रविवार दिल्ली नेटवर्क
बालाघाट : बालाघाट जिले की एक सड़क ऐसी जिसे बनाना प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती भरा था,सबसे बढ़ी चुनौती नक्सली थे क्योंकि यह क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ माना जाता था तो वही घना जंगल साथ ही साथ ऊंचा पहाड़, लेकिन इस सभी के बीच अब यह 11 करोड़ की लागत से 16 किमी की सड़क बनकर तैयार है जिससे अनेको फायदे देखने को मिल रहे है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि अंतिम छोर के व्यक्ति भी पक्की सड़क पर चले और वह मुख्य धारा से जुड़े जिसके लिए केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़को का जाल बिछाया जा रहा है,।
इसी योजना के तहत बालाघाट के अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र हर्रानाला से लेकर दुगलई तक की 11 करोड़ रु की लागत से 16 किमी की सड़क आरसीपीएलडब्ल्यूईए मद के तहत बनकर तैयार है। जिससे सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि बिठली पंचायत के ग्रामीणों को अपनी ही पंचायत में जाने के लिए 80 किमी का जो सफर तय करना पड़ता था अब वह दूरी महज साढ़े पांच कोस की रह गई है और क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिला है।
हर्रानाला से दुगलई तक 16 किमी की बनी यह सड़क जंगल में रहने वाले आदिवासियों के लिए जीवन रेखा के समान भी है, इस सड़क से नक्सल से सुरक्षा में पुलिस को बड़ी मदद तो मिलना तय है ही इससे ज्यादा पर्यटन, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार को भी नया आयाम मिला है। सड़क निर्माण के लिए पुलिस द्वारा आरसीपीएलडब्ल्यूईए से प्रस्ताव तैयार किया गया। इस सड़क की एक खूबी यह भी है कि ये सड़क जिले के उत्तरी क्षेत्र बैहर को दक्षिण क्षेत्र यानी किरनापुर, लांजी को सीधे जोड़ दिया है। इस लिहाज से इसे जिले का दक्षिण द्वार कहा जाने लगा है। इस द्वार से गोंदिया, दुर्ग और राजनांदगांव सीधे तौर पर हद में आ गया है। यह सड़क दो विधानसभाओं को आपस में जोड़ती है।
बैहर विधानसभा के हर्रानाला से प्रारम्भ होकर खड़ी पहाड़ी व अत्यंत दुर्गम जंगल के बीच से 16 किमी. की दूरी तय करते हुए लांजी विधानसभा के भगतपुर पहुँचती है। इस सड़क को बनाने में प्रशासन के सामने काफी चुनौती थी, सबसे बड़ी चुनौती नक्सल थे क्योंकि इस सड़क से उन्हें काफी नुकसान था क्योंकि यह क्षेत्र चारो ओर से जंगल और पहाड़ियों से घिरा था जो नक्सलियों के लिए काफी सुरक्षित था वह कभी नहीं चाहते थे की यह सड़क बने साथ ही साथी एक चुनौती यह भी थी कि इस मार्ग में एक बड़ी और खड़ी चढ़ाई को तोड़ना इतना आसान नही था, इस मार्ग में 1200 मीटर में ही 8 शार्प टर्न है। जिसके चलते यहां से गुजरने वाले लोगों को सूझबूझ से काम लेना होगा। यह सड़क महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ के पर्यटकों के लिए सीधा संपर्क कान्हा टाइगर नेशनल पार्क के अलावा गोदरी, घोघरा और देवनदी के झरने से जुड़ जाएगा।