हरियाणा विधानसभा चुनावी रण राजनीतिक दिशा-निर्देश

Haryana Assembly Election Battle Political Guidelines

प्रो. नीलम महाजन सिंह

05 अक्टूबर 2024 को हरियाणा में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। क्या भाजपा हरियाणा चुनावों में हैट्रिक बना सकती है? विभिन्न राजनीतिक दलों ने साम, दाम, दंड, भेद, सब कुछ छौंक दिये हैं। इसकी संभावनाओं के बारे में हमें कुछ जानकारी व विश्लेषण करना होगा।

हरियाणा चुनाव 2024: सीएम नायब सिंह सैनी और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की अगुआई वाली भाजपा हैट्रिक बनाने की कोशिश में है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनाम मंजू हुड्डा, सांपला-किलोई में आमने सामने हैं। अनेक मुद्दे, हरियाणा में हमेशा निर्णायक रहे हैं। रोज़गार, 36 बिरादरी, किसानों का मुद्दा, मिनिमम सपोर्ट प्राइस, अग्नि वीर योजना, शिक्षा, आदि, हरियाणा के महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। भाजपा ने सही पैंतरा खेला है। मनोहारी लाल खट्टर, एक पंजाबी कपड़ा व्यापारी थे, परंतु उनके पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भावनात्मक रिश्ते रहे हैं, क्योंकि जब नरेंद्र मोदी, भाजपा के महासचिव व हरियाणा प्रभारी थे, तो मनोहर लाल खट्टर ही उन्हें अपने स्कूटर पर जगह-जगह ले कर जाते रहे हैं। फिर दोनों एक ही कमरे में रहते थे जहाँ मिलकर वे ‘खिचड़ी’ बनाते व खाते रहे। उससे पहले मनोहर लाल खट्टर का नाम हरियाणा राजनीति में अधिक नहीं जाना जाता था। खैर! हरियाणा विधान सभा के चुनाव एक ही चरण में हुए हैं, जिसमें भाजपा सत्ता में वापसी की कोशिश करेगी और कांग्रेस उसे छीनने के लिए बेताब है। हरियाणा के चौटाला परिवार, जो ज़्यादातर ‘जननायक जनता पार्टी’ व ‘इंडियन नेशनल लोकदल’ में हैं, चौधरी देवीलाल की विरासत को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव और एग्ज़िट पोल की बारीकियों पर गौर करने से पहले, भाजपा की ताकत, कमज़ोरियों, अवसरों और खतरों पर भी हम एक नज़र डाल लेते हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कट्टर विरोधी, अशोक तंवर (दलित समाज) को फिर से कॉंग्रेस के प्रति वफ़ादारी के कारण, राहुल गांधी ने गले लगा कर, कॉंग्रेस में वापसी कारवाई है। साथ ही हरियाणा में ‘आया-राम, गया-राम’ की राजनीति लगातार जारी रही है। भारतीय जनता पार्टी, जिसे कुछ झटके भी लगे हैं, इस साल अपनी वापसी की क्षमता पर भरोसा रख रही है। इससे पहले मार्च 2024 में, पार्टी एक बड़े संकट के बाद सत्ता में रही, जब जेजेपी के साथ उनका गठबंधन टूट गया था। भारत भर में भाजपा के महिला-केंद्रित चुनाव अभियान हुआ, जिसे उसने हरियाणा तक बढ़ाया। इससे भाजपा को महिला मतदाताओं के बीच लोकप्रियता मिली है। हरियाणा में बेरोज़गरी एक बड़ा मुद्दा है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में 10 औद्योगिक शहर स्थापित करने और प्रत्येक क्षेत्र में 50,000 युवाओं के लिए रोज़गार देने का वादा किया है। पिछले कुछ सालों से भाजपा अंतरराष्ट्रीय खेलों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हरियाणा के ही, नीरज चोपड़ा द्वारा लगातार दो ओलंपिक पदक और कई वैश्विक स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीतने के बाद, भाजपा अपनी ‘टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना’ (TOPS) पर ज़ोर दे रही है। अब भाजपा ने सत्ता में आने पर हरियाणा के हर ज़िले में ‘ओलंपिक नर्सरी’ स्थापित करने का वादा किया है। इससे भाजपा को युवाओं का समर्थन प्राप्त होने की संभावना है। नौ साल सत्ता में रहने के बाद, भाजपा स्पष्ट रूप से हरियाणा में ‘सत्ता विरोधी लहर’ से भी जूझ रही है। 