DCP ने महिला के सिर में गिलास मारा या गिलास खुद जा गिरा?

इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस के द्वारका जिले के डीसीपी शंकर चौधरी पर सनसनीखेज आरोप लगाया गया है।डीसीपी पर आरोप है उन्होंने एक महिला के सिर पर गिलास मार दिया। महिला के सिर में तीन टांके लगे हैं। लेकिन पुलिस ने अभी तक डीसीपी के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं की है।

डीसीपी की चुप्पी
दक्षिण जिले की डीसीपी बेनिता मैरी जैकर ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। घायल महिला नोएडा निवासी डिजायनर बताई जाती है।

पत्रकारों द्वारा इस बारे में सवाल पूछने पर दक्षिण जिले की डीसीपी बेनिता मैरी जैकर ने जिले के मीडिया व्हाट्सएप ग्रुप को ही ‘ओनली एडमिन कैन सेंड मैसेज’ कर दिया है। महिला डीसीपी का महिला पीडिता के मामले में ऐसा रवैया पुलिस के महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के दावे की पोल खोलता है।

डीसीपी ने मारा
शुक्रवार बीती रात करीब तीन बजे महिला के पति ने पुलिस कंट्रोल रुम को फोन कर इस मामले की शिकायत की। महिला के पति ने पीसीआर को बताया कि ‘द्वारका जिले के डीसीपी शंकर चौधरी ने शराब पीकर मेरी पत्नी के सिर पर गिलास मार दिया है डीसीपी किसी ओर से झगड़ा कर रहे थे, गिलास मेरी पत्नी के लग गया’। मैं पत्नी को साकेत स्थित मैक्स अस्पताल लाया हूँ।
पीसीआर ने यह सूचना ग्रेटर कैलाश थाने के रोजनामचे (जनरल डायरी) में दर्ज कराई है। लेकिन अभी एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
घटना बीती रात कैलाश कालोनी के ‘अनकल्चरड’ कैफे एंड बार में हुई। रियल एस्टेट बिजनेसमैन द्वारा आयोजित जन्मदिन की पार्टी में यह सब हुआ। डीसीपी शंकर चौधरी ने हंगामा किया और गिलास फेंके।

दिल्ली प्रवक्ता का बयान
ग्रेटर कैलाश में 4 जून की तड़के एक पीसीआर कॉल प्राप्त हुई थी जिसमें यह उल्लेख किया गया था कि दिल्ली पुलिस के डीसीपी रैंक के एक अधिकारी ने एक निजी क्लब में जन्मदिन की पार्टी में एक महिला के साथ मारपीट की है। इसके बाद पीड़िता का एक वीडियो क्लिप प्राप्त हुआ जिसमें उसने कहा कि वह अपने परिवार के साथ परिवार के एक सदस्य की जन्मदिन की पार्टी मना रही थी। संबंधित अधिकारी भी अपने परिवार के साथ मौजूद थे। समारोह के दौरान एक गिलास महिला पर गिरा और वह घायल हो गई। इस पर महिला का पति भड़क गया, क्योंकि उस समय पार्टी में एक व्यक्ति गिलास से खेल रहा था। गलतफहमी के चलते डीसीपी का नाम चर्चा में आ गया। पारिवारिक मामला होने के कारण मामला सुलझ गया है।

पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान
पुलिस प्रवक्ता का यह बयान बड़ा ही हास्यास्पद है। इससे पुलिस की काबिलियत पर ही सवालिया निशान लग जाता है। महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने के पुलिस के दावे की भी पोल खुल गई है।

पुलिस प्रवक्ता का यह बयान वारदात की सूचना मिलने के ग्यारह घंटे बाद यानी आज दोपहर एक बजे के बाद आया है।
अगर पुलिस प्रवक्ता के बयान को सही मान लिया जाए, तो सवाल उठता है कि पुलिस द्वारा महिला के पति के खिलाफ झूठी जानकारी देने के आरोप में धारा 182 के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई। महिला के पति के खिलाफ ऐसा न करने से इस बात को बल मिलता है कि डीसीपी को बचाने के लिए मामला रफा दफा किया गया है।

