- मानव शरीर की ऊर्जा के चार मुख्य स्रोत- फूड, स्लीप, ब्रेथ और हैप्पी स्टेट ऑफ माइंड
- अनुलोम, विलोम, भ्रस्तिका प्राणायाम के साथ-साथ सुदर्शन क्रिया का करें निरंतर अभ्यास
- ब्रेथ तकनीक, ध्यान और योग को करें अपनी दिनचर्या में शामिल करें: प्रो. द्विवेदी
- आर्ट ऑफ लिविंग की शिक्षिका सुश्री रिद्धिमा सोनी ने सुदर्शन क्रिया के महत्व पर किए अनुभव साझा
रविवार दिल्ली नेटवर्क
आर्ट ऑफ लिविंग, मुरादाबाद के जिला समन्वयक और लाइफ कोच एंड मैंटर श्री रोहित अग्रवाल ने कहा, मानव शरीर की ऊर्जा के चार मुख्य स्रोत हैं- फूड, स्लीप, ब्रेथ और हैप्पी स्टेट ऑफ माइंड। ब्रेथ- श्वास ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। हम भोजन, नींद और मन की प्रसन्नता के बिना तो कुछ दिन जीवित रह सकते हैं, लेकिन श्वास के बिना हम कुछ पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारा मन जैसा सोचता है, वैसा ही हमारी ब्रेथ का पैटर्न बन जाता है, जिसका हमारे शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अगर हम अपनी श्वास का पैटर्न सही कर लें तो हम अपने जीवन को स्वस्थ बनाने के साथ-साथ अपना स्ट्रेस भी ख़त्म कर सकते हैं। इसके लिए हमें श्वास लेने की सही तकनीक अपनानी होगी। हमें अनुलोम, विलोम, भ्रस्तिका प्राणायाम के साथ-साथ सुदर्शन क्रिया का निरंतर अभ्यास करना होगा। श्री अग्रवाल ने श्वास की तकनीक और उसके महत्व पर आधारित प्राणायाम के कई अभ्यास भी कराए। श्री रोहित तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज़-एफओईसीएस में स्ट्रेस फ्री टीचिंग एंड लिविंग- तनाव मुक्त शिक्षण और जीवनयापन पर आयोजित वर्कशॉप में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
इससे पहले श्री रोहित ने बतौर मुख्य वक्ता और एफओईसीएस के निदेशक प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके वर्कशॉप का शुभारम्भ किया। इस मौके पर कॉलेज के विभागाध्यक्ष प्रो. एके सक्सेना, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग के एचओडी डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी के संग-संग आर्ट ऑफ लिविंग टीम के टीचर्स- श्री दोशांत वर्मा, सुश्री रिधिमा सोनी और सुश्री मणि मिश्रा भी मौजूद रहे। संचालन वर्कशॉप कोऑर्डिनेटर डॉ. अलका वर्मा ने किया। एफओईसीएस के निदेशक प्रो. द्विवेदी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। ब्रेथ तकनीक, ध्यान और योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बोलो, इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करके हम अपना स्ट्रेस समाप्त करके आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। जीवन से स्ट्रेस को खत्म करने के लिए प्रसिद्ध सुदर्शन क्रिया को सीखना जरूरी है, जिससे शत-प्रतिशत आउटपुट और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ विश्वविद्यालय में अकादमिक स्तर को और सुदृढ़ किया जा सके। आर्ट ऑफ लिविंग टीम की शिक्षिका सुश्री रिद्धिमा सोनी ने सुदर्शन क्रिया के महत्व पर अपने व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किए। आर्ट ऑफ लिविंग टीम के शिक्षक श्री दोशांत वर्मा ने स्ट्रेस के बारे में संक्षेप में बताया। इस अवसर पर प्रॉक्टर डॉ. शंभू भारद्वाज, प्रो. आरसी त्रिपाठी, प्रो. आरके जैन, प्रो. सुरजीत दलाल, डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. गरिमा गोस्वामी, डॉ. प्रियांक सिंघल, डॉ. रंजना शर्मा, श्री रूपल गुप्ता, मिस नीरज कुमारी, श्री नवनीत विश्नोई, श्री मोहन विशाल गुप्ता, श्री राहुल विश्नोई, श्री राजेंद्र प्रसाद पाण्डेय, श्री मनोज गुप्ता आदि मौजूद रहे।