रविवार दिल्ली नेटवर्क
आंध्र प्रदेश के नरसापुर शहर के केंद्र में है पोन्नपल्ली वार्ड और यहां के लोगों की पहचान कभी अरक्षितता और खुले में शौच के प्रचलन से होती थी। एक बड़ी झुग्गी आबादी जिसकी पहुंच बुनियादी स्वच्छता सेवाओं तक सीमित थी, इसने खुले में शौच को सामान्य रूप में स्वीकार कर लिया था। फिर भी, इस माहौल के बीच, एक महिला, सत्यनारायणम्मा ने यथास्थिति को स्वीकार करने से मना कर दिया। मछुआरिन और दो बच्चों की मां, सत्यनारायणम्मा, जो पोलियो ग्रस्त दिव्यांग हैं, अपने समुदाय में बदलाव की एक ताकत बन गईं। बीमारी की वजह से उनके व्यक्तिगत अनुभव ने उन्हें स्वच्छता के महत्व के बारे में गहराई से जागरूक किया। इस जागरूकता से उन्हें, न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे वार्ड के लिए बदलाव लाने की प्रेरणा मिली।
सत्यनारायणम्मा की यात्रा उनके जेंडर फोरम में शामिल होने के साथ शुरू हुई। ये फोरम महिलाओं के बीच स्वच्छता और सफाई के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन है। उन्होंने मासिक धर्म स्वच्छता, शौचालय के उपयोग और हाथ धोने पर चर्चा, फोरम के अन्य सदस्यों के साथ की और अपने पड़ोसियों को स्वच्छ, स्वस्थ वातावरण की लड़ाई में उनका सहयोग देने के लिए राजी करने का अथक प्रयास किया। शुरुआत में, स्थानीय समुदाय के लोगों को सुरक्षित स्वच्छ तरीकों को अपनाने और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए राजी करना बहुत मुश्किल काम था। हालांकि, सत्यनारायणम्मा जैसी अन्य स्थानीय महिलाओं के नेतृत्व में ऐसे प्रयास धीरे-धीरे गति पकड़ने लगे। स्वच्छता ऑडिट और मल कीचड़ प्रबंधन तथा महिलाओं-पुरुषों के लिए अनुकूल सेवाओं को लेकर उनके द्वारा की गयी चर्चा से ख़ास चिंताओं को दूर करने में मदद मिली साथ ही समुदाय को जिम्मेदारी का अधिकार मिला। उनके अथक परिश्रम के दम पर पोन्नपल्ली वार्ड ने खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) का दर्जा प्राप्त किया, जो ना केवल शहर के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ बल्कि जमीनी स्तर पर लामबंदी की ताकत का एक स्थायी प्रमाण है।
स्वच्छ भारत मिशन की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुरू यह परिवर्तन राष्ट्रीय स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता (4एस) अभियान के साथ मेल खाता है। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर, 2024 तक चलने वाला यह अभियान भारत में स्वच्छता और सफाई की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए चलाये जा रहे प्रयासों को उजागर करता है और इसमें वार्षिक स्वच्छता ही सेवा आंदोलन के लक्ष्य प्रतिध्वनित होते हैं। देश भर में महात्मा गांधी की जयंती पर स्वच्छ भारत दिवस की तैयारियां चल रही हैं और ऐसे में पोन्नपल्ली जैसे समुदायों की कहानियां इस तथ्य को प्रतिक के रूप में स्थापित करती हैं कि जब नागरिक एक सामान्य उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एकजुट हो तो क्या कुछ हासिल किया जा सकता है। 4एस अभियान केवल स्वच्छता बनाए रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वच्छता के तौर तरीकों को अपनाने की जिम्मेदारी और उन्हें लेकर लोगों में गर्व की भावना पैदा करना भी इसमें शामिल है, ठीक वैसे ही जैसे सत्यनारायणम्मा और उनकी साथी महिलाओं ने अपने वार्ड में हासिल करके दिखाया।
स्वच्छ भारत मिशन का व्यापक प्रभाव इसकी विभिन्न सफलताओं से स्पष्ट होता है। भारत भर में 4,576 शहर, 24 सितंबर, 2024 तक, खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किये जा चुके हैं, इसका मतलब है कि इन शहरों में खुले में शौच की प्रथा को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया है। इसके अतिरिक्त, 3,913 शहरों को ओडीएफ+ का दर्जा प्रदान किया गया है, जो न केवल खुले में शौच के उन्मूलन को दर्शाता है, बल्कि शौचालय के निरंतर उपयोग और सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों के उचित रखरखाव को भी दर्शाता है। इसके अलावा, 1,429 शहर ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं, जो मल कीचड़ और सेप्टेज के उन्नत प्रबंधन को दर्शाता है, जिससे कुशल अपशिष्ट निदान सुनिश्चित होता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस मिशन की महत्वपूर्ण प्रगति देखने को मिलती है। 5,54,150 गाँवों ने ओडीएफ प्लस का दर्जा प्राप्त किया है, जो बेहतर स्वच्छता सुविधाओं और तौर तरीकों को दर्शाता है। इनमें से 3,00,368 गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल गाँव के रूप में मान्यता मिली है इसलिये ये गांव दूसरों के लिए मानक बन गये हैं। इसके अतिरिक्त, 1,30,238 गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल गांव के रूप में प्रमाणित किया गया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि वे स्थायी स्वच्छता के तौर तरीकों के लिए कड़े मानदंडों पर खरा उतरते हैं।
ये संख्याएं आंकड़ों से कहीं महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोगों के जीवन में आए बदलाव, स्वस्थ समुदायों और सत्यनारायणम्मा जैसे व्यक्तित्वों के दृढ़ संकल्प का सामूहिक रूप से प्रतिनिधित्व करती हैं। पोन्नपल्ली वार्ड में उनका काम स्वच्छ, स्वस्थ भारत के मिशन के उस दृष्टिकोण को दर्शाता है जो पूरे देश में बदलाव को प्रेरित करता रहता है।
स्वच्छ भारत मिशन को शुरू हुए दस साल से भी ज्यादा समय हो चुका है, 4एस अभियान की सफलता इन उपलब्धियों को और आगे ले जाने के लिये प्रतिबद्ध है। साथ ही अभियान यह सुनिश्चित करता है कि पोन्नपल्ली जैसे समुदाय न केवल ओडीएफ हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अपनी स्वच्छता और स्वच्छता बनाए रखने के लिए ज्ञान और संसाधनों से भी लैस हैं। इन प्रभावशाली आंकड़ों के पीछे सत्यनारायणम्मा जैसी कहानियां हैं जिनमें ऐसे व्यक्तिगत प्रयासों की दास्तान है जो सामूहिक कार्रवाई के लिए प्रेरित करते हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत केवल शौचालय नहीं बनाए गए बल्कि इसने मानसिकता को नया रूप दिया। सत्यनारायणम्मा की यात्रा हमें बताती है कि वास्तविक परिवर्तन बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं है बल्कि यह लोगों के स्वच्छता के बारे में नजरिये और उसको निजी जीवन में अपनाने के बारे में है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि स्थायी परिवर्तन तब होता है जब समुदाय स्वयं जिम्मेदारी लेते हैं, न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देते हैं बल्कि अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए जिम्मेदारी की स्थायी भावना भी जगाते हैं।