गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजनीति के जादूगर और कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर अपने घर से बाहर निकल कर सियासत की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं। गहलोत ने लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब में स्लिप डिस्क से पीड़ित होने के बाद डॉक्टरों की सलाह पर तीन महीने घर पर आराम किया और अब स्वस्थ होने पर उन्होंने फिर से अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। हालाँकि गहलोत ने इस दर्मियान भी देश और प्रदेश से जुड़े हर सम सामयिक विषय पर अपने बयानों के तीर छोड़ना नहीं छोड़ा था।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को दो बड़ी घटनायें हुई एक ओर आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाला प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर तिहाड़ जेल से बाहर आए वहीं दूसरी और अपनी बीमारी से उबरने के बाद राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करीब तीन महीनों बाद शुक्रवार को नई दिल्ली पहुँचें ।
गहलोत ने राजधानी दिल्ली पहुँचते ही अपने चिर परिचित अन्दाज़ में कांग्रेस मुख्यालय और बाहर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मिलना शुरू कर दिया।इस बीच कांग्रेस ने उन्हें हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारक भी घोषित किया।राजनीतिक सूत्रों के अनुसार हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधान सभा चुनावों के चलते उन्हें पार्टी हाईकमान ने अचानक नई दिल्ली बुलाया है। गहलोत के दिल्ली बुलावे के बाद देश और प्रदेश की सियासत में जमकर हलचल मची हुई है, माना जा रहा है कि गहलोत को पार्टी हाई कमान की ओर से उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
गहलोत तीन महीने बाद फिर से सक्रिय राजनीति में एक्टिव हुए हैं।लोकसभा चुनाव के दौरान वे अस्वस्थ हो गए थे। इसके कारण वे करीब तीन महीनों तक बेड रेस्ट पर रहे। दिल्ली की ओर कूच करते ही गहलोत ने अपने विशेष अंदाज में बीजेपी पर हमला करना शुरू कर दिया है। इस दौरान राहुल गांधी को लेकर भाजपा नेताओं के बयानों पर उन्होंने कई सियासी हमले किए हैं। दिल्ली पहुँचने के बाद गहलोत का पार्टी हाई कमान के नेताओं से मुलाकातों का दौर जारी है।
गहलोत के दिल्ली दौरे को लेकर सियासी गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव को देखते हुए गहलोत की पार्टी हाईकमान के नेताओं से मुलाकात को उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी देने से जोड़कर देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकार लोगों का कयास है कि लोकसभा चुनाव में उन्हें अमेठी में दी गई चुनौती पूर्ण जिम्मेदारी की तरह हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव में भी गहलोत को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।लोकसभा चुनाव के दौरान गहलोत को बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। राहुल गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा, तो गहलोत को अमेठी सीट की जिम्मेदारी दी गई थी। वहां पर गहलोत को सीनियर ऑब्जर्वर बनाकर भेजा गया था। इसके चलते अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को जीत दिलवाने में गहलोत की भूमिका महत्वपूर्ण मानी गई।पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली के दौरे पर हैं। इस बीच उनकी हाई कमान से मुलाकात को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के कयास से जोड़कर देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में दो और प्रदेशों महाराष्ट्र एवं झारखण्ड में भी चुनाव होने हैं तथा एक चुनाव रणनीतिकार के रुप में गहलोत की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता। इस बीच अक्टूबर में राजस्थान के छह विधानसभा सीटों पर उप चुनाव भी होने है। ऐसी परिस्थितियों में गहलोत को फ्रंट लाईन में लाना भी जरुरी है। उन्हें कांग्रेस के केन्द्रीय कार्यालय में भी बड़ी जिम्मेदारी के संकेत हैं। वैसे कांग्रेस हाई कमान ने राजस्थान से सचिन पायलट, दिव्या कुमारी और दानिश अबरार आदि नेताओं को पहले से ही ज़िम्मेदारियाँ दे हुई है। सियासत में यह भी चर्चा का विषय हुए हैकि पार्टी हाई कमान के लिये गहलोत और सचिन गुटों के मध्य संतुलन बनाना भी एक चुनौती हैं।
