेयरमैन INS)
आज हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने एक बहुत व्यापक और समृद्ध निर्णय देते हुए एक वादी को जवाब देते हुए कहा कि जातीय जनगणना शासन का विषय है और इसमें न्यायालय दख़लंदाज़ी नहीं करेगा।इस प्रकार का निर्णय आने की संभावना से ही वादी ने अपनी याचिका वापस लेकर अपनी इज्जत बचाने का प्रयास किया। मैं समझता हूँ कि विकसित राष्ट्र के स्वप्न को साकार करने में यह एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है। यह राहुल गांधी , अखिलेश, तेजस्वी जैसे खंडित विखंडित इंडी गठबंधन के नेताओं के सपनों पर भी कुठाराघात है जो समझ रहे थे की जातीय जनगणना के मुद्दे पर वो देश में अराजकता , हिंसा, सामाजिक विद्वेष फैलाने में कामयाब हो जाएँगे और शायद तुष्टिकरण के गर्भ से जन्मे वोट बैंक की नींव पर हिंदुस्तानियों को जातियों में बाँट कर उचित अनुचित माध्यमों से सत्ता के सिंहासन पर पहुँचेंगे और उनके सपनों का अस्थिर भारत बनाने में कामयाब हो जाएँगे। यह लिखते समय मुझे बार बार वह दृश्य सामने आ रहा है जब राहुल गांधी संसद के पटल पर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चीख चीख कर संविधान की कापी लहराकर वर्तमान सरकार पर जातीय जनगणना कराने का दबाव बनाते हुए कहा था कि जब हम सत्ता में आयेंगे तब जातीय जनगणना अवश्य करायेंगे। यदि आपकी विकसित भारत के विषय के सामने यही प्रतिबधता है तो भारत का जनमानस कभी आपको सत्ता के सिंहासन के क़रीब भी लाएगा बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है? चुनाव जब भी होंगे तो भारत विकसित भारत , खुशहाल भारत , प्रगतिशील भारत के लिए संकल्पित लोगों को सत्ता देगा या उन लोगों को जो देश को जातीय जनगणना में बाँटना चाह रहे हैं, संविधान ख़तरे में है का झूठा आख्यान बनाने का षड्यंत्र करते हैं, तुष्टिकरण का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते हैं, कश्मीर चुनाव में देश विरोधी मैनिफेस्टो लाने वाली पार्टियों से चुनावी गठबंधन कर अपना मंतव्य और गंतव्य का दोगलापन जगज़ाहिर करते हैं। हाँ मैं वर्गीकृत जनसंख्या का समर्थक हूँ जिससे हमें भारत में जन्मे , भारतीय मतदाता, भारत के भले की सोचने वाले जननेताओं को चुनने का अवसर मिले और हम विकसित भारत को संकल्पित करने वालों को बारंबार चुन सके। इसके लिए निम्नलिखित वर्गीकृत जनगणना की आवश्यकता है और इन लोगो को वोट के अधिकार से वंचित किया जाना चाहिए। देश मे जातीय गणना की नहीं घुसपैठियों की गणना की आवश्यकता है, अलगाववादीयों की गणना की आवश्यक्यकता है, देश द्रोहियों की गणना की आवश्यकता है और आतंकवादियों को सहायता देने वालों की गणना की जरूरत है। यह पड़ते ही देशविरोधी शक्तियों में लोकतंत्र का भूत सर चढ़कर बोलेगा की इन लोगों को वोट एसई वंचित करने से लोकतंत्र ख़तरे में में हो जाएगा लेकिन घुसपैठियों , आतंकवादियों पर एक शब्द बोलने को तैयार नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने तो अपना कर्तव्य पूरा कर दिया है अब भारतवासियों को देश को जातियों में बाँटने वालों को जवाब देना ही होगा।