संजय सक्सेना
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 09 सीटों पर होने वाला उपचुनाव लड़ा जाये या नहीं, इसको लेकर एक तरफ कांग्रेस दुविधा में नजर आ रही है तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी की बैसाखी के सहारे वह जीत की उम्मीद भी लगाये बैठी है। इसी उहापोह में उलझी कांग्रेस, सपा पर दबाव बनाने में कामयाब नजर आ रही है। कांग्रेस की दबाव की राजनीति के चलते सपा ने कांग्रेस को फूलपुर विधान सभा सीट भी देने के संकेत दिए हैं। यह सीट कांग्रेस के खाते में चली जाती है तो कांग्रेस को मिली सीटों की संख्या तीन हो जायेगी।इसी बात को आधार बनकार दोनों दलों के नेताओं द्वारा कहा जा रहा है कि सपा- कांग्रेस का गठबंधन कायम रहेगा, लेकिन तीन सीटें मिलने की संभावना के बाद भी कांग्रेस के चुनाव लड़ने पर अभी संशय बना हुआ है। उपचुनाव पर अंतिम फैसला आजकल में हो जायेगा। क्योकि चुनाव के लिये नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर है। बहरहाल,ऐसा लगता है कि यूपी उप चुनाव को लेकर एक तरफ सपा के साथ सीटों के समझौते को लेकर कांग्रेस अड़ी जरूर हुई है,मगर उसे चुनाव लड़ने पर हार का डर भी सता रहा है। अर्थात कांग्र्रेेस अडी और डरी दोनो ही है।
सपा द्वारा फूलपुर की सीट कांग्रेस को दिये जाने के बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और प्रदेश प्रभारी दिल्ली रवाना हो गए हैं। उपचुनाव में शामिल 09 सीटों में कांग्रेस ने पांच सीटें पर चुनाव लड़ने का दावा किया था, लेकिन समाजवादी पार्टी ने फूलपुर सहित सात सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए। कांग्रेस को सिर्फ गाजियाबाद और खैर विधानसभा सीट दी। इसकी घोषणा भी सपा की ओर से ही की गई। यह देख कांग्रेस ने रुख बदला। गठबंधन की दुहाई देते हुए नाराजगी जताई। सिर्फ दो सीटें मिलने पर असंतुष्टि जताते हुए शीर्ष नेतृत्व को पत्र भी भेजा। कहा तो यहां तक गया कि कांग्रेस इन दोनों सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ेगी, लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने इस मुद्दे इसकी पुष्टि नहीं की। दोनों नेताओं ने इतना जरूर कहा कि वे शीर्ष नेतृत्व के दिशा निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा को हराने के लिए गठबंधन कायम रखेंगे। उपचुनाव को लेकर मची खींचतान को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने रुख बदला। सपा की ओर से कहा गया है कि वह कांग्रेस को फूलपुर सीट दे सकती है। हालांकि सपा यहां से उम्मीदवार के रूप में मुस्तफा सिद्दीकी के नाम की घोषणा कर चुकी है। मुस्तफा वर्ष 2022 के चुनाव में फूलपुर में सपा उम्मीदवार थे और सिर्फ 2200 वोट से पराजित हुए थे। ऐसे में मुस्तफा का नाम वापस लेने का सियासी तौर पर नुकसान होने का भी अंदेशा है। ऐसे में कांग्रेस के अंदरखाने में फूलपुर को मुफीद नहीं माना जा रहा है।
उधर, विधानसभा उपचुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में भी पेंच फंस गया है। मझवां व कटेहरी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के लिए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। गत दिवस मंगलवार देर रात उनकी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने अपना पक्ष रखा है। संजय निषाद के अनुसार, आज बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल एवं पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं से उनकी मुलाकात होनी है। इसके बाद भाजपा के उम्मीदवारों की सूची जारी होने की उम्मीद है। प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें से मझवां व कटेहरी की सीटों पर संजय निषाद अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ना चाहते हैं,लेकिन संजय निषाद नेे यह सुझाव भी दिया है कि भाजपा चाहे तो दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दे, लेकिन चुनाव चिन्ह निषाद पार्टी का ही होगा। प्रदेश भाजपा ने उनके इस सुझाव पर गौर नहीं किया है।