राजस्थान के वरिष्ठ मन्त्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफा को लेकर भी सस्पेंस जारी…

Suspense continues regarding the resignation of senior Rajasthan minister Dr. Kirori Lal Meena…

  • डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने अपने आपको को शिखण्डी की उपमा दे दी…

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान की भजन लाल सरकार के सबसे वरिष्ठतम मंत्री कृषि और आपदा राहत मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफा का सस्पेंस अभी भी सुलझा नहीं हैं। पिछलीं पन्द्रह अगस्त को उनके बतौर मन्त्री सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय पर ध्वजारोहण करने और पूर्वी राजस्थान सहित प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अतिवृष्टि से बाढ़ के हालात पैदा होने पर प्रतिपक्ष के नेताओं द्वारा बार बार यह सवाल उठाने पर कि ऐसी विकट परिस्थितियों में जनता जानना चाहती है कि राज्य के आपदा राहत मन्त्री कहा है? डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी सक्रियता दिखाई थी,लेकिन हाल ही उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र सवाई माधोपुर जिले के बजरिया में चल रही रामकथा में कथावाचक मुरलीधर महाराज का आशीर्वाद लेते समय लोगों को संबोधित करते हुए अपने आपको को शिखण्डी तक की उपमा दे दी।

इस दौरान किरोड़ी लाल मीणा का दर्द ऐसा झलका कि एक बार फिर से उन्होंने कहा कि मैं मन्त्री नहीं हूँ क्योंकि मैं अपना इस्तीफ़ा दे चुका हूँ। उन्होंने अपने इस्तीफे को लेकर कहा, “अब तो मैं मंत्री भी नही हूं, मैंने इस्तीफा दे दिया हैं।मैंने कई बार मुख्यमंत्री को भी कह दिया कि मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लो।उन्होंने कहा कि क्यों ? तो मैंने कहा कि मैंने 45 साल तक पूर्वी राजस्थान के सवाई माधोपुर, टोंक, दौसा, अलवर, करौली, भरतपुर, धौलपुर क्षेत्र की जनता के हर दुख दर्द में सेवा की है। मैंने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से कहा था कि मैं पूर्वी राजस्थान की सातों सीट जिताउंगा, लेकिन जहां से मैं एमएलए हूं, वो सीट भी हार गया। मेरे जिले की सीट हारने के बाद मैंने घोषणा की थी कि मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। इसलिए मैंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और सच्चे मन से जनता की सेवा में लगा हूं।मैं नैतिकता की राजनीति करता हूं, इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया।

मीणा ने कहा कि आज के समय में जैसे राजनेता बदल गए हैं, वैसे जनता भी बदल गई है। किरोड़ी लाल ने कहा कि मेरे बगल में गंगापुरसिटी है, जहां जनता ने उस आदमी को फिर से एमएलए बना दिया, जिसने ये कहा था कि आदिवासी या मीणा हिंदू नहीं हैं।वो फिर चुनाव जीत कर चला गया। उन्होंने सवाल किया किं इसमें गलती किसकी है?

आगे बोलते हुए डॉ मीणा ने कहा कि हर बात का एक समय होता है, मंत्री बनने पर तो मैं शिखंडी बन गया, जो करने की शक्ति थी वो भी गायब हो गई और हठिले हम्मीर जिसने अपना वचन निभाने के लिए प्राण न्योछावर कर दिया, था लेकिन दुश्मन के सामने सिर नहीं झुकाया था । मैं भी आपको जनता को बचन दे चुका हूं, जो मैंने विधानसभा चुनावों के दरमियान दिया था। मैं किसी के सामने सिर झुकाने वाला नहीं हूं। अगर सिर झुकाऊंगा तो जनता जनार्दन के सामने झुकाऊंगा। मुझे किसी पद से मोह नहीं है। डॉ मीणा ने बताया कि भगवान राम की सिंहासन पर बैठने की सभी तैयारियां हो गई थीं, लेकिन उन्हें पिता के आदेश पर वनवास जाना पड़ा। जब भगवान राम को ही सिंहासन छोड़ना पड़ा तो किरोड़ी लाल तो छोटी सी चीज है। सिंहासन का कोई महत्व नहीं है।उन्होंने कहा कि मैं लड़ता रहूंगा और जनता के काम करता रहूंगा। डॉ. किरोड़ी लाल ने कहा कि मैं यहां कोई राजनीतिक भाषण नहीं दे रहा, बल्कि जो मन में पीड़ा है, उसे व्यक्त कर रहा हूं।

