गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में आगामी 13 नवम्बर को होने वाले सात विधानसभा सीटों के उप चुनावों के लिए प्रदेश में राजनीति के विविध रंग दिखाई दे रहे हैं। कोई फूट-फूट कर रो रहा है, तो कोई बगावत कर रहा है, तो कोई रूठों को मनाने चार्टर प्लेन भेज रहा है, तो कोई लोकसभा चुनाव की तरह चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं कर सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक रहा है, तो कोई गठबंधन के धर्म को छोड़ अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुनाव मैदान में ताल ठोकने की तैयारी में जुट गया है।
प्रदेश में राजनीति के इन रंगों की शुरुआत सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी से ही शुरू हुई है। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष और बगावत ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है। भाजपा ने उप चुनाव वाली सात सलूंबर, चौरासी (डूंगरपुर), झुंझुनुं, रामगढ़ (अलवर) और देवली-उनियारा (टोंक), दौसा, खींवसर (नागौर) में से छह सीटों पर अपने उम्मीद्वारों का ऐलान कर दिया है और उसे चौरासी (डूंगरपुर) पर अपना उम्मीद्वार की घोषणा करना बाकी है।
भाजपा की ओर से छह उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही पार्टी में नेताओं के बगावती रुख भी सामने आने लगे हैं। जिन नेताओं को टिकट मिलने की उम्मीद थी, वे निराश हुए और उन्होंने टिकट न मिलने पर बगावत करनी शुरू कर दी। कुछ जगह तो नेताओं ने बागी हो कर चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो कुछ नेता उपचुनाव में टिकट न मिलने पर फूट-फूट कर रो रहे हैं। यहां तक कि कुछ जगहों पर अपने समर्थकों के जरिए पार्टी से इस्तीफा दिलाकर प्रेशर पोलटिक्स भी की जा रही है। भाजपा के छह उम्मीदवाराें की सूची आने के साथ ही चार सीटों पर विरोध सामने आ गया है। सलूंबर, झुंझुनुं, रामगढ़ और देवली-उनियारा में टिकट कटने वाले नेता और उनके समर्थक विरोध कर रहे हैं। अब पार्टी ने नाराज नेताओं को मनाने का काम भी शुरू हो गया है। शेष जिम्मेदारी विधानसभा प्रभारियों को दी गई है जो नाराज नेताओं से बात करके उन्हें मनाने की कोशिश में जुट गए है।
सलूंबर विधानसभा सीट पर भाजपा ने दिवंगत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी को टिकट दिया है। इसकी घोषणा होते ही यहां टिकट की दावेदारी कर रहे नरेंद्र मीणा ने बगावत कर दी थी। उन्होंने कहा कि मैंने 20 साल धैर्य रखा। अब बैठक बुलाई है, जो समर्थक कहेंगे, वहीं निर्णय लूंगा। रविवार को अपने समर्थकों के बीच पहुंचे नरेंद्र मीणा फूट-फूट कर रोने लगे थे। मीणा को सोमवार दोपहर चार्टर प्लेन से निम्बाहेड़ा विधायक श्रीचंद कृपलानी और वल्लभनगर विधायक उदयलाल डांगी जयपुर लेकर पहुंचे। यहां सीएमआर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नाराज नरेंद्र मीणा से बात की। टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे नरेंद्र मीणा से मुख्यमंत्री शर्मा से मुलाकात की। इसके बाद नरेंद्र मीणा ने एक वीडियो जारी किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से कहा कि सीएम ने मुझे जयपुर बुलाया था। मैंने आपकी भावनाएं उनके सामने रखी। मुख्यमंत्री जी ने मेरी बात सुनी। उसके बाद अपनी बात रखी है। उनकी बातों को लेकर मैं आपके बीच आ रहा हूं। किसी को किसी भी प्रकार का भ्रम पालने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने साेशल मीडिया पर लिखा कि मैं पार्टी के प्रति समर्पित हूँ और पूरी जीतोड़ मेहनत के साथ भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को सलूम्बर में जिताएंगे।
इधर भजनलाल मंत्रिमंडल में यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि प्रदेश की दो सीटों पर नाराजगी की सुगबुगाहट थी और हमारा जो एक कार्यकर्ता सुगबुगाहट कर रहा था। उसकी शीर्ष नेतृत्व से जयपुर में मुलाकात हुई है। वहीं दूसरी सुगबुगाहट भी जल्द ही जयपुर में हमारे नेताओं से मुलाकात होती दिखाई देगी। हमारे अंदर किसी तरह का अंतर्विरोध नहीं है। हम पूरी ताकत और क्षमता के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे और सफलता प्राप्त करेंगे।
