दिल्ली में राजस्थान भवन क्यों न बने प्रदेश की वास्तु कला,शिल्प और संस्कृति का संगम ?

Why shouldn't Rajasthan Bhawan in Delhi become a confluence of architecture, craft and culture of the state?

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने जोकि राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग की मन्त्री और पर्यटन मंत्री भी है, ने हाल ही देश की राजधानी नई दिल्ली में पृथ्वीराज रोड पर निर्माणाधीन राजस्थान हाउस का निरीक्षण करते हुए एक महत्वपूर्ण बयान दिया कि राजस्थान भवन सिर्फ एक बिल्डिंग मात्र नहीं बल्कि राजस्थान का दर्पण होना चाहिए।

उन्होंने भवन के निर्माण में राजस्थान के पत्थर का उपयोग करने के साथ ही इसकी वास्तु कला,शिल्प और संस्कृति में भी राजस्थान का दिग्दर्शन करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भवन के तैयार होने के बाद जब लोग यहां आए, तो आगंतुकों को लगना चाहिये कि हम राजस्थान आ गए हैं।

दिया कुमारी ने इस बात पर जोर दिया कि यह भवन राजस्थानी कल्चर से मेल खाते हुए डेवलप होना चाहिए। निर्माण कार्य में राजस्थानी आर्टिजंस के हुनर और राजस्थानी निर्माण सामग्री का उपयोग होना चाहिये।

भवन के निर्माण कार्य में लगने वाली हर एक सामग्री में राजस्थानी निर्माण सामग्री को प्राथमिकता मिलनी चाहिए चाहे वह राजस्थानी पत्थर हो अथवा राजस्थानी पेंटिंग्स होवे।

साथ ही उस भवन को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फ़ोर लोकल’ की थीम पर तैयार कर इसके निर्माण में राजस्थान के हुनरबंद कारीगरों की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि प्रदेश के लोगों को रोजगार के अवसर मिलने के साथ ही भवन निर्माण में राजस्थानी कला और संस्कृति की झलक भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे सके। उप मुख्यमंत्री ने यहाँ तक कहा कि कहा कि जब दिल्ली के ऐतिहासिक भवनों और नये विश्व स्तरीय भवनों में जब राजस्थानी पत्थर का उपयोग हो सकता है तो राजस्थान हाउस के निर्माण में राजस्थानी पत्थर का भरपूर उपयोग क्यों नहीं किया जाना चाहिए।दिया कुमारी ने राजस्थान हाउस में आगन्तुक देशी विदेशी पर्यटकों,उधमियों और व्यवसायियों को राजस्थान से संबंधित संपूर्ण जानकारी देने के लिए एक बिजनेस सेंटर और सूचना केन्द्र बनाने पर भी बल दिया।

ऐसी ही हिदायत पिछलें दिनों भवन निर्माण की प्रगति का जायजा लेते हुए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने इंजीनियरों और अधिकारियों को दी थी और काम की गति को भी बढ़ाने के निर्देश दिये थे। दरअसल राजस्थान सरकार का नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में वर्तमान में एक ही राजकीय गेस्ट हाऊस संचालित है जिसमें सीमित कमरों के कारण भारी दवाब हैं। नव निर्वाचित सांसद वहाँ रह रहें है तथा राज्यपाल के राजधानी में होने पर मुख्यमंत्री को जोधपुर हाऊस से यहाँ शिफ्ट होना पड़ता है।

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में राजस्थान का भवन क्यों न बने प्रदेश की वास्तु कला,शिल्प और संस्कृति का संगम ? इस सोच का एक कारण पिछलें वर्षों में नई दिल्ली के अकबर रोड पर गुजरात सरकार का नव निर्मित गरवी गुजरात भवन भी है जोकि राजस्थान के पत्थरों और वास्तु कला से एक हवेली नुमा आकार में बना है तथा सभी के आकर्षण का केंद्र बन रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर 2019 में इस प्रतिष्ठित इमारत का उद्घाटन किया था और कुछ ही समय बाद इसने देश के कई राजनेताओं, फिल्म जगत के लोगों और विदेशी सैलानियों के साथ-साथ आम लोगों का ध्यान भी अपनी तरफ़ खींचा।

गुजरात की समृद्ध कला और संस्कृति को संजोए इस इमारत में गुजरात की लिप्पन कला, मोढेरा सूर्य मंदिर और कच्छ की कला, डांग केचर चित्र समेत कई अन्य हस्तशिल्प मौजूद हैं। गरवी गुजरात,जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि गुजराती किस बात पर गर्व करते हैं ? इसलिए ये इमारत दिल्ली में गुजरात राज्य का आईना बन गया है। इस आधुनिक इमारत में कच्छ से लेकर डांग तक की सभी लोकप्रिय कलाओं और संस्कृति के दर्शन एक साथ किए जा सकते हैं लोग यहां की खूबसूरती और वास्तुकला की प्रशंसा करते हैं। पुरस्कार विजेता गुजराती फिल्म ‘हेलारो’ के कलाकारों ने गरवी गुजरात का दौरा कर इसके अद्भुत निर्माण और कला को सराहा। ये इमारत इस बात का प्रतीक है कि गुजरात सिर्फ अपने उद्यमिता कौशल के लिए नहीं बल्कि अपनी कला, संस्कृति, शिल्प, व्यंजनों और मेहमानवाज़ी के लिए भी जाना जाना है।

