रविवार दिल्ली नेटवर्क
सक्ति : जीरो बजट खेती से किसानों की आमदनी हो रही है दोगुनी,बदल रही है,महिला कृषक सुशीला गबेल की जिंदगी जीरो बजट कृषि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कई तरह की सुविधा और सहायता मुहैया करा रही है। जीरो बजट खेती का मतलब है कि किसान खेती में कोई भी रकम खर्च नहीं करे। जीरो बजट फार्मिंग का मतलब है कि किसान जो भी फसल उगाएं उसमें फर्टिलाइजर, कीटनाशक और अन्य केमिकल का इस्तेमाल न हो। जीरो बजट फार्मिंग एक तरह से किसानों को प्राकृतिक या जैविक खेती के लिए कहना है।
सक्ति जिले की ग्राम-जांजग की क़ृषि कर्मण पुस्कृत महिला किसान सुशीला गबेल रसायन, स्प्रे,उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग करके खेती करती थी,और उन्हें बेचने के लिए भी खूब मेहनत करती थी। कृषि लागत अधिक होने के कारण वह न तो ज्यादा पैसे कमा पा रही थी और न ही बचत कर पा रही थी।
इसके बाद सुशीला गबेल ने साल 2020-21में जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग अपनाया था। जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा पपीता,अरहर,अमरुद, के साथ बाड़ी की सब्जी वाली खेती सहित नकदी फसलों और फलों को उगाने में हानिकारक रसायनों के उपयोग को समाप्त करने के लिए शुरू किया गया एक अभियान है।
सुशीला गबेल सक्ति 12 किमी दूर जांजग के एक छोटे से पहाड़ी गांव में पपीता,टमाटर,अरहर, जिमिकांदा, बरबटी और अनाज जैसी नकदी फसलें उगाती हैं।आज सुशीला गबेल जिले में जीरो बजट फार्मिंग विधि अपना कर अपनी सफलता की कहानी लिखने वाले किसानों में से एक हैं। उन्होंने साल 2020-21के बाद से किसी भी रसायन का उपयोग नहीं किया है। उनकी कृषि उपज 100 प्रतिशत जैविक, अत्यधिक पौष्टिक और स्वस्थ है।जीरो बजट कृषि को बढ़ावा के लिए सुशीला गबेल ने जीरो बजट के तहत प्रशिक्षण भी लीं है,ताकी जीरो बजट की खेती अच्छी से कर सके,
अमृत विकास तोपनो कलेक्टर जिला सक्ति ने कहा :- सुशीला गबेल रसायनिक कीटनाशकों के स्थान पर नीम और गौमूत्र का इस्तेमाल करते हैं। इससे फसल में रोग भी नहीं लगता है। सरकार किसानों को जीरो बजट फार्मिंग की तरफ ले जाने के लिए कई तरह की सहायता देने का ऐलान कर रही है। इससे किसानों को किसी भी फसल को उगाने के लिए किसी तरह का कर्ज नहीं लेना पड़ेगा, जिससे किसान ना केवल कर्ज मुक्त होगा बल्कि वह आत्मनिर्भर भी बनेगा।