खुशियों को गले लगाना सीखो

पिंकी सिंघल

दोस्तों, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि हम सभी के जीवन में कुछ न कुछ समस्याएं, दिक्कतें परेशानियां लगी ही रहती हैं। शायद ही दुनिया में ऐसा कोई शख्स होगा जिसे आज के समय में कोई समस्या या परेशानी ना हो ।किसी को रोजगार की समस्या, किसी को संतान की परेशानी ,किसी को आमदनी की समस्या किसी को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत ।कहने का मतलब है कि दुनिया में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसे देखकर जानकर हम यह कह सकें कि उस व्यक्ति को जीवन में कोई परेशानी ही नहीं है।

लेकिन दोस्तों, जीवन भी तो इसी का नाम है न।बिना दिक्कतों ,परेशानियों ,समस्याओं के व्यक्ति का जीवन नीरस बन जाएगा इस बात से भी तो आप सब सहमत होंगे ।संघर्ष करते हुए जीवन जीना ही जीवन का वास्तविक नाम है। यदि सब कुछ सहजता से प्राप्त हो जाए तो हमें जीवन में होने वाली कठिनाइयों का कभी अनुभव भी नहीं होगा और हमारी जिंदगी बिल्कुल नीरस हो जाएगी ।इसलिए जीवन में कुछ ना कुछ बदलाव होना अति आवश्यक है।

यह तो बात हुई जीवन में आने वाली समस्याओं की।किंतु आप इस सब से भी तो सहमत होंगे ना कि जीवन में सुख की और खुशियों की भी कोई कमी नहीं होती है। कभी-कभी समस्याओं के चलते हम जीवन को इतना अधिक तनावग्रस्त बना लेते हैं कि खुशियां हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही होती हैं, किंतु हम अवसाद और तनाव की स्थिति में इस कदर डूबे होते हैं कि हम उन खुशियों को पहचान ही नहीं पाते और वे थक हार कर हमारे दरवाजे के बाहर से ही बाहर निकल जाती हैं। अपने जीवन में खुशियों का स्वागत करने का अवसर हमें कभी नहीं खोना चाहिए। छोटी से छोटी खुशी को पूरे दिल से मनाना चाहिए ।अपनी खुशियों में हमें दूसरों को भी शामिल करना चाहिए और दूसरों की खुशियों को देख कर भी खुश होना चाहिए। सही मायनों में यही मानव जीवन है।एक दूसरे की परेशानियों और दिक्कतों में उनका साथ देने के साथ-साथ उनकी खुशियों में शरीक होना भी सच्ची मानवता की निशानी है। एक दूसरे के लिए अच्छा सोचना और उनके कल्याण में कार्य करना हमें एक प्रकार से असीम संतोष देता है।

जैसा कि आलेख के शीर्षक से ही स्पष्ट हो रहा है कि हमें खुशियों को अपने गले से लगाना चाहिए।जिस प्रकार हम अपने किसी अति करीबी मित्र और स्नेही जन से काफी समय पश्चात मिलते हैं तो हम उसे झट से अपने गले से लगा लेते हैं और उस वक्त हमें असीम आनंद की प्राप्ति होती है ,बिलकुल उसी प्रकार खुशियों को भी ऐसे ही नहीं जाने देना चाहिए ,उन्हें भी मित्र की भांति अपने गले से लगाना चाहिए।

कहने का तात्पर्य यह है कि खुशियों का स्वागत करें ,खुले दिल से करें ,नाचे गाएं,खुशियां मनाएं ।समस्या तो वैसे भी जीवन में लगी ही रहती है किंतु उसका अर्थ यह नहीं कि उन समस्याओं में हम अपने आप को ही भूल जाए। अपनों की खुशियों के लिए भी हमें हमेशा तत्पर रहना चाहिए,क्योंकि यदि हम खुद ही खुश नहीं रहेंगे तो अपनों को क्या खुशियां दे पाएंगे ।हमारे अपने भी हमें सदैव खुश देखना चाहते हैं ।जीवन में होने वाली छोटीसे छोटी तरक्की और सफलताओं को सेलिब्रेट करें ,अपने और अपनों की खुशियों के मौकों पर छोटा-मोटा आयोजन करें ।यदि यह भी संभव ना हो तो खुशियों को मनाने के और बहुत सारे तरीके होते हैं जैसे आप कभी लंच या कभी डिनर के लिए अपनों के साथ बाहर जा सकते हैं, एक शाम अपनों के साथ घर के बाहर कहीं सुखद स्थान पर व्यतीत कर सकते हैं अथवा अपने घर में ही अपने दोस्तों यारों को बुलाकर हंसी मजाक और एक भोज का आयोजन कर सकते हैं।कहने का तात्पर्य यह है कि यह हम सब जानते हैं कि हमें अपनी खुशियों को किस प्रकार मनाना है ।

दोस्तों यह एक तथ्य है कि यदि हम दिल से खुशियों को नहीं मनाएंगे तो अगली बार खुशियां भी हम तक आने के लिए सौ बार सोचेंगी। जिस प्रकार हम दुख को अपने से अलग नहीं कर सकते उसी प्रकार खुशियों को भी हमें सहेज कर रखना चाहिए और अपनी खुशियों पर अपनी समस्याओं को कभी हावी नहीं होने देना चाहिए ।सुख और दुख ,खुशियां और परेशानियां हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इन्हीं को लेकर हमें जीवन में आगे बढ़ना होगा। एक के बिना दूसरा निरर्थक है ।बिना खुशियों के समस्याओं का निराकरण और समाधान भी संभव नहीं है ।उसी प्रकार जीवन में बिना समस्याओं के खुशियों का वास्तविक अर्थ हमें पता ही ना चले।इसलिए प्रत्येक स्थिति में समभाव रखकर चलें और अपने व्यक्तित्व को संतुलित बना कर अपनी और अपनों की खुशियों का विशेष ध्यान रखें।स्मरण रहे, मानव जीवन हमारे पिछले कई जन्मों के गुणों के परिणाम स्वरूप मिलता है इसलिए इसे यूं ही व्यर्थ ना जाने दें। इस जीवन को जितना अधिक सुंदर आप बना सकते हैं ,बनाने का प्रयास करें । एक छोटी सी कोशिश एक छोटा सा प्रयास,करके देखो अच्छा लगता है।