ये इमारत सुंदर तो है ही लेकिन साथ ही राजधानी की पहली इको फ्रेंड्ली इमारत भी है। इसमें रेन वॉटरहार्वेस्टिंग, सॉलिड वेस्ट जनरेशन, ई-वेस्ट जनरेशन और STPस्लज जनरेशन जैसे कई मॉर्डन कॉन्सेप्ट्स को आधार बनाया गया है। यहां सोलर पावर जेनरेशन और चिलिंग प्लांट की सुविधाओं के साथ पर्यावरण के अनुकूल एक ग्रीन वॉल भी तैयार की गई है।

यहां शानदार माहौल में कम क़ीमत पर पारंपरिक गुजराती पकवान परोसने वाला रेस्टोरेंट है जहां हर रोज़ कई दिल्लीवाले आते हैं और गुजराती खाने का लुत्फ उठाते हैं।इसके अलावा यहां एक सुविनियर शॉप भी है जहां से लोग गुजरात से जुड़ी हथकरघा या हस्तशिल्प की चीज़ें यादगार के तौर पर खरीद कर ले जाते हैं।

गरवी गुजरात के निर्माण का ज़िम्मा एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड को सौंपा गया था और उन्होंने दो वर्षों से भी कम समय में इस इमारत का निर्माण पूरा कर दिया। इस इमारत का डिज़ाइन पारंपरिक गुजराती और आधुनिक वास्तुकला का बेहतर नमूना है।नई दिल्ली में गुजरात सरकार का यह दूसरा गेस्ट हाउस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और वहाँ के तात्कालिन मुख्यमंत्री का सपना था, जिसे रेजिडेंट कमिश्नर आरती कंवर और उनकी टीम ने हकीकत का रूप दिया। इसी तर्ज पर राजधानी नई दिल्ली में मध्य प्रदेश का नया भवन चाणक्यपुरी में नए प्रवासी भारतीय भवन के पास बना है और अन्य कुछ प्रदेशों के भवन बन रहें हैं अथवा उनका जीर्णोद्धार हो रहा हैं।

दरअसल नई दिल्ली में राजस्थान भवन के पुनर्निर्माण की पहल पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुख्यमंत्रित्व काल में हुई थी। इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है। नई दिल्ली में अकबर रोड पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के ठीक सामने राजस्थान की भव्य हवेली जैसे एक भवन को देख एक बार गहलोत अचानक रुक गए और उस ओर आकर्षित होकर पूछा कि राजस्थानी पत्थर से बना यह कौन सा भवन है? उन्हें बताया गया कि यह गुजरात सरकार का नया गेस्ट हाउस गर्वी गुजरात भवन है जोकि राजस्थान के गुलाबी पत्थर और वास्तु कला से हवेली जैसे रंग रूप में ही बना है। गहलोत ने अपने मन को भायें इस भवन को देख राजस्थान सरकार के अधिकारियों और इंजिनियरों आदि को इस भवन को देखने भेजा और राजस्थान हाउस बीकानेर हाउस और और उदयपुर हाउस का जीर्णोद्धार तदनुसार करने की हिदायत दी और उसके साथ ही पृथ्वीराज रोड पर स्थित राजस्थान भवन को ध्वस्त कर नये भवन के निर्माण की बुनियाद रखी गई। इसके अलावा पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दूरदर्शी विजन के अनुरूप इंडिया गेट से लगे और गेट वे ऑफ इण्डिया के रूप में विकसित बीकानेर हाऊस के विस्तार कार्यों तथा पुरानी दिल्ली के राज निवास मार्ग पर वर्षों के जिद्दोंज़हद के बाद राज्य सरकार को मिले उदयपुर हाऊस के कब्जे के बाद वहाँ प्रदेश से महानगर में पढ़ने आने वाले विद्धार्थियों के लिये 500 छात्रों के हॉस्टल के निर्माण कार्यों की शुरुआत भी हुई।

नई दिल्ली में राजस्थान भवन के वरिष्ठ मैनेजर हेमन्त विनय के अनुसार नये राजस्थान भवन के नये वर्ष 2025 के अप्रैल मई माह तक बन कर तैयार होने की उम्मीद है। यदि यह भवन हक़ीक़त में देश की राजधानी नई दिल्ली में प्रदेश की वास्तु कला,शिल्प और संस्कृति का संगम बनता है तो राजधानी में स्थित विभिन्न देशों के दूतावासों और भारत के सभी प्रदेशों के भवनों के मध्य एक नये आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।

देखना है नया राजस्थान हाऊस राजस्थान के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के साथ ही आम लोगों की उम्मीदों की कसौटी पर कितना अधिक खरा उतरेगा?