राजनीतिक गलियारों में डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के हालिया बयान से प्रदेश की राजनीति में एक नई चर्चा शुरु हो गई हैं। साथ ही भाजपा की अंदरूनी राजनिति में भी एक नया विवाद उभर आया है। मीणा का बयान ऐसे वक्त पर आया हैं जबकि मुख्यमन्त्री विदेश यात्रा पर हैं।

मीणा ने रामकथा मंच से अपने पद और पार्टी नेतृत्व को लेकर जो नाराजगी व्यक्त की है, उससे पार्टी के अंदर जबरदस्त खलबली मच गई है। उन्होंने अपने मंत्री पद पर खुद सवाल उठाते हुए अपने आपको “शिखंडी” की जो उपमा दी, जो स्पष्ट रूप से उनके असंतोष और नेतृत्व से दूरी को दर्शाता है। उनके इस बयान ने भाजपा के राजनीतिक संकट को गहरा दिया है। राजस्थान में छह विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव नजदीक हैं और भाजपा को पार्टी के आंतरिक मतभेदों से जूझना पड़ रहा है। उनके इस्तीफे की पेशकश और उसे स्वीकार नहीं किए जाने की स्थिति ने पार्टी के भीतर नेतृत्व के फैसलों पर सवाल खड़े हो गये हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अगर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस मसले को शीघ्र सुलझाने का प्रयास नहीं किया, तो इसका असर विधानसभा उप चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है।हालाँकि कुछ लोग डॉ मीणा दौसा उप चुनाव में अपने भाई को टिकट दिलाने के लिए दवाब की राजनीति खेल रहें हैं। उन्होंने पिछलें लोकसभा चुनाव में भी अपने भाई को टिकट दिलाने का प्रयास किया था लेकिन टिकट नहीं मिलने से वे नाराज हो गये लेकिन डॉ मीणा ने नज़दीकी सूत्र इससे इंकार करते है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि डॉ. मीणा जैसे वरिष्ठ नेता के इस प्रकार के बयान से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी के भीतर कुछ मुद्दों पर असंतोष है, जिसे हल करना अब केंद्रीय नेतृत्व की प्राथमिकता हो जानी चाहिए अन्यथा, भाजपा को आने वाले समय में राजनीतिक रूप से बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है क्योंकि पूर्व मुख्यमन्त्री वसुन्धरा राजे का खेमा पहले ही अपने आपको मुख्य धारा से अलग कर दिया गया मान रहा हैं। हाल ही जयपुर में भाजपा के वरिष्ठ नेता और सिक्किम के नाव नियुक्त राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर के नागरिक अभिनन्दन समारोह में वसुन्धरा राजे कह चुकी है कि पीतल की लौंग क्या मिल गई कुछ लोग अपने आपको सराफ़ मान बैठते हैं। उन्होंने भाजपा के सदस्यता अभियान में भी अपना सदस्यता प्रमाण पत्र जयपुर के बजाय अपने निर्वाचन क्षेत्र झालावाड़ के कार्यकर्ताओं के मध्य जा कर लिया।

इधर राजस्थान में नए भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ का दावा हैं कि पार्टी में सब ठीक है और अगर कोई बात कही भी जाती है तो यह हमारे परिवार का मामला है जिसे हम आपसी संवाद और मिल बैठ कर सुलझाते है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा में चल रहे कथित अंतर्कलह का परिणाम क्या होगा और क्या सत्ताधारी पार्टी परंपरा के अनुसार प्रदेश में होने वाले छह विधान सभाओं के उप चुनावों में अपनी विजय पताका लहरा पाएंगी ?