भाजपा ने रामगढ़ और झुंझुनूं सीट पर 2023 में बागी होकर चुनाव लड़े दो नेताओं सुखवंत सिंह और राजेंद्र भांबू को को टिकट दिया है। इसके बाद दोनों सीटों पर इससे 2023 के विधानसभा चुनाव में हारने वाले बीजेपी प्रत्याशियों जय आहूजा और बबलू चौधरी ने खुले आम बगावत कर दी हैं। बबलू चौधरी ने तो 23 अक्टूबर को नामांकन भरने का फैसला किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट शेयर कर लिखा कि मैं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने जा रहा हूं। रविवार को उनके आवास पर बैठक भी हुई थी। इसके बाद उन्हें मनाने के लिए विधानसभा प्रभारी अविनाश गहलोत और सुमित गोदारा को भेजा गया है। हालांकि बबलू चौधरी ने 23 अक्टूबर को नामांकन भरने की घोषणा कर दी है।
अलवर जिले के रामगढ में तो सभी मंडल के अध्यक्षों ने विरोध में इस्तीफा सौंप दिए है। देवली उनियारा सीट पर विजय बैंसला का टिकट कटने से उनके दो समर्थक विरोध जताने के लिए पानी की टंकी और मोबाईल टावर पर चढ़ गए।
झुंझुनू विधानसभा सीट के उपचुनाव में इस बार बीजेपी ने राजेंद्र भांभू को टिकट दिया है। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बबलू चौधरी को टिकट दिया था, लेकिन वो हार गए थे। दूसरे नंबर पर बीजेपी के बागी प्रत्याशी राजेंद्र भांभू थे। बबलू तीसरे स्थान पर रहे थे। बीजेपी ने इस बार बागी नेता राजेंद्र भांभू को ही मैदान में उतार दिया। उससे बबलू चौधरी खफा हो गए और बगावत कर निर्दलीय ताल ठोकने का ऐलान कर दिया। ऐसे में विधानसभा चुनाव में लगातार चौथी बार बगावत के आसार बने हुए हैं। इसी के साथ राजेंद्र भांबू और बबलू चौधरी एक बार फिर तीसरी बार आमने–सामने हैं। झुंझुनूं में कांग्रेस के बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने से विधान सभा की यह सीट खाली हुई हैं।
इधर गठबंधन के धर्म को छोड़ भारतीय आदिवासी पार्टी बाप ने सलूंबर और डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट पर अपने उम्मीद्वारों की घोषणा कर दी है तथा हनुमान बेनीवाल भी नागौर जिले की खींवसर सीट पर अपने दल के उम्मीदवार को उतारने की तैयारी में हैं। इस सारे परिदृश्य में कांग्रेस ने प्रदेशकी इन सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। क्योंकि राजस्थान में हो रहे उप चुनाव में इस बार अभी तक कांग्रेस का किसी भी पार्टी से कोई गठबंधन नहीं हुआ है जबकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने नागौर में आरएलपी और बांसवाड़ा डूंगरपुर संसदीय सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) को समर्थन दिया था जिसके फलस्वरूप हनुमान बेनीवाल और राज कुमार रोत के सांसद बनने से ये सीटें रिक्त हुई है जिसकी वजह से उप चुनाव हो रहें हैं।
उधर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि राजस्थान में उप चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा। कांग्रेस पार्टी सातों सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हमने गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं की। इण्डिया गठबंधन दिल्ली में है, राजस्थान में नहीं है। गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस की सात सीटों पर चुनावों की तैयारी पूरी है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस का निष्ठावान कार्यकर्ता तानाशाह सरकार से डरने वाला नहीं हैं । उपचुनाव को लेकर कांग्रेस की बैठक हुई है और इस बैठक में उम्मीदवारों के पैनल भी तैयार हुए हैं । अगले एक दो दिन में कांग्रेस के टिकटों की घोषणा भी होगी।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वार रूम में सोमवार को भी प्रदेश को-ऑर्डिनेशन समिति की प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की अध्यक्षता में बैठक हुई हैं। इस बैठक में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, भंवर जितेंद्र सिंह, डॉ.सीपी जोशी, सहप्रभारी चिरंजी राव, रित्विक मकवाना, पूनम पासवान भी शामिल हुई तथा उपचुनावों की तैयारी को लेकर महत्वपूर्ण रणनीति तैयार हुई। बताया गया कि उप चुनाव में कांग्रेस की विजय सुनिश्चित करने के लिए बैठक मेवआवश्यक निर्णय लिए गए।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान प्रदेश में सात विधानसभा सीटों पर आगामी 13 नवंबर को उप चुनाव होने है। इसके लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 25 अक्टूबर और नाम वापसी की तारीख 30 अक्टूबर है। रविवार और सार्वजनिक अवकाश के दिनों में नामांकन दाखिल नहीं हो सकेंगे। इस लिहाज से यह सप्ताह सभी दलों के उम्मीदवारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। फिर आगे धनतेरस और दिवाली के पांच दिवसीय त्यौहार भी चुनाव प्रचार कार्यों को प्रभावित करने वाले हैं।