चीन ने भारत, जापान, आस्ट्रेलिया और अमेरिका को मिलाकर बनाए गए संगठन क्वाड की आलोचना करते हुए इसे छोटा गुट करार दिया और कहा कि इससे आपसी संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा जो उन्हीं के लिए नुकसानदायक साबित होगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जुआन ने कहा एशिया प्रशांत क्षेत्र में देशों की गुटबाजी कर अमेरिका त्रिपक्षीय तथा चतुर्पक्षीय छोटे गुटों का निर्माण कर रहा है। ऐसा करके वह इस क्षेत्र में संघर्ष को बढ़ावा देने पर उतारू है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते आस्ट्रेलिया की राजधानी मेलबर्न में इन चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक बैठक में भारत -प्रशांत क्षेत्र में किसी भी देश की जोर जबदस्ती को दूर करने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी।
सुरक्षा परिषद में यूक्रेन मसले पर जुआन ने नाटो पर यूरोप में विवाद के साथ भारत प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रम को जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने अपने संबोधन में अमेरिका का नाम नहीं लिया लेकिन एक देश का जिक्र किया जो स्पष्ट करता है कि उनका इशारा किस तरफ था। जुआन ने कहा यह जो कर रहा है वह केवल एशिया प्रशांत को विभाजन और उथल-पुथल की तरफ ले जाएगा और इससे क्षेत्र के देशों की हानि होगी । इससे शांति और स्थिरता को गंभीर नुकसान होगा जबकि ऐसा करके उसे खुद के लिए कुछ भी नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा, चीन संबंधित देशों से इतिहास से सबक लेने का आग्रह करता है। क्वाड देशों को आपसी विश्वास बढ़ाने और बातचीत तथा परामर्श के माध्यम से विवादों को निपटाने के ²ष्टिकोण का पालन करना चाहिए। इस दिशा में वे विश्व शांति और क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान करने के लिए अधिक प्रयास करें।
उन्होंने रूस का समर्थन करते हुए कहा नाटो का विस्तार एक ऐसा मुद्दा है जिसे यूक्रेन से संबंधित मौजूदा तनाव से निपटने के दौरान नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। शीत युद्ध के मद्देनजर नाटो का निरंतर विस्तार हमारे समय की प्रवृत्ति के विपरीत है, जो सामान्य सुरक्षा बनाए रखना है। यह जितना विश्व के अन्य देशों पर लागू होता है उतना ही यूरोपीय क्षेत्र पर लागू होता है। लेकिन एक देश है जो शीत युद्ध की मानसिकता को त्यागने से इनकार करता है।
गौरतलब है कि क्वाड एक सुरक्षा गठबंधन नहीं है और इसका एक संगठन बनने का भी कोई घोषित लक्ष्य नहीं है। इसका अहम लक्ष्य क्षेत्रीय सहायता कार्यक्रमों में सहयोग पर रहा है। लेकिन हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी देश की आक्रामकता और जबरदस्ती से मुक्त के लिए इसकी प्रतिबद्धता के बयान से चीन में बेचैनी है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री एंथानी ब्लिंकन ,ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने और जापान के विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा ने मेलबर्न बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा कि उन्होंने एक स्वतंत्र और खुले भारत- प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए भारत -प्रशांत देशों के प्रयासों का समर्थन किया। भारत-प्रशांत -एक ऐसा क्षेत्र जो समावेशी और लचीला है, और ये देश अपने लोगों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती को विरोध करते हैं।
चीन का उल्लेख किए बिना क्वाड विदेश मंत्रियों ने कहा: क्वाड सहयोगी देश अंतरराष्ट्रीय कानून में निहित स्वतंत्र, खुली और समावेशी नियम-आधारित व्यवस्था का समर्थन करते हैं। यह क्षेत्रीय देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करता है।