राजनीतिक आँकलन करने वाले लोगों का मानना है कि अशोक गहलोत की दिल्ली यात्रा उनके राजनीतिक सपनों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। यात्रा की सफलता, गांधी परिवार के साथ उनके पुराने रिश्तों और हरियाणा एवं जम्मू कश्मीर चुनावों में उनकी संभावित भूमिका के आधार पर उनके बारे में राजनीतिक भविष्यवाणियां तय होंगी। गहलोत की योजनाएं और प्रयास उनके भावी राजनीतिक करियर के लिए एक नई दिशा निर्धारित कर सकते हैं, लेकिन हो सकता है इसके लिए उन्हें कई बाधाओं का सामना भी करना पड़े।
देश और प्रदेश में चल रहे सियासी माहौल के मध्य अशोक गहलोत के दिल्ली दौरे को काफी अहम माना जा रहा है। गहलोत ने दिल्ली रवाना होने से पहले राहुल गांधी की अमेरिका की यात्रा, भाजपा द्वारा राहुल पर किए जा रहे जुबानी हमले आदि विषयों को लेकर अपना बयान जारी किया। वहीं, हवाई अड्डे पर मीडिया से बातचीत में पश्चिम बंगाल के हालात को लेकर भी चिंता जताई।
पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर से गैंगरेप और हत्या के सवाल पर गहलोत ने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।सीबीआई मामले की जांच कर रही है और सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कर रहा है। हमें इनके परिणामों का इंतजार करना चाहिए। यह बहुत संगीन मामला था, जिसे वहां की पुलिस ने ठीक से हैंडल नहीं किया।गवर्नर और ममता बनर्जी के बीच टकराव पर उन्होंने कहा कि वहां के ही नहीं, कई राज्यों के गवर्नर दखल देते हैं और राजनीति करते हैं। कई राज्यों में पहली बार गवर्नर और मुख्यमंत्री के बीच टकराव देखने को मिल रहा है। यह जो परंपरा शुरू हुई है, वो उचित नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा और सचिन पायलट के बयानों की तरह उन्होंने भी राजस्थान में उपचुनाव में कांग्रेस की जीत का भी भरोसा जताया।
अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी एक बयान जारी कर कहा कि भाजपा द्वारा 15-20 साल तक बदनाम करने के प्रयासों के बावजूद राहुल गांधी अब देश की आशा एवं अपेक्षा का केंद्र बिंदु बन गए हैं।इससे भाजपा इतनी हताश और आक्रामक हो गई है कि देश की राजधानी दिल्ली में भाजपा के नेता खुलेआम राहुल गांधी की हत्या करने की बातें कर रहे हैं। ऐसे बयानों पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की चुप्पी हैरान करने वाली है. यह दिखाता है कि अपनी सत्ता कायम रखने के लिए भाजपा किस हद तक जा सकती है।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा की सफलता से भाजपा पूरी तरह बौखला गई है और इस यात्रा को लेकर देशभर में अफवाह फैलाने लग गई है। लोकसभा चुनावों में संविधान बदलने एवं आरक्षण हटाने के इरादे लेकर गई भाजपा को जनता ने अच्छा सबक सिखाया इसके बावजूद भाजपा आरक्षण पर झूठ बोलने से बाज नहीं आ रही है।राहुल गांधी ने स्पष्ट कहा है कि समाज में समानता लाने के लिए आरक्षण जरूरी है एवं आवश्यकता के अनुरूप इसकी सीमा भी बढ़ानी चाहिए।
अशोक गहलोत ने कहा, राहुल गांधी देश में सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिसे वे इसके अंजाम तक लेकर जाएंगे और भाजपा के आरक्षण से खिलवाड़ करने के इरादे को कभी पूरे नहीं होने देंगे। भाजपा देश को गुमराह करने का प्रयास अब बंद कर दे क्योंकि देश समझता है कि राहुल गांधी के द्वारा अमेरिका में बोले गए एक-एक शब्द का अर्थ क्या है और इसके पीछे की क्या भावना है।
बहरहाल, वर्तमान में देश के दो राज्यों जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनावी रंग जमा हुआ है और महाराष्ट्र-झारखंड में विधानसभा चुनाव के साथ ही राजस्थान की छह सीटों पर उपचुनाव भी आने वाले दिनों में होने वाले है इसे मद्देनजर यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस आलकमान अशोक गहलोत को आने वाले दिनों में कोई बड़ी जिम्मेदारी देती है अथवा नहीं?