2019-20 के किसानों के विरोध व चल रहे कृषि आंदोलन से निश्चित रूप से भाजपा की छवि को नुकसान पहुँचा है। उस समय हरियाणा के मुख्य सचिव, विजय वर्धन और पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने किसानों के आगे गड्डे गाढ़े और किसानों पर गोलियां चलाईं व डंडे मारे। इन अधिकारियों ने हरियाणा के किसानों में कच्ची की, और उनका रोष हरियाणा सरकारी को झेलना प़डा। फ़िर क्यों मनोहर लाल खट्टर व अनिल विज ने, विजय वर्धन को, सेवानिवृत्ति के उपरांत, हरियाणा का ‘मुख्य सूचना आयुक्त’ निर्वाचित किया? जिस विजय वर्धन ने किसानों को पिटवाया, उसे पुरस्कृत किया गया? मार्च 2024 में भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ ब्रेकअप देखा। इसके कारण लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मनोहर लाल खट्टर सरकार गिर गई। ब्रेकअप का असर संसदीय चुनावों में भी देखने को मिला, क्योंकि भाजपा ने अपनी 10 में से 5 सीटें खो दीं हैं, जो कि भाजपा के लिए चिन्ताजनक विषय है। इसके वोट शेयर में भी लगभग 12% की गिरावट आई। इसके लिए हरियाणा के नौकरशाहों को दोष देना होगा। भाजपा ने अपनी गति को पकड़ा व हरियाणा में हैट्रिक बनाने के अपने मौके के लिए गहन मंथन किया है। क्या कांग्रेस हरियाणा चुनाव में भाजपा के ख़िलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठा सकती है? भाजपा के लिए यह चुनौती व अवसर भी है। पुराने चेहरों के बाहर होने से 60 नए उम्मीदवारों को भाजपा ने मौका दिया है। मंजू हुड्डा, कैप्टन योगेश बैरागी व कृष्ण कुमार जैसे नेता अब हरियाणा की राजनीति में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्षशील हैं। हरियाणा चुनाव में मुद्दों की सूची में जाति सबसे ऊपर है। हालांकि भाजपा को ‘जेजेपी’ से अलग होने के कारण कुछ जाट वोट खोने की संभावना है, लेकिन वह अपने सामान्य वर्ग के वोट आधार को मज़बूत कर रही है। इसके अधिकांश उम्मीदवार ब्राह्मण, राजपूत, बनिया, पंजाबी और खत्री समुदायों से आते हैं। ये समुदाय मिलकर हरियाणा की आबादी का लगभग 50% हिस्सा बनाते हैं। निखद, बड़बोलेपन, अनाप-शनाप ब्यान देने वाली, मंडी से भाजपा सांसद कंगना रनौत के ब्यानों को ‘किसान विरोधी’ माना जाता है, जो कृषि समुदाय के बीच इसके समर्थन को नुकसानदायक है। भले ही जेपी नड्डा, ने कंगना रनौत की खिंचाई की व माफ़ी मंगवाई है। हरियाणा विधान सभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले, 80 वर्षीय रंजीत चौटाला और देवेंद्र कादयान जैसे दिग्गजों को बाहर का रास्ता दिखाया गया व टिकट आवंटन को लेकर भाजपा में अंदरूनी परेशानी भी रही है। महिलाओं, युवाओं और किसानों को लुभाने के लिए कांग्रेस की रणनीति व जाट, अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करने के उसका कदम भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण है। 2.03 करोड़ मतदाताओं ने 1,031 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला, मतदान बाक्स में बंद कर दिया है। सीएम सैनी, लाडवा से चुनावी मैदान में हैं। हरिया चुनाव 2024 भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है। वास्तव में ‘बाप बेटे’ के हरियाणा पर नरेंद्र मोदी ने गहरा कटाक्ष किया है। फ़िर कॉंग्रेस की किरण चौधरी, ‘भाजपा की किरण’ बन गई। श्रुति चौधरी अपने ताया, चौधरी रणबीर महिंद्रा के बेटे, कॉंग्रेस प्रत्याशी अनिरुद्ध, के खिलाफ़ ‘तोशाम’ से चुनाव लड़ रहीं हैं। फ़िर कॉंग्रेस की कुमारी शैलजा तो भूपेंद्र हुड्डा से बातचीत भी नहीं करती हैं, यद्यपि की कुमारी शैलजा, सोनिया गांधी की बहुत करीबी हैं। इससे पहले राव बीरेन्द्र व अशोक तंवर की कॉंग्रेस में वापसी ने ‘हुड्डा वंशवाद’ को दरकिनार किया है। फ़िर चुनाव के अंतिम दिनों में दीपेन्द्र हुड्डा की ड्रग्स तस्करों के साथ चित्रों ने सभी को अचंभित किया है। सारांशाार्थ हरियाणा, कृषि प्रधान होने के साथ-साथ, महत्वपूर्ण साइबर सिटी व उद्योगों का ग़ड़ है। राजधानी दिल्ली के साथ-साथ मिला हुआ, हरियाणा राज्य, राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हरियाणा के चुनावी परिणाम, भारत की राजनीति में निर्णयक भूमिका निभाते रहे हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, शिक्षाविद, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर फॉर ह्यूमन राइट्स संरक्षण व परोपकारक)