डीसीपी की मेडिकल जांच कराई
पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना बताएं कि पुलिस को जैसे ही घटना की जानकारी मिली तो तुरंत एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई।

क्या पुलिस ने तुरंत घटनास्थल पर पहुंच कर पार्टी में मौजद सभी लोगों और बॉर के स्टाफ आदि के बयान दर्ज किए। क्या बार में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की या फुटेज जब्त की गई। सबसे अहम बात क्या पुलिस ने तुरंत आरोपी डीसीपी की मेडिकल जांच कराई। जिससे यह पता चलता कि डीसीपी नशे में था या नहीं। क्या वह गिलास जब्त किया गया, जिससे महिला घायल हुई। उस गिलास पर उंगलियों के निशान की जांच से ही साफ हो सकता था कि डीसीपी ने मारा या किसी अन्य से वाकई गिलास गिरा। डीसीपी पार्टी में सरकारी कार में गया था या निजी कार में।

इस पत्रकार द्वारा डीसीपी शंकर चौधरी से आरोप पर उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया गया। डीसीपी ने कहा कि वह अपना पक्ष कुछ देर में भेज देंगे।

हवाबाज डीसीपी
वैसे डीसीपी शंकर चौधरी की कार्यशैली, हाव भाव आईपीएस के पद की गरिमा के अनुरूप नहीं लगते है। उनकी हरकतें बचपने/ छिछोरी/ हवाबाज जैसी है इसका अंदाजा एक मामले से ही लगाया जा सकता है पिछले साल एक व्यक्ति ने पारिवारिक झगड़े में अपनी ताई की हत्या कर दी थी।

प्रचार बहादुर अफसर 
करवा चौथ के दिन आरोपी की पत्नी ने खुद पीसीआर को फोन किया और बताया कि उसका पति घर में मौजूद है और वह आत्म समर्पण करना चाहता है। अब ऐसे में होना तो यह चाहिए था कि एस एच ओ जाकर उसे वहां से गिरफ्तार कर लाता। लेकिन डीसीपी शंकर चौधरी खुद उस घर में गए और आत्म समर्पण करने वाले आरोपी को खुद गर्दन से पकड़ कर, ऐसे घर से बाहर लाए, जैसे उन्होंने किसी खूंखार अपराधी को बड़ी मुश्किल से पकड़ा है। डीसीपी ने ऐसा करके यह दिखाना चाहा जैसे कि उन्होंने कोई बहुत बहादुरी का काम किया है। इसे आईपीएस की सिर्फ़ प्रचार की भूख ही कहा जा सकता है। इसका बकायदा वीडियो भी वायरल हुआ था।

आईपीएस के चाल चलन पर निगरानी 
आईपीएस द्वारा खाकी वर्दी को खाक में मिलाने से केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और दिल्ली पुलिस के खुफिया/ सतर्कता विभाग की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग गया है क्या इन विभागों को यह मालूम नहीं है कि कौन कौन आईपीएस रात में शराब पिए रहते हैं और सरकारी कार में निजी पार्टियों में जाते हैं। बिल्डरों या अन्य बिजनेसमैन की पार्टियों में मौज मस्ती करते हैं।

आईपीएस पीये तो नहीं कोई खराबी, मातहत पीये तो है शराबी
डयूटी पर शराब पीने वाले एस एच ओ और निचले स्तर के पुलिसकर्मियों के खिलाफ तो तुरंत कार्रवाई की जाती है लेकिन आईपीएस को बचाया जाता है। वैसे खुद डीसीपी शंकर चौधरी ने कुछ दिन पहले डयूटी पर शराब पीने के आरोप में एक एस एच ओ को लाइन हाजिर किया था।