रविवार दिल्ली नेटवर्क
राजस्थान का मिनी पुष्कर मांडकला जंहा मौजूद है खेड़ा सभ्यता के अवशेष आज भी जमी में दफन…. एक ऐसा सरोवर जंहा नजर नही आते है मेंढक…. मांडकला
टोंक : राजस्थान के टोंक जिले में मौजूद है मिनी पुष्कर के नाम से पहचाने जाने वाला मांडकला जंहा पर्यटन की अपार संभावनाएं मौजूद है तो वही मौजूद है यंहा प्राचीन मुचकेंद्रेश्वर महादेव का मंदिर वही यह जमी अपने दामन में सहेजे हुए है आज भी पुरात्तव विभाग के अधीन खेड़ा सभ्यता के अवशेष साथ ही मांडकला सरोवर के चारो ओर मौजूद मन्दिरो की भव्यता देखते ही बनती है
मांडकला को यू ही मिनी पुष्कर नही कहा जाता धारा नगरी के नाम से पहचाने वाली यह भूमि कालांतर में तीर्थ नगरी मांडकला सरोवर तट सतयुग में ऋषि मांडव की तपस्या स्थली रही है जिसको लेकर आज भी लोगो की जुबान पर कई किदवंतिया और मान्यताएं आज भी लोगो की जुबान पर है माना जाता है कि ऋषि मांडव के तपस्या करने पर इस पवित्र स्थान का मांडकला रखा गया है मिनी पुष्कर के नाम से जाने जाने वाले मांडकला सरोवर से जुड़ी है कई रोचक जानकारिया ।
मांडकला जंहा कार्तिक स्नान के साथ ही भरने वाला पशु मेला अपनी अलग पहचान रखता है वही इस प्रसिद्द सरोवर के चारो ओर धाकड़,मीणा, गुर्जर,राजपूत ओर भील समाज सहित कई मंदिर यंहा मौजूद है वही सामूहिक विवाह सम्मेलनों को लेकर इस स्थान पर सालभर आयोजन होते रहते वर्तमान समय मे शिक्षा और सामाजिक सरोकार को लेकर समाजो में आये बदलावों की झलक भी यंहा देखने को मिलती है जंहा कई मन्दिरो के निर्माण या जीर्णोद्धार में सामूहिक रूप से समाजो ने सरसो की तूड़ी की नीलामियों से राशि एकत्र कर मन्दिरो को भव्य रूप दिया है
वही समाज से जुड़े कई आयोजनों की गवाह तीर्थ नगरी मांडकला बन रही है वह ऋषि मांडव द्दारा इस भूमि पर की गई तपस्या से जुड़ी किदवंतिया आज भी लोगो की जुबान पर मौजूद है । मांडकला सरोवर में नजर नही आते आज भी मेंढ़क :- मांडकला सरोवर में आज भी मेंढक नही नजर आते है और इसको लेकर ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल मे जब माण्डव ऋषि मांडकला में यज्ञ कर रहे थे,तभी मेढ़क बार बार आकर उन्हें परेशान कर रहे थे,इससे तंग आकर माण्डव ऋषि ने मेंढ़क प्रजाति का शाप दे डाला कि आज के बाद इस सरोवर में मेंढक प्रजाति विलुप्त हो जाएगी।आज भी मांडकला सरोवर के पानी में मेढ़क नजर नहीं आयेंगे, चाहे बरसात का मौसम ही क्यों न हो।
पर्यटन के नक्शे पर लाने की कयावद है जारी :- पर्यटन की अपार संभावनाओ को देखते हुए दो साल पहले कोंग्रेस सरकार के समय मे मांडकला को लेकर अलग से बजट की घोषणा की गई थी जिसमे लघु पुष्कर मांडकला में घाट निर्माण, घाट पर स्टीट लाइट, पार्क, चिल्ड्रन पार्क, म्यूजियम आदि बनना प्रस्तावित था लेकिन सरकारी घोषणाओं ओर कछुआ चाल से यह प्रोजेक्ट भी नही बच सका ।
टोंक जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूरी पर स्टेट हाइवे पर मौजूद नगरफोर्ट का मांडकला तीर्थ स्थल मिनी पुष्कर के नाम से विख्यात मांडकला पुरातत्व खेड़ा सभ्यता से जुड़ा हुआ है। कस्बे के बुजुर्गों का कहना है कि सतयुग में नगरफोर्ट कस्बा धारा नगरी के नाम से प्रसिद्ध था। खेड़ा सभ्यता में बसी धारा नगरी किन्हीं कारणों से भू-गर्भ में समा गई।
पुष्कर सरोवर की तर्ज पर मंदिरों की बनावट :- मिनी पुष्कर के नाम से पहचाने जाने वाले मांडकला सरोवर तट पर स्थित कई समाजों के मंदिरों की बनावट राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर राज में बने मंदिरों व घाट के निर्माण की तर्ज हैं यही कारण है कि मांडकला को राजस्थान का मिनी पुष्कर कहा जाता है ।